इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

जो पहले से स्मार्ट, उसे स्मार्ट बनाने से क्या लाभ?

  • 14 Jun 2017
  • 9 min read

संदर्भ
शहरी विकास मंत्रालय से प्राप्त आँकड़ों के अनुसार स्मार्ट सिटीज़ मिशन में 2015 से 2020 तक 59 शहरों में 1.31 लाख करोड़ रुपये खर्च किये जाने का प्रस्ताव है। प्राप्त आँकड़ों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि सरकार के प्रस्तावित निवेश का 80 प्रतिशत उन क्षेत्रों में जाएगा, जो पहले से ही पूर्ण रूप से विकसित हैं; और ये क्षेत्र यह स्मार्ट सिटीज़ के तहत आने वाले शहरों के संचयी क्षेत्र का केवल 2.7 प्रतिशत ही होगा।

इसी विसंगति पर आधारित है यह न्यूज़ एनालिसिस, जो 14 जून के Indian Express में पहले पृष्ठ पर 80% Smart City funds....शीर्षक के तहत प्रकाशित हुआ है।

क्या है स्मार्ट सिटीज़ मिशन?
इस समाचार का विश्लेषण करने से पहले यदि यह जानकारी हो जाए कि स्मार्ट सिटीज़ मिशन क्या है, तो विषय को समझने में आसानी रहेगी...

  • सार्वभौमिक रूप से स्मार्ट सिटी की ऐसी कोई परिभाषा नहीं है जिसे सर्वत्र स्‍वीकार किया जाता है। अलग-अलग लोगों के लिये इसका आशय अलग-अलग होता है। 
  • स्मार्ट सिटी की संकल्पना, शहर-दर-शहर और देश-दर-देश भिन्‍न होती है जो विकास के स्तर, परिवर्तन और सुधार की इच्छा, शहर के निवासियों के संसाधनों और उनकी आकांक्षाओं पर निर्भर करता है। 
  • स्मार्ट सिटी मिशन में शहरों के मार्गदर्शन करने के लिये कुछ पारिभाषिक सीमाएँ अपेक्षित हैं। 
  • भारत में किसी भी शहर के निवासी की कल्पना की स्मार्ट सिटी में ऐसी अवसंरचना एवं सेवाओं की सूची हो सकती है जो उसकी आकांक्षा के स्तर को वर्णित करती है। 
  • स्मार्ट सिटी की संकल्पना में नागरिकों की आकांक्षाओं और ज़रूरतों को पूरा करने के लिये योजनाकार को पूरे शहरी पारिस्थितिकी तंत्र का इस प्रकार विकास करना होता है, जो व्‍यापक वि‍कास के चार स्तंभों—संस्थागत, भौतिक, सामाजिक और आर्थिक अवसंरचना में दिखाई दे। यह दीर्घावधिक लक्ष्‍य है।

संक्षेप में कहें तो स्मार्ट सिटी मिशन में क्षेत्र-आधारित विकास के कार्यनीतिक घटक—नगर सुधार (पुन: संयोजन), शहर का नवीकरण (पुनर्विकास) और शहर का विस्तार (हरित क्षेत्र का विकास) और पैन-‍सिटी (पूरे शहर) की पहल है जिसमें शहर के अधिकांश भाग को शामिल करते हुए स्‍मार्ट समाधानों का उपयोग किया जाता है।

सरकार का लक्ष्य
स्मार्ट सिटीज़ मिशन के तहत 2015-16 से 2019-20 के बीच 100 से अधिक शहरों को ‘स्मार्ट’ बनाने का सरकर का लक्ष्य है। मिशन में स्मार्ट सिटी की परिभाषा नहीं दी गई, लेकिन इसका लक्ष्य उस शहर की क्षमता बढ़ाना है, जो स्मार्ट सुविधाओं के माध्यम से ‘स्मार्ट’ बनना चाहता है। स्मार्ट सुविधाओं की लंबी सूची में से कुछ हैं—ई-प्रशासन तथा इलेक्ट्रॉनिक सेवा आपूर्ति, कैमरों के माध्यम से अपराधों की निगरानी, जलापूर्ति प्रबंधन के लिये स्मार्ट मीटर, स्मार्ट पार्किंग तथा यातायात का स्मार्ट प्रबंधन। 

वर्तमान स्थिति
स्मार्ट सिटीज मिशन के दो वर्ष पूरे होने के अवसर पर सरकार शीघ्र ही शेष बचे 40 स्मार्ट शहरों की अंतिम सूची जारी करने वाली है. लेकिन पहले घोषित हो चुके 59 स्मार्ट शहरों पर नज़र डालने पर पता चलता है कि इस मिशन के पहले चरण में जो कुछ भी ज़मीन पर दिखाई दे रहा है, वह दूर-दूर छिटके विकास के टापुओं के अलावा और कुछ नहीं होगा।

