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फुली एक्सेसिबल रूट (FAR) बॉण्ड

  • 04 Dec 2025
  • 46 min read

स्रोत: ET

फुली एक्सेसिबल रूट (FAR) के योग्य बॉण्ड के माध्यम से विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) नवंबर में ₹5,760 करोड़ रहा, जिसने भारत के ऋण बाज़ार और FPI भागीदारी को प्रभावित करने वाले कारकों की ओर ध्यान आकर्षित किया।

फुली एक्सेसिबल रूट (FAR) क्या है?

  • परिचय: FAR, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा वर्ष 2020 में शुरू किया गया एक ढाँचा है, जो चुने हुए भारत सरकार के प्रतिभूतियों में अनियंत्रित विदेशी निवेश की अनुमति देता है, जिन्हें FAR बॉण्ड कहा जाता है।
  • प्रमुख विशेषताऐं:
    • कोई निवेश सीमा नहीं: FAR के तहत, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI), अप्रवासी भारतीय (NRI), भारतीय मूल के ओवरसीज़ नागरिक (OCI) और अन्य पात्र संस्थाएँ इन सरकारी प्रतिभूतियों में मात्रात्मक सीमाओं के बिना निवेश कर सकते हैं।
    • ओपन एक्सेस: ये बॉण्ड मुफ्त खरीद–बिक्री की सुविधा प्रदान करते हैं, जिससे ये वैश्विक निवेशकों के लिये अधिक आकर्षक बन जाते हैं।”
  • महत्त्व: FAR बॉण्ड भारत के ऋण बाज़ार को अधिक प्रतिस्पर्द्धी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दृष्टिगोचर बनाने में महत्त्वपूर्ण हैं।
    • वर्ष 2024 में जेपी मॉर्गन ने 29 भारतीय FAR-निर्धारित सरकारी प्रतिभूतियों (G-secs) को अपने इमर्जिंग मार्केट बॉण्ड इंडेक्स (EMBI) में शामिल किया, जो किसी प्रमुख वैश्विक बॉन्ड बेंचमार्क में भारत की पहली प्रविष्टि को चिह्नित करता है।
    • शामिल होने से भारतीय सरकारी बॉण्ड में महत्त्वपूर्ण विदेशी निवेश प्रवाह आने की उम्मीद है।

भारतीय ऋण में विदेशी निवेश के अन्य मार्ग

  • जनरल रूट (GR): यह वह सामान्य मार्ग है जिसका उपयोग FPI कॉर्पोरेट बॉण्ड में निवेश के लिये करते हैं। FAR के विपरीत यह मात्रात्मक सीमाओं के अधीन होता है।
  • वॉलंटरी रिटेंशन रूट (VRR): यह RBI का एक विशेष ढाँचा है जो FPI को कम नियामक प्रतिबंधों के साथ भारत के ऋण में निवेश करने की अनुमति देता है, यदि वे अपनी निवेश राशि का न्यूनतम हिस्सा एक निश्चित अवधि के लिये भारत में बनाए रखने हेतु स्वेच्छा से प्रतिबद्ध होते हैं।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI)

  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI): यह किसी देश की वित्तीय परिसंपत्तियों जैसे शेयरों और बॉण्ड में किये गए विदेशी निवेश को संदर्भित करता है, जिसमें निवेशक को किसी व्यवसाय पर नियंत्रण नहीं मिलता।
    • यह निष्क्रिय, अल्पकालिक प्रकृति का होता है तथा इसका उद्देश्य पूंजी लाभ और विविधीकरण होता है।
    • FPI बाज़ार की तरलता (Liquidity) में सुधार करता है और निवेशकों के विश्वास को दर्शाता है।
    • भारत में किसी भी कंपनी के शेयरों में 10% तक की हिस्सेदारी रखने पर भी इसे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नहीं माना जाता।
  • भारत में FPI भागीदारी को प्रभावित करने वाले कारक:
    • ब्याज दर अंतर: अन्य उभरते बाज़ारों की तुलना में भारत में उच्च बॉण्ड प्रतिफल विदेशी निवेशकों के लिये भारतीय परिसंपत्तियों को अधिक आकर्षक बनाते हैं।
    • विनिमय दर स्थिरता: रुपये की स्थिर या सराहनात्मक विनिमय दर FPI प्रवाह को बढ़ावा देती है, जबकि तीव्र अवमूल्यन से FPI का बहिर्वाह होता है।
    • मौद्रिक नीति की अपेक्षाएँ: RBI द्वारा दर कटौती, खुला बाज़ार परिचालन (OMO) या तरलता समर्थन की संभावनाएँ निवेशक भावना को प्रभावित करती हैं।
    • सॉवरेन रेटिंग्स और इंडेक्स में शामिल होना: भारत की प्रमुख वैश्विक बॉण्ड सूचियों (जैसे ब्लूमबर्ग ग्लोबल एग्रीगेट इंडेक्स) में संभावित समावेश प्रारंभिक, अग्रिम प्रवाह को प्रोत्साहित करता है।
    • नियामक परिवेश: उदार नीतियाँ, जैसे कि FAR निवेश और पुनःप्रवर्तन की प्रक्रिया को सरल बनाती हैं।
FPI_FDI

