विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
भारत की आर्थिक प्रगति में AI की नीतिगत संभावनाएँ
- 19 Jul 2025
- 121 min read
यह एडिटोरियल 15/07/2025 को हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित “How India can protect jobs amidst the rapid AI march” पर आधारित है। इस लेख में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारत को AI-संचालित भविष्य के लिये नौकरियों, शिक्षा और संस्थानों में बदलाव लाने हेतु तत्काल एक राष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता तत्परता मिशन शुरू करने की आवश्यकता है।
प्रिलिम्स के लिये:कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC), जनरेटिव AI, MSME, सार्वजनिक-निजी भागीदारी, जैव-विनिर्माण, BioE3 नीति, AI पर वैश्विक भागीदारी (GPAI), भारत की G20 अध्यक्षता, IndiaAI मिशन, लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM), AI फॉर ऑल फॉर ऑल, PLI प्रोत्साहन, भारत का राष्ट्रीय सेमीकंडक्टर मिशन, सर्वम-M मेन्स के लिये:भारत के आर्थिक परिवर्तन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका। |
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) भारत की आर्थिक और विकासात्मक महत्त्वाकांक्षाओं के एक प्रमुख प्रवर्तक के रूप में उभर रही है। घरेलू AI बाज़ार के वर्ष 2027 तक 17 अरब डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है और वर्तमान में 6,00,000 से अधिक AI पेशेवर कार्यरत हैं। भारत में वैश्विक AI प्रतिभा का 16% हिस्सा मौजूद है। इसका अनुप्रयोग कृषि, लॉजिस्टिक्स, MSME, स्वास्थ्य सेवा और ऊर्जा क्षेत्रों तक व्याप्त है। आधार, ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) और UPI जैसे प्लेटफॉर्म का लाभ उठाते हुए, भारत समावेशी परिवर्तन के लिये AI को एकीकृत करने के लिये तैयार है। हालाँकि, इस क्षमता को साकार करने के लिये बुनियादी अवसंरचना, कौशल विकास, शासन और समानता सुनिश्चित करने वाला एक सुनियोजित दृष्टिकोण आवश्यक है।
AI भारत में समावेशी विकास और आर्थिक परिवर्तन को किस प्रकार प्रेरित कर सकता है?
- अर्थव्यवस्था तथा रोज़गार पर प्रभाव:
- विशाल आर्थिक क्षमता: भारत का AI बाज़ार वर्ष 2027 तक तिगुना होकर 17 अरब डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है, जो सालाना 25-35% की दर से बढ़ रहा है।
- यह वृद्धि भारत के युवा कार्यबल, डिजिटल एक्सेस और जनरेटिव AI एकीकरण के लिये उद्यम की तत्परता को दर्शाती है।
- रोज़गार और उत्पादकता को बढ़ावा: डेलॉइट और नैसकॉम के अनुसार, वर्ष 2027 तक AI से 1.25 मिलियन घरेलू नौकरियों के सृजन होने का अनुमान है।
- एक हालिया शोध के अनुसार, जनरेटिव AI कार्य निष्पादन में उत्पादकता को 66% तक बढ़ा देता है।
- प्रतिभा में वैश्विक क्षमता: भारत में वैश्विक AI प्रतिभा का 16% हिस्सा है, जो मात्रा के मामले में संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है।
- वर्तमान में भारत में 600,000 से अधिक AI पेशेवर कार्यरत हैं, जिनके वर्ष 2027 तक दोगुने होने की उम्मीद है।
- विशाल आर्थिक क्षमता: भारत का AI बाज़ार वर्ष 2027 तक तिगुना होकर 17 अरब डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है, जो सालाना 25-35% की दर से बढ़ रहा है।
- AI का क्षेत्रीय अंगीकरण :
- AI संचालन और निर्णय लेने को अनुकूलित करके कृषि, रसद, स्वास्थ्य सेवा और खुदरा क्षेत्र में बदलाव ला रहा है।
- नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च के अनुसार, सत्र 2021-22 में रसद लागत सकल घरेलू उत्पाद का 7.8-8.9% थी तथा AI के रणनीतिक एकीकरण के साथ, यह क्षेत्र महत्त्वपूर्ण पैटर्न को उजागर कर सकता है, व्यवधानों का पूर्वानुमान कर सकता है और नवीन समाधान तैयार कर सकता है।
- उदाहरण के लिये, PandoAI रसद अक्षमताओं को कम करने और वास्तविक काल आपूर्ति शृंखला प्रदर्शन में सुधार के लिये AI का उपयोग करता है।
- कृषि उत्पादकता में वृद्धि:
- कृषि कार्यबल का सशक्तीकरण: भारत का 46.1% से अधिक कार्यबल कृषि क्षेत्र में कार्यरत है, जो प्रायः कम उत्पादकता और जलवायु तनाव से ग्रस्त रहता है।
- ITC का MAARS प्लेटफॉर्म 20 लाख से अधिक किसानों को व्यक्तिगत फसल सलाह, कृषि आदान योजना और बाज़ार अभिगम प्रदान करता है।
- कृषि कार्यबल का सशक्तीकरण: भारत का 46.1% से अधिक कार्यबल कृषि क्षेत्र में कार्यरत है, जो प्रायः कम उत्पादकता और जलवायु तनाव से ग्रस्त रहता है।
- जैव विज्ञान और ऊर्जा में AI:
- जैव-विनिर्माण में वृद्धि को गति देना: AI प्रेडिक्टिव मॉडलिंग और जैव प्रक्रिया अनुकूलन के माध्यम से भारत के जैव-विनिर्माण (Biomanufacturing) और जैव विज्ञान क्षेत्र को उत्प्रेरित कर रहा है।
- BioE3 नीति के अंतर्गत AI बायो-सिंथेसिस, वैक्सीन डिज़ाइन और प्रिसिज़न फर्मेंटेशन जैसे उच्च-मूल्य वाले क्षेत्रों का समर्थन करता है।
- ऊर्जा और संवहनीयता योगदान: AI पूर्वानुमानित ग्रिड प्रबंधन, नवीकरणीय पूर्वानुमान और सभी क्षेत्रों में कुशल ऊर्जा उपयोग को सक्षम बनाता है।
- ऐसा एकीकरण भारत के शुद्ध-शून्य वर्ष 2070 लक्ष्य और ऊर्जा लचीलापन लक्ष्यों का समर्थन करता है। इस प्रकार का एकीकरण भारत के नेट-ज़ीरो लक्ष्य- 2070 तथा ऊर्जा-अनुकूलन से जुड़े उद्देश्यों को समर्थन प्रदान करता है।
- जैव-विनिर्माण में वृद्धि को गति देना: AI प्रेडिक्टिव मॉडलिंग और जैव प्रक्रिया अनुकूलन के माध्यम से भारत के जैव-विनिर्माण (Biomanufacturing) और जैव विज्ञान क्षेत्र को उत्प्रेरित कर रहा है।
- सार्वजनिक सेवा वितरण में AI:
- शिक्षा का परिवर्तन: AI एकीकरण भारत के 15 लाख वार्षिक इंजीनियरिंग स्नातकों की ज़रूरतों को पूरा कर सकता है, जिनमें से कई अल्प-रोज़गार का सामना करते हैं।
- कौशल पहलों में AI फ्लुएंसी, समस्या-समाधान और अनुकूलनशीलता को मुख्यधारा के पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाना चाहिये।
- सार्वजनिक अवसंरचना का सुदृढ़ीकरण: आधार प्रणाली, UPI और ONDC सहित भारत का डिजिटल अवसंरचना, विस्तारणीय एवं समावेशी AI हस्तक्षेपों को सुगम बनाता है।
- भारत में 70 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं की उपस्थिति से जो विशाल डेटा वॉल्यूम और डिजिटल एक्सेस उपलब्ध हुई है, वह व्यापक स्तर पर परिवर्तन लाने के लिये एक मज़बूत आधार प्रदान करती है।
- उदाहरण के लिये, RBI का MuleHunter AI, मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध धन-अंतरण जैसी धोखाधड़ी वाली वित्तीय गतिविधियों का पता लगाने तथा उन्हें रोकने के लिये उन्नत मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करता है।
- शिक्षा का परिवर्तन: AI एकीकरण भारत के 15 लाख वार्षिक इंजीनियरिंग स्नातकों की ज़रूरतों को पूरा कर सकता है, जिनमें से कई अल्प-रोज़गार का सामना करते हैं।
भारत की AI प्रगति में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- कमज़ोर कम-कुशल कार्यबल: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसे प्रौद्योगिकीय विकास कम-मूल्य वाले सेवा क्षेत्रों की नौकरियों, जैसे: डाटा एंट्री और ग्राहक सहायता के लिये एक खतरा उत्पन्न कर रहे हैं, जिनमें से अधिकांश पर अनौपचारिक श्रमिक कार्यरत हैं।
