प्रारंभिक परीक्षा
केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं हेतु नामांकन
- 20 Aug 2025
- 30 min read
चर्चा में क्यों?
गृह मंत्रालय का कहना है कि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल (LG) विधान सभा में पाँच सदस्यों को बिना मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के नामित कर सकते हैं।
- जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 (संशोधित 2023) 90 निर्वाचित सदस्यों का प्रावधान करता है और LG को अधिकतम पाँच सदस्यों को नामित करने की अनुमति देता है।
क्या आप जानते हैं?
- राज्यसभा में केवल जम्मू-कश्मीर, दिल्ली और पुद्दुचेरी का प्रतिनिधित्व है क्योंकि ये निर्वाचित विधानसभा वाले एकमात्र केंद्रशासित प्रदेश हैं।
- केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं की संरचना संसद के अधिनियमों द्वारा शासित होती है।
- दिल्ली विधानसभा में 70 निर्वाचित सदस्य होते हैं, और 1991 के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम (Government of NCT of Delhi Act, 1991) के तहत नामित विधायकों (MLAs) का कोई प्रावधान नहीं है।
- पुदुचेरी विधानसभा में 30 निर्वाचित सदस्य हैं, तथा केंद्र सरकार को संघ राज्य क्षेत्र शासन अधिनियम, 1963 के तहत अधिकतम तीन सदस्यों को मनोनीत करने की अनुमति है।
मनोनीत सदस्यों के संबंध में संवैधानिक प्रावधान क्या हैं?
- राज्यसभा: अनुच्छेद 80 के तहत, राष्ट्रपति साहित्य, विज्ञान, कला और सामाजिक सेवा के क्षेत्रों में विशेष ज्ञान रखने वाले 12 सदस्यों को नामित कर सकते हैं, और यह नामांकन केंद्र की मंत्रिपरिषद की सलाह पर किया जाता है।
- नामित सदस्यों को निर्वाचित सांसदों जैसी अधिकांश विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं, जैसे बहसों में भाग लेना और विधेयक प्रस्तुत करना। हालाँकि वे राष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं कर सकते, लेकिन उपराष्ट्रपति के चुनाव में मतदान कर सकते हैं।
- उन्हें जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (Representation of the People Act, 1951) के तहत अपनी संपत्ति और देनदारियों की घोषणा करना अनिवार्य नहीं है।
- मनोनीत सदस्यों के पास किसी राजनीतिक दल में शामिल होने के लिये अपना पद ग्रहण करने से छह महीने का समय होता है, इस अवधि के बाद शामिल होने पर उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाता है।
- विधान परिषदें: अनुच्छेद 171 के तहत, राज्य विधान परिषद में लगभग एक-छठा सदस्य राज्यपाल द्वारा नामित किया जाता है, जो मंत्रिपरिषद की सलाह पर होता है।
- एंग्लो-इंडियन सदस्य: पहले संविधान के तहत राष्ट्रपति (अनुच्छेद 331) को लोकसभा में दो एंग्लो-इंडियन सदस्यों को नामित करने की अनुमति थी, और राज्यपालों (अनुच्छेद 333) को राज्य विधानसभाओं में एक एंग्लो-इंडियन सदस्य को नामित करने का अधिकार था।
- दोनों प्रावधानों को 2020 में 104वें संविधान संशोधन द्वारा समाप्त कर दिया गया।
नामित सदस्यों के संबंध में न्यायिक निर्णय
- पुदुचेरी मामला (के. लक्ष्मीनारायणन बनाम भारत संघ, 2018): मद्रास उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के उस अधिकार को बरकरार रखा जिसके तहत वह पुदुचेरी विधानसभा में तीन विधायकों को केंद्रशासित प्रदेश सरकार की सलाह के बिना नामित कर सकती थी।
- इसने नामांकन प्रक्रिया पर वैधानिक स्पष्टता की सिफारिश की, जिसमें प्राधिकार और प्रक्रिया भी शामिल थी, लेकिन बाद में अपील पर सर्वोच्च न्यायालय ने इन सिफारिशों को खारिज कर दिया।
- दिल्ली मामला (दिल्ली सरकार बनाम भारत संघ, 2023): सर्वोच्च न्यायालय ने "ट्रिपल चेन ऑफ कमांड" की अवधारणा पर गहन विचार किया था, जहाँ सिविल सेवक मंत्रियों के प्रति, मंत्री विधानमंडल के प्रति और विधायिका मतदाताओं के प्रति जवाबदेह होते हैं।
- इसने फैसला सुनाया कि LG को दिल्ली विधानसभा की शक्तियों से परे मामलों को छोड़कर, मंत्रिपरिषद की सलाह का पालन करना होगा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)
प्रिलिम्स
प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2013)
- राज्यसभा का सभापति तथा उपसभापति उस सदन के सदस्य नहीं होते हैं।
- राष्ट्रपति के निर्वाचन में संसद के दोनों सदनों के मनोनीत सदस्यों को मतदान का कोई अधिकार नहीं होता, उनको उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में मतदान का अधिकार होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (b)