दृष्टि आईएएस अब इंदौर में भी! अधिक जानकारी के लिये संपर्क करें |   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

कितना उचित है ‘ट्रॉफी हंटिंग’?

  • 29 Nov 2017
  • 12 min read

संदर्भ

  • वर्ष 2015 में ‘सेसिल’ नामक 13 वर्षीय एक नर-शेर ज़िम्बाब्वे के ‘हवांगे’ (Hwange) नेशनल पार्क से बाहर निकल आया और ‘ट्रॉफी हंटिंग’ का शिकार बन गया।
  • यह शेर एक अध्ययन जानवर (study animal) था जिसे ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा ट्रैक किया जा रहा था। तब पशु अधिकार कार्यकर्त्ताओं द्वारा इस मुद्दे को ज़ोर-शोर से उठाया गया था।
  • हाल ही में अमेरिका ने ‘ट्रॉफी हंटिंग’ (trophy hunting) की अनुमति प्रदान करने वाले एक कानून लाने का फैसला किया है। हालाँकि, दुनिया भर में इसकी आलोचना होने के बाद उसने अपने कदम पीछे हटा लिये हैं, लेकिन ट्रॉफी हंटिंग का मुद्दा एक बार फिर से चर्चा में है।

क्या है ‘ट्रॉफी हंटिंग’?

  • सावधानीपूर्वक चुने गए कुछ विशेष जानवरों जैसे-हाथी, शेर, गेंडा, भालू इत्यादि का मनोरंजन के उद्देश्य से किया गया शिकार ‘ट्रॉफी हंटिंग’ (trophy hunting) कहलाता है।
  • यह ट्रॉफी हंटिंग इसलिये कहलाता है, क्योंकि बंदूक से निशाना लगाए जाने के बाद इन जानवरों के सिर, त्वचा या शरीर के किसी अन्य भाग को अलग कर ट्रॉफी के तौर पर रख लिया जाता है।
  • यह एक उभरता हुआ उद्योग है, जहाँ ट्रॉफी के तौर पर रखे गए जानवरों के अंगों का व्यापार किया जाता है और यह कई देशों में कानूनन ज़ायज़ भी है।
  • इसमें उन प्रजातियों के शिकार की अनुमति नहीं होती, जिनका कि अस्तित्व संकट में है।
  • हालाँकि, हंटिंग की अनुमति देने वाली सरकार इस संबंध में फैसले लेने को स्वतंत्र है और कई बार लुप्तप्राय जानवरों के शिकार की भी अनुमति दे दी जाती है।
  • लेकिन, इसके लिये ‘लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन’ (Convention on International Trade in Endangered Species) द्वारा इस संबंध में सहमति व्यक्त की जानी चाहिये।
  • ट्रॉफी हंटिंग में शिकार कब और कहाँ करना है, इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किये जाते हैं तथा किन हथियारों का उपयोग कर शिकार किया जाए यह भी निर्देशित किया जाता है।
  • ट्रॉफी हंटिंग के लिये सरकार द्वारा आधिकारिक लाइसेंस जारी किया जाता है और सामान्यतः उम्रदराज़ जानवरों के ही शिकार की अनुमति दी जाती है।

ट्रॉफी हंटिंग का प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव

  • आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण: 

► ट्रॉफी हंटिंग आज एक बड़े उद्योग के तौर पर उभर रहा है और इससे प्राप्त धन का उपयोग स्थानीय समुदायों को आजीविका प्रदान करने के लिये उपयोग किया जाता है।
► एक अच्छी तरह से प्रबंधित ट्रॉफी हंटिंग लक्षित प्रजातियों के संरक्षण और संरक्षित क्षेत्रों से उनके निवास के लिये आर्थिक प्रोत्साहन का काम कर सकता है। 

  • जानवरों की संख्या में वृद्धि:

► भारत और केन्या जैसे देश जहाँ कि ट्रॉफी हंटिंग प्रतिबंधित है, जानवरों की संख्या के मामले में दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया जैसे देशों से पीछे हैं जहाँ कि यह प्रतिबंधित नहीं है।
► यहाँ तक कि इससे ‘काले सींगों वाले गैंडे’ और ‘मारखोर’ जैसी विलुप्त हो रही प्रजातियों की भी संख्या में वृद्धि देखी गई है।
► ट्रॉफी हंटिंग के ज़रिये अत्याधिक आबादी वाले जानवरों का शिकार कर संवेदनशील जानवरों को बचाया जा सकता है।

  • पर्यावास में वृद्धि:

► ट्रॉफी हंटिंग निजी भूमि मालिकों को प्रेरित करता है कि वे आर्थिक लाभ कमाने के उद्देश्य से अपनी भूमि, वन्यजीव आवास के रूप विकसित करें।
► दरअसल, जानवरों को आज घटते पर्यावास के कारण अत्याधिक खतरों का सामना करना पड़ रहा है। इससे घटते पर्यावास की समस्या का समाधान किया जा सकता है।

नकारात्मक प्रभाव

  • अवैध वन्यजीव व्यापार:

► ट्रॉफी हंटिंग में जानवरों के अंगों को ट्रॉफी के तौर पर रखना वन्यजीवों के अवैध व्यापार को बढ़ावा दे सकता है।
► ट्रॉफी हंटिंग के लिये समुचित प्रावधान किये जाने के बाद भी इसकी संभावना रहेगी।
► ऐसा इसलिये क्योंकि अफ्रीका सहित दुनिया के लगभग सभी देशों में जानवरों का अवैध शिकार किया जा रहा है और ट्रॉफी हंटिंग की वैधानिकता की आड़ इनका और भी शिकार किया जाएगा।