- इन वर्गों में महिलाएँ और ग्रामीण आबादी शामिल है, जिससे लक्षित कौशल उन्नयन के बिना असमानता का जोखिम बढ़ जाता है।
- डिजिटल बुनियादी अवसंरचना की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी इंटरनेट की सीमित उपलब्धता और उपकरणों की पहुँच सीमित है, जिससे AI की समावेशी क्षमता पर असर पड़ रहा है।
- भारत की लगभग 65% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जहाँ डिजिटल तत्परता कम है।
- कंप्यूटिंग और डेटा सीमाएँ: भारत वैश्विक डेटा का 20% उत्पन्न करता है, लेकिन उसके पास केवल 2% डेटा केंद्र और कंप्यूटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर है।
- उच्च हार्डवेयर लागत और चिप निर्भरता AI अनुसंधान, मॉडलिंग एवं नवाचार को सीमित करती है।
- कमज़ोर संस्थागत कार्यढाँचा: अमेरिका, चीन, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ जैसी अन्य अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं के विपरीत, भारत में एक अंतर-क्षेत्रीय राष्ट्रीय AI रणनीति का अभाव है।
- IndiaAI मिशन में अंतर-क्षेत्रीय संरेखण के लिये आवश्यक अधिदेश और समन्वय प्राधिकरण का अभाव है।
- लैंगिक असमानता और अनौपचारिकता: भारत के कार्यबल में 35% महिलाएँ हैं और अधिकांशतः ऐसी भूमिकाओं में हैं जो स्वचालन के प्रति सुभेद्य हैं।
- लक्षित पुनर्कौशल के बिना, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) महिलाओं के लिये श्रम बाज़ार में अपवर्जन को और गहन कर सकती है।
- पर्यावरणीय प्रभाव: लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) के लिये उच्च ऊर्जा उपयोग की आवश्यकता होती है, जिससे हरित परिवर्तन लक्ष्यों पर दबाव पड़ता है।
- गोल्डमैन सैक्स के अनुसार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) स्थायी ऊर्जा लक्ष्यों के लिये एक बाधा बन सकती है।
- अनुसंधान और शैक्षणिक पिछड़ापन: वैश्विक AI रैंकिंग में भारत के विश्वविद्यालयों का प्रतिनिधित्व कम है और PhD का परिणाम कम बना हुआ है।
- शैक्षणिक-उद्योग सहयोग कमज़ोर है, जिससे स्वदेशी नवाचार और आधारभूत AI अनुसंधान एवं विकास सीमित हो रहा है।
विकास के लिये AI का उपयोग करने हेतु भारत ने कौन-से रणनीतिक उपाय किये हैं?
- IndiaAI मिशन: भारत ने IndiaAI मिशन (₹10,372 करोड़ के बजट के साथ) जैसी पहलों के साथ AI के क्षेत्र में निरंतर प्रगति की है।
- इसके घटक व्यापक एवं लोकतांत्रिक दृष्टिकोण का हिस्सा हैं जिसे "AI फॉर ऑल" (सभी के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के माध्यम से और सहायक नीतियों के द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है।
- फ्यूचरस्किल्स PRIME पहल: यह संयुक्त पहल युवाओं को AI, डेटा साइंस और उभरती तकनीक में प्रशिक्षित करती है, जिससे नौकरी के लिये तत्परता सुनिश्चित होती है।
- इसका लक्ष्य इंजीनियरिंग कॉलेजों, ITI और उद्योग समूहों में रिस्किलिंग एंड अपस्किलिंग है।
- राष्ट्रीय सेमीकंडक्टर मिशन: 10 अरब डॉलर से अधिक के PLI प्रोत्साहनों के साथ, इसका उद्देश्य घरेलू चिप निर्माण और डिज़ाइन क्षमता का निर्माण करना है।
- यह AI हार्डवेयर आत्मनिर्भरता का समर्थन करता है और वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति जोखिमों के जोखिम को कम करता है।
- IndiaAI कंप्यूट पुश: केंद्र सरकार भारत के AI इंफ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत करने के लिये 10,000 ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) खरीदने की योजना बना रही है।
- GenAI मॉडलिंग और बड़े पैमाने पर परिनियोजन का समर्थन करने के लिये कंप्यूटिंग क्षमता का विस्तार आवश्यक है।
