इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


प्रारंभिक परीक्षा

वायु प्रदूषण से निपटने के लिये प्रौद्योगिकी नवाचार

  • 09 Aug 2023
  • 8 min read

हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में भारत में वायु प्रदूषण से निपटने के लिये विभिन्न प्रौद्योगिकियों के उपयोग से संबंधित परियोजनाओं पर महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।

वायु प्रदूषण: 

  • वायु प्रदूषण से आशय मानवीय गतिविधियों और प्राकृतिक प्रक्रियाओं, हानिकारक पदार्थों के कारण पृथ्वी के वायुमंडल का अपने प्राकृतिक स्तर से अधिक दूषित होने से है।
    • इसका स्रोत औद्योगिक उत्सर्जन, वाहन से निकलने वाले धुएँ, कृषि प्रथाएँ और प्राकृतिक घटनाएँ होती हैं, जिससे वायु गुणवत्ता, मानव कल्याण, पारिस्थितिकी तंत्र तथा पृथ्वी के समग्र स्वास्थ्य पर व्यापक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • सामान्य वायु प्रदूषकों में PM2.5, PM10, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) और नाइट्रिक ऑक्साइड (NOx), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) आदि शामिल हैं।

वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिये उपयोग की जाने वाली प्रौद्योगिकी आधारित विभिन्न परियोजनाएँ: 

  • बसों में परियायंत्र फिल्ट्रेशन इकाइयों (Pariyayantra Filtration Units) की स्थापना: एक प्रायोगिक अध्ययन के हिस्से के रूप में 30 बसों की छतों पर परियायंत्र फिल्ट्रेशन इकाइयों को इनस्टॉल किया गया।
    • इन इकाइयों को आसपास के वातावरण से धूल के कणों (वाहनों पर लगे फिल्टर के माध्यम से) को प्रभावी ढंग से पकड़ने के लिये डिज़ाइन किया गया था, ताकि वायु प्रदूषण के स्तर में वाहनों की आवाजाही के योगदान को कम किया जा सके।
    • इसे संचालित करने के लिये किसी विद्युत की आवश्यकता नहीं होती है और यह 6 रूम एयर फिल्टर द्वारा प्रदान किये गए निस्पंदन के बराबर है।
  • यातायात चौराहों पर ‘WAYU’ वायु शोधन इकाइयाँ: दिल्ली के प्रमुख यातायात चौराहों पर रणनीतिक रूप से कुल 54 ‘WAYU’ वायु शोधन इकाइयाँ स्थापित की गई हैं।
    • आसपास की वायु को शुद्ध करने के लिये डिज़ाइन की गई इन इकाइयों ने वायु की गुणवत्ता पर वाहनों के उत्सर्जन के प्रभाव को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • WAYU इकाइयों ने स्थानीय वायु शोधक के रूप में काम किया, जो यातायात से संबंधित प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभावों से निपटान हेतु एक संभावित समाधान पेश करती हैं।
  • परिवेशी वायु प्रदूषण में कमी के लिये आयनीकरण तकनीक: इस तकनीक का उद्देश्य आयनीकरण प्रक्रियाओं के माध्यम से प्रदूषकों को निष्प्रभावी करना है जिससे लक्षित क्षेत्रों में वायु की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
    • इस अध्ययन ने आयनीकरण प्रौद्योगिकी की व्यवहार्यता और प्रभाव का मूल्यांकन किया, जिससे संभावित रूप से प्रदूषण में कमी के नए रास्ते खुल गए।
  • मध्यम/बड़े पैमाने के स्मॉग टावरों की स्थापना: पर्याप्त वायु शोधक के रूप में कार्य करने वाले इन टावरों का लक्ष्य व्यापक पैमाने पर कण पदार्थ और प्रदूषकों को कम करना है
  • उपयोग में आने वाले वाहनों में उत्सर्जन नियंत्रण उपकरणों की रेट्रोफिटिंग: पुराने वाहन, विशेष रूप से BS III जैसे पुराने उत्सर्जन मानकों का पालन करने वाले वायु प्रदूषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • ऐसे वाहनों में उत्सर्जन नियंत्रण उपकरणों को रेट्रोफिटिंग की व्यवहार्यता और प्रभावशीलता का आकलन करने के लिये पायलट परियोजना शुरू की गई थी।
      • इस परियोजना का उद्देश्य वायु गुणवत्ता में सुधार के व्यापक प्रयासों के अनुरूप इन वाहनों से होने वाले उत्सर्जन में कमी के लिये सिफारिशें प्रदान करना है।
  • वायु गुणवत्ता निगरानी के लिये स्वदेशी फोटोनिक प्रणाली: विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) की परियोजना वायु गुणवत्ता मापदंडों की वास्तविक समय की दूरस्थ निगरानी हेतु एक स्वदेशी फोटोनिक प्रणाली विकसित करने पर केंद्रित है।
    • इस पहल का उद्देश्य वायु गुणवत्ता डेटा की सटीकता और पहुँच को बढ़ाना है, जिससे प्रदूषण प्रबंधन रणनीतियों को अधिक सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाया जा सके।
  • इलेक्ट्रिक वाहन (EV) स्वायत्त प्रौद्योगिकी में प्रगति: EV-आधारित स्वायत्त वाहनों पर केंद्रित एक स्वायत्त नेविगेशन फाउंडेशन की स्थापना DST अंतःविषयक साइबर-भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Interdisciplinary Cyber-Physical Systems- NM-ICPS) के तहत की गई थी।
    •  EV में स्वायत्त प्रौद्योगिकी का एकीकरण ड्राइविंग पैटर्न को अनुकूलित करने, यातायात की भीड़ को कम करने और परिणामस्वरूप ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने का अवसर प्रदान करता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. हमारे देश के शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक के मान की गणना में सामान्यतः निम्नलिखित में से किस वायुमंडलीय गैस पर विचार किया जाता है? (2016)

  1. कार्बन डाइऑक्साइड
  2.  कार्बन मोनोऑक्साइड
  3.  नाइट्रोजन डाइऑक्साइड
  4.  सल्फर डाइऑक्साइड
  5.  मीथेन

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)


मेन्स: 

प्रश्न. हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जारी संशोधित वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देशों (AQGs) के प्रमुख बिंदुओं का वर्णन कीजिये। 2005 में इसके अंतिम अद्यतन से ये कैसे भिन्न हैं? संशोधित मानकों को प्राप्त करने के लिये भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में क्या बदलाव आवश्यक हैं? (2021)

स्रोत: पी.आई.बी.

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2