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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति में गिरावट

  • 15 Jul 2017
  • 4 min read

संदर्भ 
वाणिज्य मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी आँकड़ों के मुताबिक, जून में थोक मूल्य सूचकांक में कमी आई है जो कि पिछले 11 महीनों में सबसे निचले स्तर पर है। पिछले कुछ महीनों से थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति में जारी कमी, जो जून 2017 में रिकॉर्ड  कम हुई है, सौम्य मुद्रास्फीति के युग की दिशा में बदलाव को  प्रतिबिंबित करती है।

प्रमुख बिंदु 

  • इस सप्ताह जारी थोक एवं खुदरा कीमतों के आँकड़े कीमतों में संतुलन को दर्शाते हैं।
  • वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आँकड़ों के मुताबिक, जून में थोक मूल्य सूचकांक 0.9 % पर था जो कि पिछले 11 महीनों में सबसे निचले स्तर है। ऐसा खाद्य मुद्रास्फीति में कमी एवं विनिर्माण की कीमतों में कमज़ोरी के कारण हो सका था। 
  • यह ऐसे समय में हुआ जब खुदरा मुद्रास्फीति की दर जून में धीमी होकर 1.54% तक आ गई थी जो कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित निम्न सहिष्णुता स्तर से नीचे है।  
  • जून में थोक मूल्य सूचकांक की वृद्धि में कमी, जो कि फरवरी में 5.51% पर थी, लगातार चौथे महीने तक ज़ारी है। पिछली बार 2016 में यह 1% से कम थी, तब यह 0.63% पर थी।  
  • एक तरफ प्राथमिक वस्तुओं की श्रेणी में जून में थोक मूल्य सूचकांक वृद्धि में 3.86% की कमी हुई, तो वहीं इसी दौरान खाद्य वस्तुओं के क्षेत्र में 3.47% की कमी हुई। 
  • पिछले कुछ महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति काफी कम हुई है जो कीमतों के दृष्टिकोण से सामान्य है।

विनिर्मित उत्पाद

  • जून में विनिर्मित उत्पादों की श्रेणी में मुद्रास्फीति 2.27% पर आ गई है जो कि नवंबर 2016 से सबसे धीमी है। ईंधन और बिजली में जून में मुद्रास्फीति की तीव्रता घट कर  5.28% पर आ गई, जो कि उसके पिछले महीने 11.7% पर थी। 
  • गिरावट वाली मुद्रास्फीति परिदृश्य, जो केंद्रीय बैंक के महँगाई के लक्ष्य को एक बड़े अंतर से रेखांकित कर रही है, आरबीआई को उसके दरों में कमी करने पर विचार करने को प्रेरित कर रही है। 
  • सीआईआई ने आगामी मौद्रिक नीति में मांग में तेज़ी लाने के लिये 50 आधार अंकों की दर में कटौती की सिफारिश की है। 

WPI एवं CPI  में क्या अंतर है ?

  • थोक मूल्य सूचकांक ( WPI ) का उपयोग थोक स्तर पर वस्तुओं की कीमतों का पता लगाने के लिये किया जाता है। अर्थव्यवस्था में सभी वस्तुओं की कीमतों में परिवर्तन को मापना या पता लगाना वास्तव में असंभव है। इसलिये  थोक मूल्य सूचकांक में एक नमूने को लेकर मुद्रास्फीति को मापा जाता है। इसके पश्चात एक आधार वर्ष तय किया जाता है जिसके सापेक्ष में वर्तमान मुद्रास्फीति को मापा जाता है। 
  • भारत में थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर महँगाई की गणना की जाती है। 
  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक ( CPI ) में मुद्रास्फीति की माप खुदरा स्तर पर की जाती है जिसमें उपभोक्ता प्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहते हैं। यह पद्वति आम उपभोक्ता पर मुद्रास्फीति के प्रभाव को बेहतर तरीके से मापती है। 
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