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केरल में चमगादड़ों से जुड़े मिथक

  • 15 Apr 2024
  • 2 min read

स्रोत:  द हिंदू

हाल ही में केरल के शोधकर्त्ताओं ने चमगादड़ वर्गीकरण (Taxonomy), ध्वनिकी (Acoustics) और जैवभूगोल (Biogeography) पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये हैं।

  • मिथक (Myth), अंधविश्वास और कोविड-19 तथा निपाह वायरस संक्रमण जैसी ज़ूनोटिक बीमारियों ने चमगादड़ों के बारे में नकारात्मक धारणा बनाई है।
  • इस परियोजना का उद्देश्य उभरती ज़ूनोटिक बीमारियों और चमगादड़ों की आबादी के सामने आने वाले खतरों से निपटना है, जिसमें निवास स्थान की हानि तथा फलों के चमगादड़ों के निवास स्थान का समाप्त होना शामिल है।
  • केरल के शोधकर्त्ता भी वर्ष 1996 से चल रहे राष्ट्रीय चमगादड़ निगरानी कार्यक्रम (National Bat Monitoring Programme) का समर्थन कर रहे हैं।
    • यह हमें चमगादड़ों के संरक्षण में सहायता के लिये आवश्यक जानकारी देता है।

चमगादड़ (Bats):

  • भारत चमगादड़ों की 135 प्रजातियों का घर है। चमगादड़ रात्रिचर (nocturnal) प्राणी हैं।
  • चमगादड़ आम तौर पर फलों को खाते हैं, बीज फैलाव द्वारा परागण में मदद करते हैं, लेकिन कृषि को नुकसान भी पहुँचाते हैं और इसलिये उन्हें कीट (vermin) माना जाता है।
  • अवैध शिकार, माँस की खपत, पारंपरिक दवाओं में उपयोग, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण प्रदूषण और जैविक आक्रमण के कारण दुनिया भर में चमगादड़ों की आबादी में गिरावट आई है।

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