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आपदा रोधी बुनियादी ढाँचे के लिये गठबंधन (CDRI)

  • 01 Jul 2022
  • 8 min read

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आपदा रोधी बुनियादी ढाँचे के लिये गठबंधन (CDRI) को "अंतर्राष्ट्रीय संगठन" के रूप में श्रेणीबद्ध करने को मंज़ूरी दे दी है। 

  • इसने मुख्यालय समझौते (Headquarters Agreement) पर हस्ताक्षर करने को भी मंज़ूरी दे दी एवं इसे संयुक्त राष्ट्र (विशेषाधिकार और उन्मुक्ति) अधिनियम, 1947 द्वारा परिकल्पित छूट, उन्मुक्ति तथा विशेषाधिकार प्रदान किया गया है, जिसका अर्थ है कि सदस्य की संपत्ति और संपत्ति जहाँ कहीं भी स्थित है और जिसके पास भी है, उसे हर प्रकार की कानूनी प्रक्रिया से छूट प्राप्त होगी, सिवाय किसी विशेष मामले को छोड़कर जिसने अपनी प्रतिरक्षा को स्पष्ट रूप से छूट प्रदान कर दिया है। 

श्रेणीबद्ध करने का महत्त्व: 

  • विशेषज्ञ परामर्श: 
    • यह अन्य देशों में विशेषज्ञों को नियुक्त करेगा, जो विशेष रूप से आपदा जोखिम के प्रति संवेदनशील हैं और/या आपदा के बाद के राहत कार्यों के लिये उन्हें समर्थन की आवश्यकता है तथा इसी तरह के उद्देश्यों के लिये सदस्य देशों के विशेषज्ञों को भारत लाएगा आदि। 
    • यह देशों को उनकी आपदा एवं जलवायु जोखिम और संसाधनों के अनुसार सहनीय अवसंरचना विकसित करने में सहायता के लिये तकनीकी विशेषज्ञता उपलब्ध कराएगा। 
    • यह सहनीय अवसंरचना के लिये उपयुक्त जोखिम रोधी शासन व्यवस्था और रणनीति अपनाने में देशों को सहायता प्रदान करेगा। 
  • वित्तपोषण और सहयोग में योगदान: 
    • यह CDRI गतिविधियों के लिये विश्व स्तर पर वित्त की उपलब्धता और सदस्य देशों से योगदान प्राप्त करने में मदद करेगा। 
    • यह सदस्य देशों को सतत् विकास लक्ष्यों (SDG), पेरिस जलवायु समझौते और आपदा जोखिम न्यूनीकरण हेतु सेंदाई फ्रेमवर्क के अनुसार उनके मौजूदा एवं भविष्य के बुनियादी ढांँचे को आपदा व जलवायु लचीलापन सुनिश्चित करने के लिये तंत्र को उन्नयन करने में हर संभव सहायता प्रदान करेगा। 
    • यह घर पर आपदा-प्रतिरोधी बुनियादी ढांँचे को बढ़ावा देने के लिये अंतर्राष्ट्रीय जुड़ाव सुनिश्चित करेगा और भारतीय वैज्ञानिक एवं तकनीकी संस्थानों के साथ-साथ बुनियादी ढांँचा विकासकर्त्ताओं को वैश्विक विशेषज्ञों के साथ बातचीत करने का अवसर प्रदान करेगा। 

आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांँचे हेतु गठबंधन (CDRI): 

  • परिचय: 
    • CDRI राष्ट्रीय सरकारों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और कार्यक्रमों, बहुपक्षीय विकास बैंकों एवं वित्तपोषण तंत्र, निजी क्षेत्र तथा शैक्षणिक वअनुसंधान संस्थानों की एक वैश्विक साझेदारी है। 
    • इसका उद्देश्य जलवायु और आपदा जोखिमों हेतु अवसंरचना प्रणालियों के लचीलेपन को बढ़ाना है, जिससे सतत् विकास सुनिश्चित हो सके। 
    • इसे 2019 में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में लॉन्च किया गया था। 
    • यह अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के बाद भारत सरकार की दूसरी प्रमुख वैश्विक पहल है, यह जलवायु परिवर्तन एवं आपदा प्रतिरोधी मुद्दों पर भारत के नेतृत्व को प्रदर्शित काती है। 
  • सदस्य: 

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (पीवाईक्यू) 

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016) 

  1. सतत् विकास लक्ष्यों को पहली बार 1972 में 'क्लब ऑफ रोम' नामक एक वैश्विक थिंक टैंक द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
  2. सतत् विकास लक्ष्यों को 2030 तक हासिल करना है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?  

(a) केवल 1   
(b) केवल 2 
(c)  1 और 2 दोनों  
(d) न तो 1 और न ही 2 

उत्तर: (b)  

  • 17 सतत् विकास लक्ष्य (SDGs), जिन्हें वैश्विक लक्ष्यों के रूप में भी जाना जाता है, गरीबी को समाप्त करने, ग्रह की रक्षा करने और सभी लोगों की शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिये कार्रवाई हेतु एक सार्वभौमिक आह्वान है। वे सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों की सफलता पर निर्भर हैं जिनमें जलवायु परिवर्तन, आर्थिक समानता, नवाचार, सतत् उपभोग, शांति और न्याय जैसे नए क्षेत्रों सहित कई अन्य प्राथमिकताएंँ शामिल हैं। 
  • लक्ष्य आपस में जुड़े हुए हैं, अक्सर एक की सफलता दूसरे मुद्दे से निपटने की कुंजी है। वर्ष 2015 में अपनाया गया, एसडीजी जनवरी 2016 में लागू हुआ। इन्हें वर्ष 2030 तक हासिल किया जाना है। अतः कथन 2 सही है। SDG को वर्ष 2012 में रियो डी जनेरियो में सतत् विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में अपनाया गया था। क्लब ऑफ रोम ने पहली बार वर्ष 1968 में अधिक व्यवस्थित तरीके से संसाधन संरक्षण की वकालत की थी। अतः कथन 1 सही नहीं है। अतः विकल्प (B) सही उत्तर है। 

स्रोत: पी.आई.बी.

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