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चुंबकीय क्षेत्र मापन में प्रगति

  • 11 Jul 2025
  • 4 min read

स्रोत: पी.आई.बी

रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI) के वैज्ञानिकों ने रमन-ड्रिवन स्पिन नॉइज़ स्पेक्ट्रोस्कोपी (RDSNS) नामक एक तकनीक विकसित की है, जिसे ऑल-ऑप्टिकल क्वांटम मैग्नेटोमीटर में शामिल कर चुंबकीय क्षेत्र के मापन को बेहतर बनाया जा सकता है।

RDSNS (रमन-ड्रिवन स्पिन नॉइज़ स्पेक्ट्रोस्कोपी):

  • परिचय: RDSNS एक उन्नत ऑल-ऑप्टिकल तकनीक है, जो लेज़र प्रकाश और रुबिडियम परमाणुओं का उपयोग करके चुंबकीय क्षेत्रों को मापने के लिये विकसित की गई है।
    • परमाणु स्वाभाविक रूप से सूक्ष्म और अनियमित स्पिन गतिविधियाँ प्रदर्शित करते हैं, जिन्हें स्पिन नॉइज़ कहा जाता है।
    • जब ये परमाणु किसी चुंबकीय क्षेत्र के संपर्क में आते हैं, तो इस शोर के पैटर्न में परिवर्तन आता है।
    • लेज़र प्रकाश के माध्यम से इन परिवर्तनों का पता लगाकर वैज्ञानिक बिना परमाणुओं को बाधित किये चुंबकीय क्षेत्र को माप सकते हैं।
  • मुख्य लाभ:
    • यह तकनीक बिना चुंबकीय परिरक्षण (shield-free) के भी कार्य कर सकती है।
    • यह कॉम्पैक्ट, पोर्टेबल और फील्ड में इस्तेमाल योग्य होती है।
    • इसमें विस्तृत डायनामिक रेंज और उच्च संवेदनशीलता होती है।
    • यह बाहरी या शोरयुक्त वातावरण में भी प्रभावी रूप से कार्य करती है तथा विद्युत एवं यांत्रिक हस्तक्षेप के प्रति प्रतिरोधी होती है।
  • अनुप्रयोग: RDSNS का उपयोग चिकित्सीय इमेजिंग (MRI के विकल्प के रूप में), भूवैज्ञानिक सर्वेक्षणों (खनिजों की पहचान), अंतरिक्ष अन्वेषण (ग्रहों के चुंबकीय क्षेत्र) और क्वांटम अनुसंधान (परमाणु और स्पिन अध्ययन) में किया जा सकता है।

मैग्नेटोमीटर:

  • परिचय: मैग्नेटोमीटर एक ऐसा उपकरण है जिसका उपयोग चुंबकीय क्षेत्रों की तीव्रता और दिशा मापने के लिये किया जाता है। इसका उपयोग सामान्यतः चिकित्सीय इमेजिंग, नेविगेशन और पृथ्वी/अंतरिक्ष अध्ययन में किया जाता है।
    • महासागर अन्वेषण में, यह जहाज़ों के अवशेषों, विमान के मलबे और समुद्र तल पर भू-वैज्ञानिक विशेषताओं का पता लगाने में सहायता करता है।
  • कार्यप्रणाली: पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र इसके बाह्य कोर में मौजूद पिघले हुए लोहे और निकल के कारण उत्पन्न होता है तथा यह स्थान के अनुसार बदलता रहता है।
    • मैग्नेटोमीटर इस बदलाव का पता चुंबकीय रीडिंग (सामान्यतः 1 हर्ट्ज़ पर) रिकॉर्ड करके लगाते हैं। जब यह उपकरण लोहे जैसे पदार्थों (जैसे लंगर, मलबा या बेसाल्ट) से टकराता है, तो यह चुंबकीय विसंगतियाँ यानी क्षेत्र में अचानक और अप्रत्याशित बदलाव को पहचान लेता है।
  • आधुनिक मैग्नेटोमीटर: आधुनिक मैग्नेटोमीटर जैसे कि ऑप्टिकली पंप्ड एटॉमिक मैग्नेटोमीटर (OPAMs) और स्पिन-एक्सचेंज रिलैक्सेशन-फ्री (SERF) उपकरण, लेज़र प्रकाश तथा क्षारीय धातु परमाणुओं (जैसे रुबिडियम) का उपयोग करके चुंबकीय क्षेत्रों को अत्यधिक संवेदनशीलता के साथ मापते हैं।
  • हालाँकि, इन्हें संचालित करने के लिये महँगे चुंबकीय परिरक्षण की आवश्यकता होती है, ये केवल शोर-रहित प्रयोगशाला स्थितियों में ही कार्य करते हैं और इनकी पता लगाने की सीमा सीमित होती है।

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