इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


प्रारंभिक परीक्षा

अस्पतालों हेतु स्तनपान अनुकूल टैग

  • 20 Dec 2021
  • 4 min read

हाल ही में ब्रेस्टफीडिंग प्रमोशन नेटवर्क ऑफ इंडिया (BPNI) ने स्तनपान अनुकूल अस्पतालों हेतु राष्ट्रीय प्रत्यायन केंद्र (NAC) लॉन्च किया।

  • BPNI भारत में स्तनपान के संरक्षण, संवर्द्धन और समर्थन के लिये एक राष्ट्रीय संगठन है। जो स्तनपान की रक्षा, प्रचार और समर्थन तथा शिशुओं एवं छोटे बच्चों के उचित पूरक आहार की दिशा में काम करता है।

प्रमुख बिंदु 

  • परिचय:
    • यह एक नई पहल है जिसमें देश भर के अस्पतालों को ब्रेस्टफीडिंग फ्रेंडली/स्तनपान अनुकूल के रूप में प्रमाणित किया जाएगा। 
    • यह कदम नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के मद्देनज़र उठाया गया  है, जिसमें सिजेरियन डिलीवरी में और वृद्धि देखी गई है।
      • एक सीज़ेरियन डिलीवरी जिसे सी-सेक्शन भी कहा जाता है, एक शल्य प्रक्रिया है, इसे तब किया जाता है जब प्राकृतिक डिलीवरी सुरक्षित नहीं होती है। 
    • इसका उद्देश्य अस्पतालों के लिये नीति, कार्यक्रमों और प्रथाओं को निर्धारित करना है।
    • यह नवजात मृत्यु दर को कम करने में मदद करेगा और हमारी शिशु मृत्यु दर (IMR) में सुधार करेगा।
      • शिशु मृत्यु दर को जन्म के पहले 28 दिनों के भीतर मृत्यु के रूप में परिभाषित किया जाता है।
  • स्तनपान का महत्त्व:
    • यह माताओं और शिशुओं दोनों के लिये इष्टतम है। यह शिशुओं को संक्रमण से बचाता है और बाद में होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं जैसे- मधुमेह, मोटापा और अस्थमा की दर को कम कर सकता है। 
      • माता के दूध में मौजूद प्रोटीन फार्मूला, गाय के दूध के बजाय बच्चे द्वारा आसानी से पचा लिया जाता है। साथ ही माता के दूध में मौजूद कैल्शियम और आयरन का पाचन अधिक आसानी से होता है।
    • ऐसा कहा जाता है कि इससे स्तनपान कराने वाली माताओं के गर्भाशय को सिकुड़ने में मदद मिलती है और प्रसव के बाद होने वाला रक्तस्राव अधिक तेज़ी से बंद हो जाता है। इसके अलावा यह स्तन और डिम्बग्रंथि के कैंसर के खतरे को कम करता है तथा माताओं का अपने बच्चों के साथ एक अच्छा बंधन बनाने में मदद करता है।
  • संबंधित डेटा:
    • नवीनतम NFHS (2019-21) के अनुसार, केवल 41.8% माताएँ जन्म के पहले घंटे के भीतर स्तनपान कराने और जन्म के तुरंत बाद नवजात शिशु की त्वचा से त्वचा का संपर्क स्थापित करने में सक्षम हैं। इसका मतलब है कि 58% माताएँ सक्षम नहीं हैं।
    • प्रतिवर्ष लगभग 24.5 मिलियन जन्मों में से 14.2 मिलियन बच्चे माँ के दूध और माताएँ इसके लाभों से वंचित हैं, ये माँ और बच्चे के मानवाधिकारों का उल्लंघन है।

संबंधित सरकारी पहल

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2