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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

अंतरिक्ष उड़ान के खतरे और मानव स्वास्थ्य

  • 01 May 2019
  • 10 min read

चर्चा में क्यों?

महिला अंतरिक्ष यात्री क्रिस्टीना कोच फरवरी 2020 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station- ISS) पर 11 महीने का समय व्यतीत कर पृथ्वी पर वापस लौटेंगी।

  • अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर व्यतीत किये गये 11 महीने से प्राप्त अनुभवों का चंद्रमा और मंगल पर मानव मिशन भेजने की तैयारी में अहम योगदान हो सकता है।

मिशन की आवश्यकता क्यों?

  • इस मिशन की आवश्यकता इसलिये हैं क्योंकि अब तक उपलब्ध अधिकांश डेटा/आँकड़े पुरुष अंतरिक्ष यात्रियों पर आधारित हैं, जबकि अंतरिक्ष मिशन के दौरान पुरुष और महिला यात्रियों के शरीर पर इसका अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।
  • पुरुषों और महिलाओं की शारीरिक संरचना में अंतर होने के कारण क्या अंतरिक्ष प्रवास के दौरान इन पर कोई भिन्न प्रभाव परिलक्षित होता है अथवा नहीं? इस संदर्भ में भविष्य में प्रायोजित लंबी अंतरिक्ष यात्राओं को ध्यान में रखते हुए अध्ययन पर बल दिया जा रहा है।

5 जोखिम/खतरे (5 Hazards)

अंतरिक्ष उड़ान के दौरान मनुष्य के शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों को नासा द्वारा 5 व्यापक मानदंडों के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिन्हें ‘5 खतरों’ (5 Hazards) के रूप में जाना जाता है।

  • विकिरण (Radiation)
  • अलगाव और परिरोध (Isolation and confinement)
  • पृथ्वी से दूरी (Distance from Earth)
  • गुरुत्वाकर्षण (Gravity)
  • प्रतिकूल/बंद वातावरण (Hostile/closed environments)

विकिरण (Radiation)

  • अंतरिक्ष उड़ानें पृथ्वी के ‘सुरक्षात्मक चुंबकीय क्षेत्र’ के बाहर होती है, जहाँ विकिरण बहुत अधिक होता है, जिसका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को पृथ्वी के सुरक्षात्मक वातावरण के अनुरूप तैयार किया गया है लेकिन फिर भी अंतरिक्ष में विकिरण पृथ्वी की तुलना में 10 गुना अधिक होता है।
  • विकिरण के परिणामस्वरुप कैंसर का जोखिम बढ़ता है, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुँचता है, संज्ञानात्मक कार्य परिवर्तित हो सकता है तथा शरीर के अन्य वाह्य एवं आतंरिक कार्यों में भी परिवर्तन हो सकता है।

अलगाव और परिरोध (Isolation and confinement)

  • लंबे समय तक एक छोटे से अंतरिक्ष स्टेशन में रहने से अंतरिक्ष यात्रियों के बीच व्यवहार में परिवर्तन होना स्वाभाविक है।
  • नींद की कमी, शरीर की जैविक गतिविधियों में परिवर्तन, काम का अधिक दबाव एवं प्रदर्शन में कमी, स्वास्थ्य के लिये प्रतिकूल परिणाम प्रदर्शित कर सकते हैं।

पृथ्वी से दूरी (Distance from Earth)

  • जैसे-जैसे पृथ्वी से अंतरिक्ष उड़ान की दूरी बढ़ती है, संचार स्थापित करने में देरी होती है।
  • उदाहरण के लिये मंगल ग्रह पृथ्वी से इतनी दूर है कि अंतरिक्षयान से रेडियो संकेतों को पृथ्वी पर वापस आने में काफी समय लगता है। यह देरी न्यूनतम 4 मिनट से अधिकतम 24 मिनट की हो सकती है।

गुरुत्वाकर्षण (Gravity)

  • अलग-अलग ग्रहों पर गुरुत्वाकर्षण अलग-अलग होता है जिससे अंतरिक्ष यात्रियों का कार्यक्षेत्र एवं जीवनशैली प्रभावित होती है।
  • इसके अतिरिक्त खोजकर्त्ता यात्रा के दौरान भारहीनता का भी अनुभव करते हैं।
  • अंतरिक्ष यात्री जब एक गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से दूसरे गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में प्रवेश करते हैं तब यह समस्या और जटिल हो जाती है।

प्रतिकूल/बंद वातावरण (Hostile/closed environments)

