प्रारंभिक परीक्षा
विमुद्रीकरण और मुद्रा आपूर्ति
- 10 Nov 2025
- 52 min read
चर्चा में क्यों?
RBI के आँकड़ों के अनुसार, जनता के पास मुद्रा {कुल प्रचलन में मुद्रा (CIC) में से बैंकों के पास मौजूद नकदी को घटाकर} वर्ष 2016 के विमुद्रीकरण के बाद से दोगुनी से अधिक हो गई है, जो ₹ 17.97 लाख करोड़ (नवंबर 2016) से बढ़कर ₹ 37.29 लाख करोड़ (अक्तूबर 2025) हो गई है।
- हालाँकि, कुल राशि में वृद्धि के बावजूद, मुद्रा-से-GDP अनुपात विमुद्रीकरण से पहले के स्तर से नीचे आ गया है, जो मज़बूत आर्थिक वृद्धि और डिजिटल भुगतान के बढ़ते उपयोग को दर्शाता है।
वर्ष 2016 का विमुद्रीकरण क्या था?
- परिचय: 8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि ₹500 और ₹1,000 के नोट, जो कुल प्रचलित मुद्रा का लगभग 86% थे, मध्यरात्रि से वैध मुद्रा (Legal Tender) नहीं रहेंगे। इस कदम का उद्देश्य काले धन पर अंकुश लगाना, नकली मुद्रा को रोकना, डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित करना और अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाना था।
- ₹500 और ₹1,000 के नोटों की वापसी के बाद नवंबर 2016 में ₹2000 का नोट जारी किया गया था। मई 2023 में ₹2000 के नोटों को प्रचलन से वापस ले लिया गया, लेकिन वे अभी भी वैध मुद्रा (अर्थात् ऐसे पैसे जिन्हें लेन-देन में स्वीकार करना कानूनी रूप से अनिवार्य है) बने हुए हैं।
- विमुद्रीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोई देश किसी मुद्रा इकाई की वैध मुद्रा की स्थिति को वापस ले लेता है, जिसका अर्थ है कि बैंक नोट या सिक्के अब लेन-देन के लिये आधिकारिक तौर पर स्वीकार नहीं किये जाते हैं।
- कानूनी आधार: ₹500 और ₹1,000 के नोटों को अमान्य घोषित करने वाली अधिसूचना भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 26(2) के तहत जारी की गई थी। यह धारा केंद्र सरकार को यह अधिकार देती है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के केंद्रीय निदेशक मंडल की सिफारिश पर, किसी भी मूल्य वर्ग की नोट शृंखला को वैध मुद्रा के रूप में अमान्य घोषित किया जा सकता है।
- न्यायिक दृष्टिकोण: विवेक नारायण शर्मा बनाम भारत संघ (2023) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने 4:1 के विभाजित निर्णय में केंद्र सरकार के वर्ष 2016 के विमुद्रीकरण निर्णय को बरकरार रखा। न्यायालय ने माना कि यह कदम अपने घोषित उद्देश्यों के अनुरूप था और इसे उचित तरीके से लागू किया गया था।
- प्रभाव:
- आर्थिक अव्यवस्था: इससे व्यापक अव्यवस्था उत्पन्न हुई जैसे कि माँग में गिरावट आई, व्यवसायों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, GDP में 1.5% की कमी दर्ज की गई, लघु एवं मध्यम उद्योगों (SME) पर गंभीर प्रभाव पड़ा और जनता को अमान्य नोटों के विनिमय के लिये लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ा।
- डिजिटल पहुँच का विस्तार: UPI ने डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा दिया है, जिसके परिणामस्वरूप FY25 में 185.9 अरब लेन-देन दर्ज किये गए। FY23 से FY25 के बीच UPI लेन-देन 49% की वार्षिक संयुक्त वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ा है, जो टियर-2 और टियर-3 शहरों में तेज़ी से हुई स्वीकृति को दर्शाता है।
- GDP के अनुपात में CIC (Currency in Circulation) का निम्न स्तर: CIC-से-GDP अनुपात 2016 के 12.1% से घटकर 2025 में 11.11% हो गया है, जो दर्शाता है कि 6% से अधिक वार्षिक वृद्धि कर रही अर्थव्यवस्था अब नकदी पर अपनी निर्भरता कम कर रही है।
- हालाँकि भारत का मुद्रा-GDP अनुपात (11.11%) अभी भी अमेरिका (7.96%), चीन (9.5%), यूरोज़ोन (8–10%) और जापान (9–11%) की तुलना में काफी अधिक है। इसका प्रमुख कारण देश में व्यापक अनौपचारिक क्षेत्र और नकद लेन-देन के प्रति सामाजिक-पारंपरिक झुकाव है।
- मुद्रा-GDP अनुपात यह दर्शाता है कि देश की कुल आर्थिक उत्पादन की तुलना में प्रचलन में कितनी भौतिक नकदी मौजूद है।
