रैपिड फायर
भारत में प्रमुख क्षेत्रों का डीकार्बोनाइज़ेशन
- 03 Sep 2025
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सामाजिक एवं आर्थिक प्रगति केंद्र (CSEP) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के हालिया अध्ययन के अनुसार, भारत को वर्ष 2030 तक ऊर्जा, इस्पात, सीमेंट और सड़क परिवहन क्षेत्रों का डीकार्बोनाइज़ेशन करने के लिये 467 बिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी। ये क्षेत्र CO2 उत्सर्जन में 50% से अधिक का योगदान करते हैं।
मुख्य क्षेत्रों का डीकार्बोनाइज़ेशन
क्षेत्र |
अतिरिक्त वित्तपोषण एवं प्रमुख डीकार्बोनाइज़ेशन उपाय |
इस्पात (Steel) |
251 बिलियन अमेरिकी डॉलर, कार्बन कैप्चर एवं स्टोरेज (CCS), ग्रीन हाइड्रोजन की ओर बदलाव, ऊर्जा दक्षता। |
सीमेंट (Cement) |
141 बिलियन अमेरिकी डॉलर, CCS, वैकल्पिक ईंधन, क्लिंकर प्रतिस्थापन। |
ऊर्जा/विद्युत (Electricity) |
47 बिलियन अमेरिकी डॉलर, नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार (सौर, पवन), ग्रिड का आधुनिकीकरण। |
सड़क परिवहन (Road Transport) |
18 बिलियन अमेरिकी डॉलर, विद्युत वाहन, जैव ईंधन, चार्जिंग अवसंरचना। |
डीकार्बोनाइज़ेशन और भारत का लक्ष्य
- डीकार्बोनाइज़ेशन: वैश्विक तापमान को कम करने और नेट-ज़ीरो उत्सर्जन हासिल करने के लिये CO₂ उत्सर्जन में व्यवस्थित कमी लाना।
- केवल इस्पात, सीमेंट और ऊर्जा क्षेत्रों का डीकार्बोनाइज़ेशन करके ही वर्ष 2030 तक लगभग 6.9 बिलियन टन CO₂ उत्सर्जन को कम किया जा सकता है।
- भारत के वर्ष 2030 डीकार्बोनाइज़ेशन लक्ष्य: ग्लासगो में आयोजित COP26 (2021) में भारत ने अपनी पंचामृत (Panchamrit) जलवायु कार्ययोजना प्रस्तुत की, जिसमें पाँच प्रमुख लक्ष्य शामिल हैं:
- वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता हासिल करना।
- वर्ष 2030 तक ऊर्जा आवश्यकता का 50% नवीकरणीय स्रोतों से पूरा करना।
- वर्ष 2030 तक 1 बिलियन टन CO₂ उत्सर्जन में कमी लाना।
- वर्ष 2030 तक कार्बन तीव्रता में 45% की कटौती करना।
- वर्ष 2070 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करना।
- प्रगति:
- भारत ने अपना गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता लक्ष्य वर्ष 2024 में ही हासिल कर लिया, जो निर्धारित समय (2030) से पाँच वर्ष पहले है। कुल 484.82 गीगावाट स्थापित क्षमता में से 242.78 गीगावाट (लगभग 50%) गैर-जीवाश्म स्रोतों से है।
- भारत ने वर्ष 2030 तक 2.5-3 बिलियन टन कार्बन सिंक स्थापित करने का संकल्प लिया है। वर्ष 2021 तक भारत पहले ही 2.29 बिलियन टन हासिल कर चुका था।
- भारत ने वर्ष 2030 तक उत्सर्जन तीव्रता में 45% कमी का लक्ष्य रखा था, जिसमें से वर्ष 2020 तक पहले ही 36% उत्सर्जन तीव्रता कमी प्राप्त की जा चुकी थी।
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