- साथ ही, भारत का राष्ट्रीय सेमीकंडक्टर मिशन का उद्देश्य एक घरेलू चिप उद्योग स्थापित करना है, जिसे उत्पादन-संबंधी प्रोत्साहनों में 10 बिलियन डॉलर से अधिक का समर्थन प्राप्त है।
- AI ऑपोरच्युनिटी फण्ड: वर्ष 2024 में शुरू किया गया, यह गैर-सरकारी संगठनों और शिक्षा प्रदाताओं के साथ साझेदारी में 500,000 श्रमिकों का समर्थन करता है।
- यह महिलाओं और अनौपचारिक श्रमिकों सहित वंचित समुदायों के लिये AI कौशल तक अभिगम प्रदान करता है।
- MSME के लिये AI: ये नीतियाँ भारत के व्यापारिक आधार के 90% हिस्से अर्थात् सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) तक अभिगम को बढ़ावा देती हैं।
- Dx-EDGE जैसे प्लेटफॉर्म MSME को उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप AI उपकरणों से सशक्त बना रहे हैं। CII, NITI आयोग और AICTE द्वारा शुरू किया गया, Dx-EDGE MSME के लिये डिजिटल परिवर्तन को सुगम बनाने हेतु एक राष्ट्रीय पहल के रूप में कार्य करता है।
- सार्वजनिक और निजी प्रयास MSME को इन्वेंट्री, ग्राहक प्रबंधन और संचालन के लिये AI अंगीकरण में सहायता करते हैं।
- Google कार्यक्रमों के साथ आगे बढ़ना: एशिया प्रशांत क्षेत्र में 6 करोड़ से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया, जिसका एक प्रमुख लाभार्थी भारत है।
- ये प्रशिक्षण मॉड्यूल डिजिटल साक्षरता, AI बेसिक्स और प्रासंगिक अनुप्रयोग पर केंद्रित हैं।
- सर्वम AI और कृत्रिम पहल: स्टार्टअप सर्वम-M और कृत्रिम के बहुभाषी संवादी टूल जैसे भारत-केंद्रित LLM प्रोग्राम बना रहे हैं।
- ये प्लेटफॉर्म भाषाई समावेशन को बढ़ावा देते हैं और विदेशी मॉडलों पर निर्भरता कम करते हैं।
- BioE3 और स्वास्थ्य सेवा अनुप्रयोग: भारत की BioE3 नीति और AI-एकीकृत स्वास्थ्य सेवा प्लेटफॉर्म का उद्देश्य जैव-निर्माण एवं व्यक्तिगत चिकित्सा को बढ़ावा देना है।
- BioE3 नीति जैव प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में नवाचार एवं सहयोग को बढ़ावा देने के लिये बायो-AI हब की स्थापना पर भी ज़ोर देती है।
- बायोकॉन और स्ट्रैंड लाइफ साइंसेज़ जैसी कंपनियाँ AI का उपयोग करके पूर्वानुमानित दवा जाँच में अग्रणी हैं।
- स्मार्ट ऊर्जा एकीकरण: AI ऊर्जा प्रणालियों में स्मार्ट ग्रिड, दोष पहचान और माँग प्रतिक्रिया को सक्षम बनाता है।
- पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं के तहत वर्ष 2030 तक भारत के 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म क्षमता के लक्ष्य का समर्थन करता है।
- अन्य IndiaAI पहल:
- IndiaAI इनोवेशन सेंटर: यह एक ऐसा केंद्र है जो अकादमिक संस्थानों, औद्योगिक क्षेत्र और सरकारी तंत्र के बीच समन्वय स्थापित कर कृत्रिम बुद्धिमत्ता से जुड़ी प्रौद्योगिकियों में नवाचार एवं सहयोग को प्रोत्साहित करता है।
- IndiaAI डेटासेट प्लेटफॉर्म: भारत में AI अनुसंधान और विकास का समर्थन करने के लिये उच्च-गुणवत्ता वाले, सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटासेट का एक केंद्रीकृत भंडार।
- IndiaAI अनुप्रयोग विकास पहल: यह सामाजिक प्रभाव के लिये स्वास्थ्य सेवा, कृषि और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में AI-संचालित अनुप्रयोगों को विकसित एवं तैनात करने की एक पहल है।
- भू-राजनीतिक और शासन लाभ: IndiaAI पर वैश्विक साझेदारी (GPAI) में अग्रणी है, जो समावेशी और एथिकल AI गवर्नेंस को बढ़ावा देता है।
- भारत की G20 अध्यक्षता ने AI को वैश्विक विकास और रणनीतिक एजेंडे के रूप में उभारा है।
समावेशी AI भविष्य के निर्माण के लिये किन नीतिगत और संस्थागत सुधारों की आवश्यकता है?
