इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


प्रारंभिक परीक्षा

लद्दाख में डार्क स्काई रिज़र्व

  • 05 Sep 2022
  • 7 min read

हाल ही में अपनी तरह की विशिष्ट एवं भारत के पहले डार्क स्काई रिज़र्व की विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा हानले, लद्दाख में स्थापना की घोषणा की है।

डार्क स्काई रिज़र्व

  • डार्क स्काई रिज़र्व एक ऐसे स्थान को दिया गया नाम है जिसमें यह सुनिश्चित करने के लिये नीतियाँ हैं कि किसी भूमि या क्षेत्र के एक पथ में न्यूनतम कृत्रिम प्रकाश बाधाएँ होती है।
  • इंटरनेशनल डार्क स्काई एसोसिएशन अमेरिका आधारित गैर-लाभकारी संस्था है जो स्थानों को अंतर्राष्ट्रीय डार्क स्काई प्लेस पार्क, रिज़र्व और संरक्षित क्षेत्र के रूप में नामित करती है, जो उनके द्वारा दिये गए मानदंडों पर निर्भर करती है।

 लद्दाख में डार्क रिज़र्व की प्रमुख विशेषताएँ:

  • डार्क रिज़र्व की स्थापना हेतु समझौता ज्ञापन: केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन, लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (Ladakh Autonomous Hill Development Council-LAHDC), लेह और भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA), बेंगलुरु के बीच तीन-तरफा समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए, जो दूरबीनों का उपयोग और रखरखाव करता है।
    • इसमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के हस्तक्षेप के माध्यम से स्थानीय पर्यटन और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद करने के लिये गतिविधियाँ होंगी।
  • पर्यटन को बढ़ावा: एस्ट्रो-पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये हानले के आसपास के गाँवों को टेलिस्कोप से लैस होमस्टे को बढ़ावा देने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा, जिसका उपयोग आगंतुक रात के आकाश को देखने के लिये कर सकते हैं।
    • ग्रामीणों और निवासियों को खगोलीय अवलोकन के साथ आगंतुकों की मदद करने के लिये भी प्रशिक्षित किया जाएगा।
      • सड़कों पर चित्रांकनकर्त्ता होंगे जैसे बाहरी वेधशालाओं में होता है। पर्यटक आ सकते हैं, पार्क कर सकते हैं, आकाश को देख सकते हैं और होमस्टे में रह सकते हैं।
  • वन्यजीव जागरूकता: लोगों को न केवल खगोल विज्ञान के बारे में बल्कि आसपास के चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य में वन्यजीवों और पौधों के जीवन के बारे में सूचित करने के लिये सुचना केंद्र भी स्थापित किया जाएगा।

डार्क रिज़र्व की स्थापना हेतु लद्दाख का चयन करने के प्रमुख कारण :

  • विरल जनसंख्या वाला शीत मरुस्थल: भारतीय खगोलीय वेधशाला, IIA का उच्च-ऊँचाई वाला स्टेशन, पश्चिमी हिमालय के उत्तर में समुद्र तल से 4,500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
    • चांगथांग की हानले घाटी में नीलमखुल मैदान में सरस्वती पर्वत के ऊपर स्थित, यह एक शुष्क एवं शीत रेगिस्तान (Cold Desert है, जहाँ विरल मानव आबादी है और इसके सबसे निकट हानले मठ है।
  • स्वच्छ आकाश: बादल रहित आकाश और निम्न वायुमंडलीय जल वाष्प इसे ऑप्टिकल, इन्फ्रारेड, सब-मिलीमीटर और मिलीमीटर तरंग दैर्ध्य के लिये यह विश्व के सबसे अनुकूल स्थानों में से एक है।
  • हानले वेधशाला में स्थित अन्य टेलीस्कोप: हिमालय चंद्र टेलीस्कोप (Himalayan Chandra Telescope-HCT), हाई एनर्जी गामा रे टेलीस्कोप (High Energy Gamma Ray telescope-HAGAR), मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरिमेंट टेलीस्कोप (Major Atmospheric Cherenkov Experiment Telescope-MACE) और ग्रोथ (GROWTH)-इंडिया हानले वेधशाला में स्थित प्रमुख टेलीस्कोप हैं।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रिलिम्स:

निम्नलिखित घटनाओं पर विचार कीजिये: (2018)

  1. प्रकाश गुरुत्व द्वारा प्रभावित होता है।
  2. ब्रह्मांड लगातार फैल रहा है।
  3. पदार्थ अपने चारों ओर के दिक्काल को विकुंचित (वार्प) करता है।

उपर्युक्त में से एल्बर्ट आइन्सटाइन के आपेक्षिकता के सामान्य सिद्धांत का/के भविष्यकथन कौन सा/से  हैं, जिसकी/जिनकी प्रायः समाचार माध्यमों में विवेचना होती है?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • अंतरिक्ष-समय/स्पेस-टाइम (Space-time) एक गणितीय मॉडल है जो अंतरिक्ष और समय को एक ही विचार में जोड़ता है जिसे सातत्य कहा जाता है। इस चार-आयामी सातत्य को मिंकोव्स्की (Minkowski) अंतरिक्ष के रूप में जाना जाता है। इस मॉडल के अनुसार, आइंस्टीन ने माना कि पदार्थ अपने आस-पास के अंतरिक्ष-समय को विकृत करता है। अत: कथन 3 सही है।
  • गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग के अनुसार गुरुत्वाकर्षण प्रकाश को कई दिशाओं में मोड़ देता है। जब हम आकाशगंगा का अवलोकन करते हैं तो पृथ्वी और आकाशगंगा के मध्य पदार्थ का गुरुत्वाकर्षण, प्रकाश किरणों को अलग-अलग मार्ग में मोड़ देता है। इसलिये जब ये प्रकाश दूरबीन तक पहुँचता है तो आकाशगंगा में भिन्न-भिन्न चित्र दिखाई देते हैं। अत: कथन 1 सही है।
  • वर्ष 1917 में आइंस्टीन ने अपने सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत को लागू किया और एक समरूप, स्थिर और स्थानिक रूप से घुमावदार ब्रह्मांड के एक मॉडल का सुझाव दिया। मॉडल के साथ समस्या यह थी कि यदि गुरुत्वाकर्षण ही एकमात्र सक्रिय बल होता तो ब्रह्मांड का पतन हो जाता- यह एक ऐसा विषय/मुद्दा था जिसे आइंस्टीन ने ब्रह्माण्ड संबंधी स्थिरांक के आधार पर सत्यापित किया। वर्ष 1932 तक आइंस्टीन ने एक विस्तारित ब्रह्मांड के मॉडल के विषय में बताया। अत: कथन 2 सही है।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow