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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-भूटान संबंध को बढ़ावा

  • 13 Apr 2023
  • 13 min read

यह एडिटोरियल 06/04/2023 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “Bhutan’s imperatives and India’s dilemmas” लेख पर आधारित है। इसमें चीन के साथ भूटान के सीमा विवादों के इतिहास, वार्ता की वर्तमान स्थिति और क्षेत्र पर भारत-चीन प्रतिस्पर्द्धा के प्रभाव पर विचार किया गया है।

संदर्भ

भारत और भूटान एक अनूठा और विशेष संबंध साझा करते हैं जो सांस्कृतिक, आर्थिक एवं राजनीतिक संबंधों के एक सुदीर्घ इतिहास पर आधारित है। भूटान अपने छोटे आकार के बावजूद दक्षिण एशिया में रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है और क्षेत्रीय सहयोग के प्रयासों में भारत के लिये एक प्रमुख भागीदार रहा है।

  • चीन के साथ भूटान के सीमा विवाद और भारत के साथ उसके संबंध हाल में सुर्खियों में रहे हैं, जहाँ भारत के इस पारंपरिक सहयोगी के भारत से दूर जाने की संभावना पर चिंता प्रकट हुई है। जबकि भूटान अपने क्षेत्रीय विवादों को लेकर चीन के साथ वार्ता में संलग्न रहा है, हाल के घटनाक्रम बताते हैं कि भूटान-भारत संबंधों में निरंतरता अभी भी व्यापक रूप से बनी हुई है।

चीन-भूटान संबंधों में हाल के घटनाक्रम भारत को कैसे प्रभावित कर रहे हैं?

  • सीमा विवाद:
    • भूटान और चीन के बीच लंबे समय से सीमा विवाद की स्थिति है, जहाँ चीन पश्चिमी क्षेत्र में भूटानी क्षेत्र के एक बड़े हिस्से पर दावा करता रहा है।
    • यह क्षेत्र सामरिक रूप से भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह सिलीगुड़ी कॉरिडोर के निकट है, जो भारत की मुख्य भूमि को इसके उत्तर-पूर्वी राज्यों से जोड़ता है।
    • यदि चीन इस क्षेत्र में कोई भी बढ़त बनाता है तो भारत की सुरक्षा के लिये खतरा बन सकता है।
    • चीन भूटान के साथ निम्नलिखित क्षेत्रों को लेकर विवाद रखता है:
      • उत्तर में पासामलुंग एवं जकारलुंग घाटियाँ—जहाँ दोनों घाटियाँ भूटान के लिये सांस्कृतिक रूप से महत्त्वपूर्ण हैं।
      • पश्चिम में डोकलाम, ड्रामाना एवं शखातो, याक चू एवं चारिथांग चू और सिंचुलुंगपा एवं लैंगमारपो घाटियाँ।
      • डोकलाम त्रिबिंदु भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह सिलीगुड़ी कॉरिडोर के अत्यंत निकट है।
      • हाल ही में चीन ने सकतेंग अभयारण्य (Sakteng sanctuary) पर भी दावा किया है, जो भूटान के पूर्व में है और चीन की सीमा से नहीं लगता है।
  • क्षेत्र पर प्रभाव:
    • भूटान इस क्षेत्र में भारत के निकटतम सहयोगियों में से एक है और भारत लंबे समय से भूटान को आर्थिक एवं सैन्य सहायता प्रदान करता रहा है। हालाँकि, हाल के वर्षों में चीन भूटान के साथ अपने आर्थिक एवं राजनयिक संबंधों को बढ़ा रहा है, जो इस क्षेत्र में भारत के प्रभाव को कमज़ोर कर सकता है।
  • चीन की आक्रामकता:
    • चीन अपनी विदेश नीति में, विशेष रूप से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में, तेज़ी से आक्रामक होता जा रहा है।
    • इससे भारत सहित कई देशों के साथ तनाव की स्थिति बनी है।
    • यदि चीन अपने रणनीतिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिये भूटान में अपने बढ़ते प्रभाव का उपयोग करता है तो यह संभावित रूप से भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा के लिये एक चुनौती बन सकता है।

भारत के लिये भूटान का क्या महत्त्व है?

  • सामरिक महत्त्व:
    • भूटान भारत और चीन के साथ अपनी सीमाएँ साझा करता है और इसकी सामरिक स्थिति इसे भारत के सुरक्षा हितों के लिये एक महत्त्वपूर्ण ‘बफर स्टेट’ बनाती है।
    • भारत ने भूटान को रक्षा, अवसंरचना और संचार जैसे क्षेत्रों में सहायता प्रदान की है, जिससे भूटान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने में मदद मिली है।
    • भारत ने भूटान की रक्षा क्षमताओं को सुदृढ़ करने और उसकी क्षेत्रीय अखंडता को सुनिश्चित करने के लिये उसकी सीमा अवसंरचना, जैसे सड़कों और पुलों के निर्माण और रखरखाव में मदद की है।
      • वर्ष 2017 में भारत और चीन के बीच डोकलाम गतिरोध के दौरान भूटान ने चीनी घुसपैठ का मुक़ाबला करने के लिये भारतीय सैनिकों को अपने क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति देने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  • आर्थिक महत्त्व:
    • भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और उसका प्रमुख निर्यात गंतव्य है।
    • भूटान की जलविद्युत क्षमता देश के लिये राजस्व का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है और भारत ने भूटान की जलविद्युत परियोजनाओं को विकसित करने में सहायता देने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।
    • भारत भूटान को उसकी विकास परियोजनाओं के लिये भी वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
  • सांस्कृतिक महत्त्व:
    • भूटान और भारत प्रबल सांस्कृतिक संबंध साझा करते हैं, जहाँ भूटान एक प्रमुख बौद्ध देश के रूप में भारत से सांस्कृतिक अनन्यता रखता है।
    • भारत ने भूटान को उसकी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में सहायता प्रदान की है और कई भूटानी छात्र उच्च शिक्षा के लिये भारत आते हैं।
  • पर्यावरणीय महत्त्व:
    • भूटान दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है जिसने कार्बन-तटस्थ (carbon-neutral) रहने का संकल्प लिया है और भूटान के लिये इस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु सहायता करने में भारत एक महत्त्वपूर्ण भागीदार रहा है।
    • भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा, वन संरक्षण और सतत पर्यटन जैसे क्षेत्रों में भूटान को सहायता प्रदान की है।

