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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

उत्तर कोरिया पर यू.एन. का शिकंजा

  • 14 Sep 2017
  • 6 min read

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council)  ने 3 सितंबर को उत्तर कोरिया द्वारा किये गए छठे एवं सबसे शक्तिशाली परमाणु परीक्षण को ध्यान में रखते हुए सर्वसम्मति से प्रतिबंध लगा दिया है।  इन नए प्रतिबंधों में उत्तर कोरिया के वस्त्र निर्यात तथा कच्चे तेल के आयात को प्रतिबंधित किया गया है। वर्ष 2006 से अभी तक उत्तरी कोरिया के बैलिस्टिक मिसाइल एवं परमाणु कार्यक्रमों पर सुरक्षा परिषद द्वारा नौ बार प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं।

नई प्रतिबंधों में शामिल हैं ?

  • कच्चे तेल और तेल उत्पादों के आयात को सीमित किया गया है। ध्यातव्य है कि उत्तर कोरिया को अधिकांश कच्चे तेल की आपूर्ति इसके मुख्य आर्थिक सहयोगी राष्ट्र चीन  द्वारा की जाती है।
  • इसके अतिरिक्त उत्तर कोरिया के दूसरे सबसे बड़े निर्यात टेक्सटाइल पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। 
  • उत्तर कोरियाई लोगों को विदेशों में काम करने से रोकने हेतु भी उपाय किये गए हैं।  

पृष्ठभूमि

  • प्योंगयांग (उत्तरी कोरिया की राजधानी) द्वारा हाल के कुछ महीनों में कई मिसाइल परीक्षणों का मंचन किया गया है।
  • इनमें से अधिकतर मिसाइलों की रेंज अमेरिका की मुख्य भूमि को कवर करती है।
  • इसी क्रम में उत्तर कोरिया द्वारा 3 सितंबर को किये गए देश के अब तक के सबसे बड़े परमाणु परीक्षण ने समस्त विश्व को इस संदर्भ में विचार करने को विवश कर दिया है। विशेषज्ञों के अनुमानुसार यह एक छोटा हाइड्रोजन बम था।
  • इस संबंध में संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों का कहना है कि उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल परीक्षणों पर कठिन प्रतिबंध लगाने का मुख्य उद्देश्य कोरियाई शासक किम जोंग पर आपसी सामंजस्य स्थापित करने हेतु पहल आरंभ करने के लिये दबाव डालना है।
  • हालाँकि, रूस और चीन भी उत्तर कोरिया के साथ वार्ता के लिये ज़ोर दे रहे हैं, तथापि अमेरिका एवं दक्षिण कोरियाई सैन्य अभ्यासों को निलंबित करने के बदले प्योंगयांग के मिसाइल और परमाणु परीक्षणों को प्रतिबंधित करने के इन देशों के प्रस्ताव को संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा अस्वीकार कर दिया गया है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बारे में

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council - UNSC) संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है। इसका मुख्य कार्य अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखना है। सुरक्षा परिषद द्वारा शांति परिचालन की स्थापना करना,  अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों की स्थापना करना तथा सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के माध्यम से सैन्य कार्रवाई की अनुमति प्रदान करना आदि कार्य किये जाते हैं।

  • यह यू.एन. के सदस्य राष्ट्रों के लिये बाध्यकारी संकल्प ज़ारी करने का अधिकार रखने वाला एकमात्र निकाय है। 
  • सुरक्षा परिषद में पाँच स्थायी सदस्यों सहित कुल 15 सदस्य होते हैं, इन सभी पाँचों सदस्यों चीन, फ्राँस, रूस, यूनाइटेड किंगडम एवं संयुक्त राज्य अमेरिका को वीटो शक्ति प्राप्त है। 
  • परिषद की 10 गैर-स्थायी सीटें वर्ष 1963 में यू.एन. असेम्बली द्वारा निर्धारित रोटेशन पैटर्न के अनुसार आवंटित की जाती हैं। ऐसा इसलिये किया जाता है ताकि यू.एन. में दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आनुपातिक प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित किया जा सके।
  • वर्तमान में उक्त आनुपातिक प्रतिनिधित्व के अंतर्गत पाँच सदस्य अफ्रीकी और एशियाई राज्यों से, एक पूर्वी यूरोप से तथा लैटिन अमेरिकी राज्यों, पश्चिमी यूरोपीय राज्यों से क्रमशः दो – दो सदस्य चुने जाते हैं।
  • सुरक्षा परिषद को विश्व में शांति के अस्तित्व के खिलाफ उपजने वाले खतरे से निपटने तथा इस संबंध में आवश्यक आक्रामक प्रतिबंध लगाने अथवा कोई अन्य निर्णय का पूर्ण अधिकार प्राप्त है। 
  • कुछ मामलों में सुरक्षा परिषद को अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने या बहाल करने के लिये प्रतिबंधों के साथ-साथ बल के प्रयोग का भी अधिकार प्राप्त है।
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