रैपिड फायर
लकड़बग्घा
- 03 May 2025
- 3 min read
स्रोत: डाउन टू अर्थ
प्रत्येक वर्ष 27 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय लकड़बग्घा (Hyena) दिवस के रूप में मनाया गया जिसका उद्देश्य लकड़बग्घों के पारिस्थितिक महत्त्व के बारे में लोगों को अधिक जागरूक करना और इसके प्रति नकारात्मक धारणाओं को परिवर्तित करना है।
लकड़बग्घा (Hyaenidae)
- परिचय: ये Hyaenidae वंश से संबंधित हैं, जो कुत्तों जैसे माँसभक्षी स्तनपायी जीवों का एक समूह है।
- पर्यावास: लकड़बग्घे अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्सों में विविध पर्यावास स्थलों में पाए जाते हैं।
- इनकी भयावह चीखों और विचित्र रूप-रंग के कारण इन्हें सामान्यतः 'विलेन ऑफ अफ्रीकन सवाना' की संज्ञा दी जाती है।
- आहार: चित्तीदार लकड़बग्घे कुशल परभक्षी और साथ ही मृत जीवों के भक्षी होते हैं, जो सक्रिय रूप से समूहों में शिकार करते हैं। ये सामान्यतः छल से अन्य जीवों के शिकार का भक्षण (kleptoparasitism) करते हैं।
- धारीदार लकड़बग्घे सर्वाहारी होते हैं, भूरे लकड़बग्घे मुख्य रूप से मृत जीवों का भक्षण करते हैं, लेकिन इनका आहार छोटे जंतु और फल भी हैं, जबकि आर्डवुल्फ विशेष रूप से मुख्यतः दीमक का ही भक्षण करते हैं।
- व्यवहार: चित्तीदार लकड़बग्घे जटिल सामाजिक व्यवस्था और प्रखर प्रज्ञा के साथ मादा-नेतृत्व वाले समूहों में पाए जाते हैं।
- धारीदार लकड़बग्घे रात्रिचर और एकांतवासी होते हैं, भूरे लकड़बग्घे यायावरी नर लकड़बग्घों के साथ लघु समूह में पाए जाते हैं, तथा आर्डवुल्फ एकसंगमनी होते हैं, जो एकल अथवा युग्म में पाए जाते हैं।
- पारिस्थितिक तंत्र में भूमिका: लकड़बग्घे परभक्षियों के रूप में शाकभक्षी समष्टि को नियंत्रित करने, मृत जीवों के भक्षी के रूप में रोगों के संचरण को रोकने और पोषक तत्त्वों को पुनःचक्रित करने में महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक भूमिका निभाते हैं।
और पढ़ें: इंदिरा गांधी प्राणि उद्यान (IGZP) में संरक्षित प्रजनन