भारत-भूटान संबंधों में व्याप्त चुनौतियाँ

  • चीन का बढ़ता प्रभाव:
    • भूटान में चीन की बढ़ती उपस्थिति, विशेष रूप से भूटान-चीन विवादित सीमा पर उसके हस्तक्षेप ने भारत की चिंता में वृद्धि की है। भारत भूटान का सबसे करीबी सहयोगी रहा है और उसने भूटान की संप्रभुता एवं सुरक्षा की रक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेकिन इस क्षेत्र में चीन का बढ़ता आर्थिक एवं सैन्य प्रभाव भूटान में भारत के सामरिक हितों के लिये एक चुनौती उत्पन्न कर रहा है।
  • सीमा विवाद:
    • भारत और भूटान 699 किमी. लंबी सीमा साझा करते हैं, जो व्यापक रूप से शांतिपूर्ण रही है।
    • लेकिन हाल के वर्षों में चीनी सेना द्वारा सीमा पर घुसपैठ की घटनाएँ बढ़ी हैं।
      • वर्ष 2017 में डोकलाम गतिरोध भारत-चीन-भूटान त्रिबिंदु पर एक प्रमुख घटनाक्रम था। इस तरह के विवादों के बढ़ने से भारत-भूटान संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं।
  • जलविद्युत परियोजनाएँ:
    • भूटान का जलविद्युत क्षेत्र उसकी अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ है और भारत इसके विकास में एक प्रमुख भागीदार रहा है।
      • लेकिन कुछ जलविद्युत परियोजनाओं की शर्तों को लेकर भूटान चिंताएँ रखता है, जिन्हें भारत के लिये अधिक अनुकूल माना गया है।
      • इसने भूटान में इस क्षेत्र में भारतीय भागीदारी के संबंध में कुछ सार्वजनिक असंतोष एवं विरोध को जन्म दिया है।
  • व्यापार संबंधी मुद्दे:
    • भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जो भूटान के कुल आयात-निर्यात में 80% से अधिक की भागीदारी रखता है। लेकिन व्यापार असंतुलन को लेकर भूटान में कुछ चिंताएँ उत्पन्न हुई हैं, क्योंकि भूटान भारत को निर्यात की तुलना में उससे आयात अधिक करता है।
      • भूटान अपने उत्पादों के लिये भारतीय बाज़ार में अधिक पहुँच की इच्छा रखता है, जिससे व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिल सकती है।

आगे की राह

  • आर्थिक सहयोग:
    • भारत अवसंरचना विकास, पर्यटन और अन्य क्षेत्रों में निवेश कर भूटान की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। इससे न केवल भूटान को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी बल्कि वहाँ के लोगों के लिये रोज़गार के अवसर भी सृजित होंगे।
      • जयगांव और फंटशोलिंग के पास सीमा पर (दोनों देशों के बीच का सबसे व्यस्त व्यापार क्षेत्र) पहली एकीकृत चेक पोस्ट (IPC) स्थापित करने का हाल का निर्णय दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
      • भूटान के लिये तीसरे अंतर्राष्ट्रीय इंटरनेट गेटवे के संचालन में तेज़ी लाने का निर्णय भी इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • सांस्कृतिक विनियमन:
    • भारत और भूटान एक-दूसरे की संस्कृति, कला, संगीत और साहित्य की समझ एवं अभिमूल्यन को बढ़ावा देने के लिये सांस्कृतिक विनिमयन कार्यक्रमों को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
      • दोनों देशों के लोगों का वीजा-मुक्त आवागमन उप-क्षेत्रीय सहयोग को सुदृढ़ कर सकता है।
  • सामरिक सहयोग:
    • साझा सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिये भारत और भूटान अपने सामरिक सहयोग को सुदृढ़ कर सकते हैं। आतंकवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी और अन्य अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिये वे मिलकर कार्य कर सकते हैं।
  • नवीकरणीय ऊर्जा:
    • भूटान में जलविद्युत पैदा करने की अपार क्षमता निहित है और भारत नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश कर भूटान को उसके जलविद्युत संसाधनों का दोहन करने में मदद कर सकता है।
  • शिक्षा और कौशल विकास:
    • भारत भूटानी छात्रों को छात्रवृत्ति और भूटानी पेशेवरों के कौशल को बढ़ाने के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान कर शिक्षा एवं कौशल विकास के क्षेत्रों में भूटान की मदद कर सकता है।
      • अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण (AISHE) के अनुसार, भारत में तृतीयक शिक्षा प्राप्त करने वाले भूटानी छात्रों की संख्या वर्ष 2012-13 में 2,468 से घटकर वर्ष 2020-21 में 1,827 हो गई। भारत में एक दशक पहले सभी अंतर्राष्ट्रीय छात्रों में भूटानी छात्रों की हिस्सेदरी 7% थी, जो अब 3.8% रह गई है।

अभ्यास प्रश्न: भूटान-भारत संबंधों की वर्तमान स्थिति पर क्या है और वे राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक संबंधों के संदर्भ में समय के साथ कैसे विकसित हुए हैं?

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