  • नासा ने अपने अध्ययन में पाया है कि अंतरिक्षयान के अंदर का परिवेश अंतरिक्ष यात्रियों के रोज़मर्रा के जीवन में बड़ी भूमिका निभाता है।
  • शरीर में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीव अंतरिक्ष में अपनी विशेषताओं/गुणों को परिवर्तित कर सकते हैं।
  • सूक्ष्मजीव जो स्वाभाविक रूप से अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर पर अथवा वस्तुओं के साथ अंतरिक्ष में प्रवेश करते हैं, अंतरिक्ष स्टेशन जैसे बंद आवास में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से स्थानांतरित हो सकते हैं।

मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव Impact of Human Health

  • वज़नहीनता और ऑस्टियोपोरोसिस

♦ नासा के अनुसार, गुरुत्वाकर्षण की कमी के कारण हड्डियों में खनिजों की कमी होने लगती है और हड्डियों का घनत्व 1% प्रतिमाह की दर से कम होने लगता है। तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो पृथ्वी पर बुजुर्ग पुरुषों एवं महिलाओं की हड्डियों का घनत्व 1- 1.5 % प्रतिवर्ष की दर से कम होता है।

♦ पृथ्वी पर लौटने के बाद भी अंतरिक्ष यात्रियों की हड्डियों में हुए नुकसान को सही नहीं किया जा सकता है, इसलिये एक अंतरिक्ष यात्री को भविष्य में ऑस्टियोपोरोसिस से संबंधित फ्रैक्चर का खतरा हो सकता है।

♦ गुरुत्वाकर्षण की अनुपस्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर का तरल पदार्थ उनके सिर की तरफ खिसकने लगता है जो दाब बढ़ाते हुए दृष्टि संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है।

  • सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण और ऑस्टियोपोरोसिस

♦ ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति में हड्डियाँ/अस्थियाँ कमज़ोर हो जाती हैं, जिससे इनके नाजुक होने तथा टूटने की संभावना बढ़ जाती है।

♦ ओस्टियोब्लास्ट और ओस्टियोक्लास्ट (हड्डियों की कोशिका के प्रकार, जो ऊतकों का निर्माण करते हैं) मानव शरीर में हड्डियों के ऊतकों (Bone Tissues) को लगातार पुनर्निर्मित करते रहते हैं।

♦ ऑस्टियोब्लास्ट हड्डियों के निर्माण के लिये ज़िम्मेदार होते हैं, जबकि ऑस्टियोक्लास्ट हड्डियों के टूटने के लिये ज़िम्मेदार होते हैं।

♦ सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण की स्थिति में ऑस्टियोक्लास्ट्स के बनने की दर बढ़ जाती है, जिसके परिणामस्वरूप हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है।

♦ यह अंतरिक्ष यात्रियों में ऑस्टियोपोरोसिस का प्राथमिक कारण है।

  • अंतरिक्ष उड़ान के दौरान टेलोमेयर्स की स्थिति

♦ अंतरिक्षयान में प्रवास के दौरान टेलोमेयर्स का आकार बढ़ जाता है।

♦ टेलोमेयर्स वे कैप सदृश संरचनाएँ हैं जो हमारे गुणसूत्रों के सिरों की सुरक्षा करती हैं, जिससे डीएनए नुकसान से रक्षा होती है। अनुसंधान से पता चला है कि टेलोमेयर्स का आकार बढ़ने पर बढ़ती उम्र से संबंधित समस्या कम हो जाती है।

  • शरीर के द्रव्यमान में कमी और फोलेट का बढ़ना

♦ अंतरिक्षयान में प्रवास के दौरान शरीर के द्रव्यमान में परिवर्तन होता है

♦ ‘फोलेट’ बी-विटामिन में से एक है और अस्थि-मज्जा में लाल तथा श्वेत रक्त कोशिकाओं को बनाने, कार्बोहाइड्रेट को ऊर्जा में बदलने और डीएनए एवं आरएनए का उत्पादन करने के लिये आवश्यक है।

  • जीन उत्परिवर्तन

♦ अंतरिक्ष यात्रा के दौरान उत्पन्न तनाव कोशिकाओं के भीतर जैविक मार्गों को बदल सकता है, और डीएनए एवं आरएनए के निष्कासन की वज़ह बन सकता है, जिसके परिणामस्वरुप मानव शरीर में जीन-उत्परिवर्तन की शुरुआत हो सकती है।

स्रोत- द हिंदू

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