- संरक्षक संस्थानों का निर्माण: कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास को जनकल्याण की दिशा में निर्देशित करने के लिये विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी ऐसी संस्थाओं की स्थापना की जानी चाहिये जो मार्गदर्शक या संचालक की भूमिका निभाएँ।
- सरकारी संस्थाओं में AI नीति और नियामक प्रयासों में सामंजस्य स्थापित करने, विखंडन से बचने तथा एक एकीकृत राष्ट्रीय रणनीति सुनिश्चित करने के लिये एक स्थायी अंतर-मंत्रालयी AI समन्वय समिति का गठन किया जाना चाहिये।
- इन निकायों को वास्तविक काल में जोखिमों, अवसरों और श्रम परिवर्तनों का पूर्वानुमान लगाने में सहायता मिलेगी।
- कौशल और शिक्षा के अंतराल को कम करना: केवल प्रतिष्ठित संस्थानों में ही नहीं, बल्कि ITI, पॉलिटेक्निक और टियर-2/3 कॉलेजों में AI कौशल को एकीकृत किया जाना चाहिये।
- वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों पर केंद्रित प्रासंगिक, बहुभाषी, लिंग-संवेदनशील कौशल प्लेटफॉर्म विकसित किया जाना चाहिये।
- उद्योग-अकादमिक सहयोग को प्रोत्साहित करना: फेलोशिप, सह-प्रयोगशालाओं और IP-साझाकरण मॉडल के माध्यम से गहन तकनीकी अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
- शैक्षणिक पाठ्यक्रम को AI की तत्परता और उद्योग की उभरती माँगों के अनुरूप बनाया जाना चाहिये।
- समतामूलक अवसंरचना सुनिश्चित करना: समावेशिता सुनिश्चित करते हुए, टियर-2 और ग्रामीण भारत में कंप्यूटिंग एवं डेटा अवसंरचना का विस्तार किया जाना चाहिये।
- डेटा केंद्रों, कनेक्टिविटी और एज AI परिनियोजन में सार्वजनिक एवं निजी निवेश को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
- तिकता और जवाबदेही को प्राथमिकता: विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में व्याख्यात्मक, निष्पक्ष और उत्तरदायी AI के लिये एक कार्यढाँचा तैयार किया जाना चाहिये।
- नियामक मानदंडों में पारदर्शिता, डेटा गवर्नेंस और एल्गोरिदम ऑडिट को शामिल किया जाना चाहिये।
- वैश्विक और स्थानीय साझेदारियों को बढ़ावा: AI मानक-निर्धारण और स्थानीयकरण के लिये बहुपक्षीय सहयोग एवं स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
- कृषि, स्वास्थ्य सेवा और शासन में भारत-विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करने वाले स्टार्टअप्स का समर्थन किया जाना चाहिये।
- श्रम बाज़ार परिवर्तन के लिये तैयारी: AI-संचालित स्वचालन से प्रभावित होने वाले श्रमिकों की पहचान कर उनके लिये पुनःकौशल प्रशिक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिये तथा संभावित रोज़गार परिवर्तनों का पूर्वानुमान लगाया जाना चाहिये।
- मध्यम और उच्च-कौशल वाली AI-संवर्द्धित भूमिकाओं में लचीले श्रम मार्ग बनाए जाने चाहिये।
- शासन और नियोजन में AI को शामिल करना: नीति अनुकरण, लक्ष्यीकरण दक्षता और जलवायु अनुकूलन योजना के लिये AI का उपयोग किया जाना चाहिये।
- AI को समावेशी शासन के लिये एक उपकरण बनाने की आवश्यकता है, विशेष रूप से शहरी नियोजन और कल्याणकारी वितरण में।
निष्कर्ष
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) उत्पादकता बढ़ाकर, रोज़गार सृजन करके और सेवा वितरण में सुधार करके भारत की अर्थव्यवस्था को बदल सकती है। सही संस्थागत कार्यढाँचे, समान अभिगम और बहु-क्षेत्रीय तत्परता के साथ, भारत न केवल विकास के लिये, बल्कि समावेशी एवं सतत् विकास के लिये भी AI का उपयोग कर सकता है, तथा नैतिक व मानव-केंद्रित AI नवाचार में वैश्विक अग्रणी बन सकता है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत में समावेशी और सतत् आर्थिक विकास में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) किस प्रकार योगदान दे सकती है? क्षेत्र-विशिष्ट उदाहरणों के साथ परीक्षण कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न 1. विकास की वर्तमान स्थिति में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये- (a) केवल 1, 2, 3 और 5 उत्तर: (b) मेन्सप्रश्न 1. भारत के प्रमुख शहरों में आई.टी. उद्योगों के विकास से उत्पन्न होने वाले मुख्य सामाजिक-आर्थिक प्रभाव क्या हैं? (2021) |