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ग्लाइकोस्मिस एल्बीकार्पा

  • 08 Mar 2022
  • 5 min read

भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (BSI) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने तमिलनाडु में कन्याकुमारी वन्यजीव अभयारण्य से ‘ग्लाइकोस्मिस एल्बीकार्पा’ नाम की एक नई ‘जिन बेरी’ प्रजाति की खोज की है।

  • भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (BSI), 1890 में स्थापित देश के जंगली पौधों संबंधी टैक्सोनॉमिक और फ्लोरिस्टिक अध्ययन करने हेतु पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (MoEFCC) के तहत शीर्ष अनुसंधान संगठन है।
  • इसका उद्देश्य देश में जंगली पौधों का पता लगाना और आर्थिक गुणों वाले पौधों की प्रजातियों की पहचान करना है।

क्या है ‘ग्लाइकोस्मिस एल्बीकार्पा’?

  • यह प्रजाति दक्षिणी पश्चिमी घाट के लिये स्थानिक है।
  • यह प्रजाति ऑरेंज परिवार- ‘रूटासी’ से संबंधित है।
  • इन टैक्सोनॉमिक समूहों के कई संबंधित पौधों का उपयोग उनके औषधीय मूल्य और भोजन के लिये किया जा रहा है।
  • इन पौधों की सबसे अधिक प्रजातियाँ जंगलों से एकत्र की जाती हैं, मुख्यतः स्थानीय उपयोग के लिये भोजन और दवा के रूप में।
  • ग्लाइकोस्मिस प्रजाति के जामुन में 'जिन सुगंध (Gin Aroma)' की अनूठी विशेषता होती है और यह एक खाद्य फल के रूप में लोकप्रिय है।
  • इस प्रजाति के पौधे तितलियों और अन्य प्रजातियों के लार्वा को भी आश्रय प्रदान करते हैं।

कन्याकुमारी वन्यजीव अभयारण्य से संबंधित प्रमुख बिंदु:

  • कन्याकुमारी वन्यजीव अभयारण्य (Kanyakumari Wildlife Sanctuary), तमिलनाडु राज्य के कन्याकुमारी ज़िले में 402.4 किमी2 का संरक्षित क्षेत्र है।
    • राज्य पुनर्गठन के परिणामस्वरूप 1 नवंबर, 1956 को कन्याकुमारी ज़िले के पुराने विकसित वनों/वर्जिन फारेस्ट (Virgin Forests) को केरल से तमिलनाडु राज्य में स्थानांतरित कर दिया गया था।
  • 1 अप्रैल, 1977 को कन्याकुमारी वन प्रभाग (Kanyakumari Forest Division) अस्तित्व में आया।
  • कन्याकुमारी वन्यजीव अभयारण्य, कलक्काड़ मुंडनथुरई टाइगर रिज़र्व (Kalakkad Mundanthurai Tiger Reserve) के निकटवर्ती क्षेत्रों और केरल राज्य के नेय्यर वन्यजीव अभयारण्य (Neyyar Wildlife Sanctuary) के साथ पश्चिमी घाट का सबसे दक्षिणी छोर है।
    • यह बाघों का निवास स्थल है। इस जंगल से सात नदियांँ निकलती हैं।
  • इस क्षेत्र की प्राकृतिक वनस्पति दक्षिणी काँटेदार जंगलों, शुष्क पर्णपाती, नम पर्णपाती, अर्द्ध सदाबहार वनों से लेकर घास के मैदानों के साथ पहाड़ी में सदाबहार शोलास वन तक के बायोम का प्रतिनिधित्व करती है।
    • दक्षिण भारत के शोला वनों का नाम तमिल शब्द सोलाई से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'उष्णकटिबंधीय वर्षावन' है।
    • शोलास वन तमिलनाडु और केरल राज्यों में नीलगिरि, अनामलाई, पलनी पहाड़ियों, कलक्काड़, मुंडनथुराई और कन्याकुमारी के ऊपरी इलाकों में पाए जाते हैं।
  • यह क्षेत्र वन्यजीवों से अत्यधिक समृद्ध है, जिसमें भारतीय बाइसन, हाथी, रॉक पायथन, शेर की पूँछ वाला मकाक आदि विभिन्न प्रकार के जानवर रहते हैं। यह क्षेत्र एविफौना, सरीसृप और उभयचर जीव की दृष्टि से भी समृद्ध और विविधतापूर्ण है।
  • भारतीय प्रायद्वीप का यह सिरा उपमहाद्वीप के तीनों विशाल महासागरों - बंगाल की खाड़ी, हिंद महासागर और अरब सागर से घिरा एक अनूठा भौगोलिक क्षेत्र है।

तमिलनाडु में संरक्षित क्षेत्र

विगत वर्षों के प्रश्न

हाल ही में हमारे वैज्ञानिकों ने केले के पौधे की एक नई और भिन्न जाति की खोज की है जिसकी ऊँचाई लगभग 11 मीटर तक होती है और उसके फल का गूदा नारंगी रंग का होता है। यह भारत के किस भाग में खोजी गई है?

(a) अंडमान द्वीप
(b) अन्नामलाई वन
(c) मैकाल पहाड़ियाँ
(d) पूर्वोतर उष्णकटिबंधीय वर्षावन

उत्तर: (a) 

स्रोत- द हिंदू

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