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. FAR बॉण्ड क्या हैं?
FAR बॉण्ड भारत सरकार की वे प्रतिभूतियाँ हैं जिन्हें फुली एक्सेसिबल रूट (FAR) (RBI, 2020) के तहत अधिसूचित किया गया है। इन बॉण्ड में विदेशी निवेश पर कोई मात्रात्मक सीमा नहीं होती, जिससे निवेशकों को बेहतर बाज़ार पहुँच और पुनःप्रवर्तन की प्रक्रिया को सरल बनाती हैं।

2. FAR बॉण्ड FPI प्रवाह को कैसे प्रभावित करते हैं?
FAR भारतीय सरकारी बॉण्ड (G-secs) को वैश्विक निवेशकों और इंडेक्स फंड्स के लिये अधिक आकर्षक बनाता है, जिससे FPI प्रवाह बढ़ता है और बॉण्ड बाज़ार की तरलता में सुधार होता है।

3. वालंटियर रिटेंशन रूट (VRR) क्या है?
VRR भारतीय रिज़र्व बैंक की एक योजना है, जिसमें FPI को अपनी निवेश राशि का एक निश्चित हिस्सा तय अवधि तक बनाए रखने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है। बदले में उन्हें कुछ नियामकीय मानदंडों में छूट मिलती है और इसका उद्देश्य दीर्घकालिक पूंजी प्रवाह को बढ़ाना है।

सारांश

  • फुली एक्सेसिबल रूट (FAR), जिसे RBI ने वर्ष 2020 में पेश किया, चुनिंदा भारत सरकार की प्रतिभूतियों में अनियंत्रित विदेशी निवेश की अनुमति देता है।
  • FAR बॉण्ड ने भारत की वैश्विक ऋण दृश्यता को बढ़ाया है और जेपी मॉर्गन ने वर्ष 2024 में अपने इमरजिंग मार्केट बॉण्ड इंडेक्स में 29 FAR-निर्धारित सरकारी बॉण्ड शामिल किये हैं।
  • FPI पर ब्याज दर अंतर, रुपये की स्थिरता, मौद्रिक नीति की अपेक्षाएँ और वैश्विक इंडेक्स में शामिल होना जैसे कारक प्रभाव डालते हैं।
  • FAR, GR और VRR जैसे ढाँचों के संयुक्त प्रभाव से भारत में विदेशी निवेशकों की भागीदारी बढ़ रही है तथा देश का ऋण बाज़ार अधिक सुदृढ़ एवं व्यापक बन रहा है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रिलिम्स 

प्रश्न. भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि में निम्नलिखित में से कौन-सा एक मदसमूह सम्मिलित है? (2013)   

(a) विदेशी मुद्रा परिसम्पत्ति, विशेष आहरण अधिकार (एस० डी० आर०) तथा विदेशों से ऋण

(b) विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा धारित स्वर्ण तथा विशेष आहरण अधिकार (एस० डी० आर०)

(c) विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, विश्व बैंक से ऋण तथा विशेष आहरण अधिकार (एस० डी० आर०)

(d) विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा धारित स्वर्ण तथा विश्व बैंक से ऋण

उत्तर: (b) 


प्रश्न. भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सी उसकी प्रमुख विशेषता मानी जाती है ? (2020)   

(a) यह मूलतः किसी सूचीबद्ध कंपनी में पूंजीगत साधनों द्वारा किया जाने वाला निवेश है।

(b) यह मुख्यतः ऋण सृजित न करने वाला पूंजी प्रवाह है।

(c) यह ऐसा निवेश है जिससे ऋण-समाशोधन अपेक्षित होता है।

(d) यह विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में किया जाने वाला निवेश है।

उत्तर: (b)  

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