क्या है विसंगति?
2011 की जनगणना के अनुसार, स्मार्ट सिटी मिशन के एक अन्य घटक—पैन सिटी प्रोजेक्ट्स (जो शहरों के सभी हिस्सों को कवर करेगा) के लिये प्रस्तावित धनराशि केवल 26,141 करोड़ रुपए है. इसके अलावा इन 59 स्मार्ट शहरों के क्षेत्र आधारित विकास (Area Based Development-ABD) घटक के तहत ऐसे स्थानों का कुल क्षेत्रफल 246 वर्ग किमी. है, जो इन शहरी स्थानीय निकायों के कुल क्षेत्रफल 9065 वर्ग किमी. का केवल 2.7 प्रतिशत है। 


यह क्षेत्र आधारित विकास चयनित शहरों में उन स्थानों को इंगित करता है जिन्हें सूचना तकनीक और अवसंरचना परियोजनाओं, जैसे-वाईफाई हॉटस्पॉट, सेंसर-आधारित सार्वजनिक प्रकाश व्यवस्था, सड़कों का नया स्वरूप, स्टार्टअप को बढ़ावा देने वाले क्षेत्र और मल्टी-मोडल ट्रांजिट पॉइंट (पारगमन बिंदु) के संयोजन के साथ 'स्मार्ट' बनाया जाएगा।

स्मार्ट शहरों की सूची में पहला स्थान पाने वाले भुवनेश्वर; दूसरा स्थान पाने वाले पुणे; तीसरा, चौथा और पाँचवाँ स्थान पाने वाले क्रमशः जयपुर, सूरत और कोच्चि में 65 से 90 प्रतिशत तक धनराशि क्षेत्र आधारित विकास घटक के तहत बहुत छोटे से क्षेत्र को स्मार्ट बनाने पर खर्च की जाएगी। इनके अलावा, जबलपुर, विशाखापत्तनम और इंदौर जैसे अन्य शहरों ने भी अपने शहर के दो प्रतिशत से कम क्षेत्र में 90 प्रतिशत से अधिक धनराशि खर्च करने का प्रस्ताव किया है। 

क्या हैं नियम-कायदे?

  • पाँच साल के मिशन की अवधि में, केंद्र सरकार प्रत्येक स्मार्ट सिटी को 500 करोड़ रुपए देगी, जबकि राज्य और स्थानीय निकाय इतनी ही धनराशि का प्रबंध करेंगे तथा शेष धनराशि की व्यवस्था निजी कंपनियों तथा अन्य स्रोतों से की जाएगी। 
  • लेकिन स्मार्ट सिटी मिशन के दिशा-निर्देशों में यह स्पष्ट कहा गया है कि पूर्व निर्धारित क्षेत्र आधारित विकास के अलावा इस पूंजी का प्रयोग और पैन सिटी अवसंरचना को सुधारने के लिए नहीं किया जा सकता।
  • पैन सिटी घटक के तहत अवसंरचनात्मक सुविधाओं के किसी एक विशेष पक्ष के लिये प्रौद्योगिकी का विकास किया जा सकता है।
  • दरअसल, स्मार्ट सिटी के नियम यह सुनिश्चित करते हैं कि पूरे शहर का विकास करने के बजाय चुने हुए शहरों में पहले ही से विकसित क्षेत्रों में और धन खर्च कर उनका और विकास किया जाए।   

फिलहाल स्मार्ट सिटी में छोटे क्षेत्र को स्मार्ट बनाने पर ज़ोर दिया जा रहा है और पैन-सिटी इस मिशन के तहत प्रदान की जाने वाली अतिरिक्‍त विशेषता है। पैन-सिटी के विकास के लिए पूरे शहर में मौजूदा अवसंरचना में चुनिंदा स्‍मार्ट समाधानों के प्रयोग की परिकल्पना है। इन स्‍मार्ट समाधानों के प्रयोग में अवसंरचना और सेवाओं को बेहतर बनाने के लिये तकनीक, सूचना और आँकड़ों का उपयोग शामिल होगा। आवश्यकता इस बात की है कि प्रत्‍येक चयनित शहर के स्‍मार्ट सिटी के प्रस्‍ताव में पुनः संयोजन अथवा पुनर्विकास अथवा हरित क्षेत्र के विकास अथवा इनके मिश्रण और स्‍मार्ट समाधानों वाले पैन-सिटी की विशेषताएँ शामिल की जाएँ, ताकि शहर के सभी निवासी यह महसूस करें कि इसमें उनके लिये कुछ न कुछ है।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow