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आप्रवास और विदेशियों विषयक अधिनियम, 2025

  • 05 Sep 2025
  • 20 min read

स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड

आप्रवास और विदेशियों विषयक अधिनियम, 2025 (The Immigration and Foreigners Act, 2025) 1 सितंबर, 2025 से प्रभाव में आ गया है। यह अधिनियम भारत के आव्रजन संबंधी कानूनों को एकीकृत करता है, जाली दस्तावेज़ों के लिये कठोर दंड का प्रावधान करता है विदेशियों की निगरानी एवं रिपोर्टिंग की व्यवस्था को और अधिक सशक्त बनाता है। 

  • यह चार पुराने और अप्रचलित कानूनों को निरस्त करता है: पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920, विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम, 1939, विदेशियों विषयक अधिनियम, 1946 और आव्रजन (वाहक देयता) अधिनियम, 2000। 

आप्रवास और विदेशियों विषयक अधिनियम, 2025 के प्रमुख प्रावधान क्या हैं? 

  • जाली यात्रा दस्तावेज़ों के लिये कठोर दंड: जाली पासपोर्ट, वीज़ा या अन्य यात्रा दस्तावेज़ों का उपयोग करने या आपूर्ति करने पर 2-7 वर्ष का कारावास और 1-10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। 
    • वैध अनुमति के बिना प्रतिबंधित क्षेत्रों में प्रवेश करने वाले विदेशियों के लिये 5 वर्ष तक का कारावास या 5 लाख रुपये का ज़ुर्माना हो सकता है। 
  • विदेशियों के विवरण की अनिवार्य रिपोर्टिंग: होटलों, विश्वविद्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों और नर्सिंग होम को अपने यहाँ रहने वाले या आने वाले विदेशी नागरिकों के बारे में जानकारी देनी होगी। 
    • अंतर्राष्ट्रीय एयरलाइनों और शिपिंग कंपनियों को आगमन से पहले यात्रियों और चालक दल का डेटा साझा करना आवश्यक है। 
  • परिसरों पर सरकारी नियंत्रण: सुरक्षा कारणों से आवश्यक समझे जाने पर, केंद्र सरकार को विदेशियों द्वारा अक्सर दौरा किये जाने वाले परिसरों को विनियमित करने या बंद करने का अधिकार है। 
  • आप्रवासन ब्यूरो: यह अधिनियम आप्रवासन ब्यूरो (जो 1971 में खुफिया ब्यूरो के तहत स्थापित) को कानूनी मान्यता प्रदान करता है, जिससे ब्यूरो को अवैध विदेशियों की पहचान करने, उन्हें हिरासत में लेने और देश से निर्वासित करने का अधिकार मिलता है। 

क्या आप जानते हैं?

  • अमेरिका: आतंकवादी समूहों से जुड़े व्यक्तियों की पहचान करने और उनके वीज़ा रद्द करने के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) उपकरणों का उपयोग करते हुए “कैच एंड रिवोक” (Catch and Revoke) नामक पहल शुरू की गई है। 
  • ऑस्ट्रेलिया: सुरक्षा जोखिम माने जाने वाले गैर-नागरिकों को हिरासत में रखने की अनुमति देता है, लेकिन राज्यविहीन (Stateless) व्यक्तियों को अनिश्चित काल तक हिरासत में रखने पर रोक है, जब तक कि उनके निर्वासन की संभावना न हो। 
  • खाड़ी देश: सऊदी अरब, बहरीन और कुवैत ने सुरक्षा कारणों से हज़ारों प्रवासी श्रमिकों को निर्वासित किया है, और अक्सर अपील के लिये सीमित विकल्प उपलब्ध कराए गए हैं। 
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