  • प्रभावित हो सकता है क्रमिक-विकास:

► कुछ विशेष प्रजातियों के शिकार किये जाने से उनके प्रजनन-पैटर्न में परिवर्तन आएगा।
► प्रजनन-पैटर्न में बदलाव से उनकी आनुवंशिक विविधता में कमी आएगी, जिससे कि जैव-विविधता में कमी आएगी।

  • जानवरों के सरंक्षण प्रभावित:

► एक नए अध्ययन से पता चला है कि ट्रॉफी हंटिंग शेरों, हाथियों और अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों को हमेशा के लिये मिटा सकता है।
► ट्रॉफी हंटिंग के लिये प्रायः स्वस्थ एवं मज़बूत नर-जानवर चुने जाते हैं। यदि बहुत अधिक संख्या में नरों को मारा गया, तो उनकी संख्या अचानक से इतनी कम हो जाएगी कि वह जलवायु-परिवर्तन के दबाव में विलुप्त हो जाएंगे।

ट्रॉफी हंटिंग और भारत

  • क्या भारत में ट्रॉफी हंटिंग की अनुमति है?

► भारत में राजा महाराजाओं के काल से ही शिकार खेलने की परंपरा रही है, हालाँकि इस परंपरा की हमें भारी कीमत चुकानी पड़ी है।
► इसने कई प्रजातियों को विलुप्त होने के कगार पर पहुँचा दिया है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत सरकार द्वारा शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
► हालाँकि, आत्मरक्षा में, फसल की क्षति को रोकने के लिये या आदमखोर जानवरों को मारने के लिये शिकार की इज़ाज़त है, लेकिन भारत में खेल के लिये शिकार करना निषिद्ध है।
► गौरतलब है कि विदेशी व्यापार (विकास और नियमन) अधिनियम, 1992 (Foreign trade ‘Development and Regulation’ Act, 1992) के प्रावधानों के तहत भारत में ‘विदेशी प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार’ की अनुमति है।
► अर्थात् कोई भी भारतीय विदेशों में जाकर ‘ट्रॉफी हंटर’ बन सकता है और वहाँ से अपनी ट्रॉफी यानी जानवरों के बहुमूल्य अंग वापस ला सकता है।

  • समस्या क्या है?

► प्रतिबंधित होने के बावज़ूद ट्रॉफी हंटिंग भारत के लिये चिंताजनक क्यों है, यह समझने के लिये हम ऊपर दिये गए चित्र की सहायता लेंगे। चित्र में यह दिखाया गया है कि अफ्रीका में पाए जाने वाले कुछ जानवर भारत में पाए जाने वाले जानवरों से कितने मिलते-जुलते हैं?
► जैसा कि हम जानते हैं कि भारत में ‘विदेशी प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार’ की अनुमति है।
► अब इससे होगा यह कि अफ्रीकी वन्यजीवों के जैसे ही दिख रहे भारत में पाए जाने वाले वन्यजीवों का शिकार कर कोई भी आराम से यह कह सकता है कि वह इन्हें अफ्रीका से ट्रॉफी के तौर पर लाया है।
► दरअसल, यह जानवरों के अवैध-व्यापार को बढ़ावा देने वाला प्रावधान है।

आगे की राह

  • तीन-मानकों के आधार हंटिंग सर्टिफिकेशन

► ट्रॉफी हंटिंग के लिये अनुमति देने से पहले तीन चीज़ें सुनिश्चित की जानी चाहिये।

  1. संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता
  2. नैतिक मानकों का पालन
  3. स्थानीय समुदायों को सहायता
  • स्थानीय लोगों की राय को अहमियत:

► ट्रॉफी हंटिंग को प्रतिबंधित करने या अनुमति देने के संबंध में किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले स्थानीय लोगों की राय को महत्त्व देना आवश्यक है।

  • भ्रष्टाचार का उन्मूलन:

► साथ ही इस इंडस्ट्री में व्याप्त भ्रष्टाचार का उन्मूलन भी आवश्यक है, ताकि हंटिंग का वास्तविक लाभ स्थानीय लोगों को मिल सके और जानवरों का संरक्षण किया जा सके।

  • अन्य वैकल्पिक उपायों की ज़रूरत :

►हालाँकि इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है कि ट्रॉफी हंटिंग से वास्तव में जानवरों की आबादी बढ़ती है।
►इसके अलावा यह एक नैतिक मुद्दा भी है, क्योंकि आनंद और पैसे के लिये किसी जानवर को मारना नैतिक तौर पर अत्यंत ही अनुचित कदम है।
►अतः स्थानीय लोगों की भलाई और वन्यजीवों के सरंक्षण के लिये हमें कुछ वैकल्पिक उपायों पर ध्यान देना होगा, जैसे- इको-टूरिज़्म और फोटोग्राफिक-टूरिज़्म।

निष्कर्ष

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51(A) के मुताबिक हर जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना भारत के हर नागरिक का मूल कर्तव्य है।
  • साथ ही आईपीसी की धारा 428 और 429 के मुताबिक किसी जानवर को मारना या अपंग करना, भले ही वह आवारा क्यों न हो, दंडनीय अपराध है।
  • ज़ाहिर है हम ट्रॉफी-हंटिंग की अनुमति नहीं दे सकते, भले ही इसका उद्देश्य सरंक्षण ही क्यों न हो। दरअसल, हमें तो ‘विदेशी प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार’ की अनुमति पर ही पुनर्विचार करने की ज़रूरत है।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow