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सामाजिक न्याय

विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2019

  • 04 Dec 2019
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2019

मेन्स के लिये:

स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2019 जारी की गई है।

प्रमुख बिंदु:

  • रिपोर्ट के अनुसार विश्व भर में कुल 228 मिलियन मलेरिया के मामले सामने आए हैं।
  • इनमें 93% मामले अफ्रीकी क्षेत्र में, 3.4% दक्षिण पूर्वी एशियाई क्षेत्र में और 2.1% मामले पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में पाए गए हैं।
  • विश्व भर में मलेरिया के कुल मामलों का लगभग 50% केवल 6 देशों में पाए गए।
  • इनमें नाइजीरिया (24%), कांगो (11%), तंजानिया (5%), अंगोला (4%), मोजाम्बिक (4%) और नाइजर (4%) शामिल हैं।
  • वर्ष 2015 से 2018 तक वैश्विक स्तर पर मलेरिया से प्रभावित देशों में केवल 31 देशों में मलेरिया के मामलों में कमी आई है।
  • 5 वर्ष से कम की आयु वाले बच्चे सबसे अधिक संवेदनशील पाए गए हैं।
    • आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2018 में मलेरिया से होने वाली मौतों में 67% मौतें इसी आयु वर्ग में हुई हैं।

भारत के संदर्भ में:

  • रिपोर्ट के अनुसार, उच्च बोझ से उच्च प्रभाव (High Burden to High Impact-HBHI) की सूची में शामिल देशों में भारत और युगांडा ने वर्ष 2018 में मलेरिया के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई है।
    • वर्ष 2017-18 के बीच अफ्रीका और भारत में मलेरिया के मामलों में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई, फिर भी मलेरिया से होने वाली 85% मौतें यहीं हुई हैं।
  • भारत में मलेरिया की मामलों में वर्ष 2018 में वर्ष 2017 के मुकाबले 28% की कमी आई है।
    • इससे पहले 2016 और 2017 के बीच 24% की कमी दर्ज की गई थी।
  • भारत विश्व में मलेरिया से सबसे अधिक प्रभावित 4 देशों की सूची से बाहर हो गया है।
    • हालाँकि यह अभी भी सबसे अधिक प्रभावित 11 देशों की सूची में शामिल एकमात्र गैर-अफ्रीकी देश है।
  • मलेरिया के मुख्य वाहक परजीवी प्लाज़्मोडियम फाल्सीपेरम और प्लाज़्मोडियम विवैक्स हैं।
  • भारत में लगभग 47% मामलों में मलेरिया का कारण प्लाज़्मोडियम विवैक्स रहा है।

भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

  • भारत में मलेरिया के मामलों से निपटने के लिए मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं (Accredited Social Health Activists-ASHAs) को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है।
  • दुर्गम अंचलारे मलेरिया निराकरण (Durgama Anchalare Malaria Nirakaran- DAMaN) नामक पहल के माध्यम से मलेरिया के प्रसार पर अंकुश लगाने तथा उसके निदान और उपचार के लिये व्यापक प्रयास किये गए हैं, इन प्रयासों के चलते बहुत ही कम समय में प्रभावशाली परिणाम भी प्राप्त हुए हैं।
  • 2017 और 2018 में मलेरिया से लड़ने के लिये घरेलू अनुदान को बढाया गया है।
  • राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत बजटीय परिव्यय को वर्ष 2017-18 के 468 करोड़ के बजट को बढ़ाकर 2018-19 में 491 करोड़ रूपए और 2019-20 में 1,202.81 करोड़ रुपए तक निर्धारित किया गया है।
  • भारत सरकार ने वर्ष 2030 तक मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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