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अग्निशोध और प्रोजेक्ट संभव

  • 06 Aug 2025
  • 14 min read

स्रोत: पी. आई. बी.

सेनाध्यक्ष (COAS), जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने IIT मद्रास परिसर में भारतीय सेना अनुसंधान प्रकोष्ठ (Indian Army Research Cell- IARC) 'अग्निशोध' का उद्घाटन किया। COAS ने सुरक्षित संचार के लिये एक प्रमुख तकनीकी पहल के रूप में प्रोजेक्ट संभव (सिक्योर आर्मी मोबाइल भारत विज़न) पर भी प्रकाश डाला।

अग्निशोध

  • अग्निशोध शैक्षणिक अनुसंधान और सैन्य आवश्यकताओं के बीच एक सेतु का काम करता है, तथा प्रयोगशाला स्तर के नवाचारों को क्षेत्र-तैयार रक्षा प्रौद्योगिकियों में परिवर्तित करता है।
    • यह भारतीय सेना के परिवर्तन के पाँच स्तंभों के अनुरूप है, जिसमें प्रौद्योगिकी अवशोषण, संरचनात्मक परिवर्तन, मानव संसाधन विकास और तीनों सेवाओं के बीच सामंजस्य बढ़ाना शामिल है।
  • अग्निशोध कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम कंप्यूटिंग, साइबर सुरक्षा, वायरलेस संचार और मानव रहित प्रणालियों जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है।
    • यह उभरते हुए क्षेत्रों में सैन्य कर्मियों को उन्नत कौशल प्रदान करने का भी लक्ष्य रखता है, ताकि एक तकनीकी रूप से सक्षम रक्षा बल तैयार किया जा सके।
  • अग्निशोध आधुनिक और मनोवैज्ञानिक युद्ध पर सेना के फोकस और INDIAai तथा चिप-टू-स्टार्टअप जैसे राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी मिशनों के माध्यम से आत्मनिर्भरता के लियेइसके प्रयास को दर्शाता है।

प्रोजेक्ट संभव 

  • भारतीय सेना के "2024 वर्ष - प्रौद्योगिकी आत्मसात" (Year of Technology Absorption) के तहत शुरू किया गया संभव एक सुरक्षित, 5G-आधारित, नेटवर्क-एग्नॉस्टिक मोबाइल सिस्टम है।
  • यह प्रणाली गतिशीलता के दौरान भी त्वरित और एन्क्रिप्टेड संचार को संभव बनाती (यहाँ तक कि दूरदराज़ या उच्च-जोखिम वाले अभियान क्षेत्रों  में भी) है।
  • संभव को युद्धक्षेत्र संचार को अधिक तेज़, सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने के लिये डिज़ाइन किया गया है।

और पढ़ें: भारत में सामरिक रक्षा प्रौद्योगिकियाँ

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