रैपिड फायर
हिमालयी कस्तूरी मृग
- 23 Sep 2025
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केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (CZA) की एक रिपोर्ट के अनुसार, मान्यता प्राप्त चिड़ियाघरों में कोई भी हिमालयी कस्तूरी मृग (मॉस्कस क्राइसोगास्टर) बंदी मृग/हिरण नहीं है, जिससे यह संकेत मिलता है कि वर्ष 1982 की हिमालयी कस्तूरी परियोजना के बावजूद कोई प्रजनन कार्यक्रम शुरू नहीं किया गया है।
हिमालयी कस्तूरी मृग
- परिचय: यह एक हिरण प्रजाति है जो भारत के हिमालयी क्षेत्र में 2,500 मीटर से अधिक ऊँचाई वाले अल्पाइन क्षेत्रों के साथ-साथ नेपाल, भूटान और चीन में भी पाई जाती है।
- शारीरिक विवरण: इनमें सींग नहीं होते और इनमें पित्ताशय (गॉलब्लैडर) पाया जाता है, जो इन्हें अन्य हिरणों से अलग करता है।
- भारत में बंदी प्रजनन: वर्ष 1982 में केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य में कस्तूरी मृग प्रजनन केंद्र की स्थापना की गई थी, जिसमें शुरुआत में 5 मृग थे। वर्ष 2006 तक इनकी संख्या बढ़कर 28 हो गई, लेकिन उसी वर्ष केंद्र को बंद कर दिया गया और अंतिम मृग को दार्जिलिंग चिड़ियाघर भेज दिया गया। वर्तमान में भारत के पास "फाउंडर स्टॉक" (प्रजनन कार्यक्रम शुरू करने के लिये आवश्यक प्रारंभिक जोड़े) की कमी है।
- व्यवहार और संचार (Behavior & Communication): ये एकाकी, स्थिर और संध्याकालीन (सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सक्रिय) होते हैं। क्षेत्र चिह्नित करने के लिये पूँछ ग्रंथि (Caudal Gland) का उपयोग करते हैं। इनकी विशिष्ट छलांग वाली चाल (Bounding Gait) होती है और यह शिकारियों से बचने के लिये 6 मीटर छलांग लगाने में सक्षम हैं।
संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट में संकटग्रस्त (Endangered)।
- कस्तूरी थैली के लिये शिकार (इत्र और औषधियों में उपयोग) जनसंख्या घटने का मुख्य कारण है।
- CITES परिशिष्ट I में सूचीबद्ध।
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