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हाइड्रोलिक्स प्रणाली एवं इसके अनुप्रयोग

  • 19 Jun 2025
  • 3 min read

स्रोत: TH

भारी-भरकम क्रेनों से लेकर वायुयान के लैंडिंग गियर तक, हाइड्रॉलिक प्रणालियाँ कई महत्त्वपूर्ण यांत्रिक क्रियाओं को संचालित करती हैं, जहाँ छोटी-सी प्रविष्टि (input) को अत्यधिक बल (force) में परिवर्तित किया जाता है।

  • परिचय: हाइड्रॉलिक प्रणाली एक ऐसी तकनीक है, जिसमें अपसंपीड्य द्रव (अर्थात्  जिसे संपीडित नहीं किया जा सकता — सामान्यतः तेल) के माध्यम से बल एवं गति का संचरण किया जाता है।
    • इस प्रणाली में एक सिरे पर लगाया गया छोटा बल, संपर्क क्षेत्र (contact area) को बढ़ाकर दूसरे सिरे पर अधिक बल उत्पन्न करता है, जबकि दबाव (pressure) स्थिर बना रहता है।
  • कार्यप्रणाली: यह प्रणाली पास्कल के नियम (Pascal's Law) पर कार्य करती है, जिसके अनुसार किसी द्रव पर लगाया गया दबाव सभी दिशाओं में समान रूप से संचरित होता है। इस सिद्धांत के कारण बहुत कम बल लगाकर भी भारी वस्तुओं को सरलता से गति दी जा सकती है।
    • दबाव उस बल को दर्शाता है, जो किसी वस्तु की सतह पर प्रति इकाई क्षेत्रफल में लगाया जाता है। यह इस बात का संकेत है कि किसी विशेष क्षेत्र पर कितना बल कार्य कर रहा है। इसका एस.आई. मात्रक पास्कल (Pa) होता है, जहाँ 1 पास्कल = 1 न्यूटन प्रति वर्ग मीटर (N/m²)

  • अनुप्रयोग:
    • हाइड्रॉलिक प्रणालियों का व्यापक उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होता है, जैसे:
    • निर्माण उपकरणों में (उदाहरण: खुदाई मशीनें, बुलडोज़र, क्रेन आदि)
    • वाहनों में (ब्रेक, क्लच आदि)
    • विमानन क्षेत्र में (लैंडिंग गियर)
    • औद्योगिक मशीनों में (प्रेस, लिफ्ट)
    • कृषि में (ट्रैक्टर, हार्वेस्टर आदि)
  • लाभ:
    • संतुलित गति एवं सहजता
    • बल-से-वजन अनुपात अत्यधिक
    • उष्मा का बेहतर अपसारण
    • संचालन में उच्च सटीकता (प्रिसीजन)

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