- हालाँकि भारत का मुद्रा-GDP अनुपात (11.11%) अभी भी अमेरिका (7.96%), चीन (9.5%), यूरोज़ोन (8–10%) और जापान (9–11%) की तुलना में काफी अधिक है। इसका प्रमुख कारण देश में व्यापक अनौपचारिक क्षेत्र और नकद लेन-देन के प्रति सामाजिक-पारंपरिक झुकाव है।
भारत में मुद्रा आपूर्ति के माप
- भारत में, मुद्रा आपूर्ति को M1, M2, M3 और M4 के आधार पर मापा जाता है, जो कि अप्रैल, 1977 में RBI द्वारा शुरू किया गया एक वर्गीकरण है। तब से, RBI नियमित रूप से निम्नलिखित चार मापों पर आँकड़े प्रकाशित करता रहा है:
- M1 (संकीर्ण मुद्रा) में शामिल हैं:
- जनता के पास मुद्रा (नोट और सिक्के, बैंकों की नकदी को छोड़कर)
- बैंकिंग प्रणालियों के पास माँग जमा (अंतर-बैंक जमा को छोड़कर)
- RBI के पास अन्य जमा (विदेशी केंद्रीय बैंकों, वित्तीय संस्थानों, आदि से)
- M2: मुद्रा आपूर्ति का दूसरा माप M2 है, जिसमें M1 के साथ डाकघर बचत बैंक जमा शामिल हैं।
- M3: मुद्रा आपूर्ति का तीसरा माप M3 (व्यापक मुद्रा) है, जिसमें M1 के साथ वाणिज्यिक और सहकारी बैंकों के पास सावधि जमा शामिल हैं, जिसमें अंतर-बैंक सावधि जमा शामिल नहीं हैं।
- M4: मुद्रा आपूर्ति का चौथा माप M4, M3 के साथ सभी डाकघर जमा (सावधि और माँग जमा दोनों) शामिल हैं तथा यह मुद्रा आपूर्ति का सबसे व्यापक माप है।
- M1 (संकीर्ण मुद्रा) में शामिल हैं:
- भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किये गए मुद्रा आपूर्ति के चार मापों में, M3 को विशेष महत्त्व प्राप्त है तथा वार्षिक व्यापक आर्थिक उद्देश्यों के निर्धारण में इसका उपयोग किया जाता है। मौद्रिक प्रणाली के कार्यों की समीक्षा करने के लिये गठित चक्रवर्ती समिति (1982–85) ने भी मौद्रिक लक्ष्य-निर्धारण के लिये M3 का उपयोग करने की सिफारिश की थी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. "जनता के पास मुद्रा" क्या है?
जनता के पास मुद्रा = प्रचलन में मुद्रा (CIC) घटा बैंकों के पास नकदी; यह लेन-देन के लिये भौतिक रूप से उपयोग किये जाने वाले नोटों और सिक्कों का प्रतिनिधित्व करता है।
2. वर्ष 2016 के नोटबंदी को किस कानूनी प्रावधान का समर्थन प्राप्त था?
वर्ष 2016 के नोट अमान्यकरण को RBI अधिनियम, 1934 की धारा 26(2) के तहत अधिसूचित किया गया था, जो केंद्र सरकार को RBI की सिफारिश पर किसी भी शृंखला के बैंक नोटों को गैर-कानूनी निविदा घोषित करने की अनुमति देता है।
3. भारत का मुद्रा-GDP अनुपात अमेरिका और चीन से अधिक क्यों है?
भारत का बढ़ा हुआ अनुपात (11.11%) मुख्य रूप से इसकी बड़ी अनौपचारिक अर्थव्यवस्था और भौतिक नकदी रखने की मज़बूत सांस्कृतिक प्राथमिकता के कारण है, जो अमेरिका तथा चीन की अधिक औपचारिक एवं डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं के विपरीत है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रश्न. निम्नलिखित उपायों में से किसके/किनके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति में वृद्धि होगी? (2012)
- केंद्रीय बैंक द्वारा लोगों से सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय
- लोगों द्वारा वाणिज्यिक बैंको में जमा की गई करेंसी
- सरकार द्वारा केंद्रीय बैंक से लिया गया ऋण
- केंद्रीय बैंक द्वारा लोगों को सरकारी प्रतिभूतियों का विक्रय
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1 और 3
(d) केवल 2, 3 और 4
उत्तर: (c)
प्रश्न. द्रव्य की पूर्ति यथावत् रहने पर यदि द्रव्य की मांग में वृद्धि होती है, तो (2013)
(a) कीमत-स्तर में गिरावट आ जाएगी
(b) ब्याज की दर में वृद्धि हो जाएगी
(c) ब्याज की दर में कमी हो जाएगी
(d) आय और रोज़गार के स्तर में वृद्धि हो जाएगी
उत्तर: (b)
प्रश्न. सामान्य कीमत-स्तर में बढ़ोतरी निम्नलिखित में से किस/किन कारण/कारणों से हो सकती है/हैं?(2013)
1. द्रव्य की पूर्ति में वृद्धि
2. उत्पादन के समग्र स्तर में गिरावट
3. प्रभावी मांग में वृद्धि
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
