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भारतीय अर्थव्यवस्था

नेगेटिव यील्ड बॉण्ड

  • 24 Nov 2020
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये 

नेगेटिव यील्ड बॉण्ड

मेन्स के लिये

नेगेटिव यील्ड बॉण्ड का महत्त्व और आवश्यकता

चर्चा में क्यों?

बीते कुछ समय में अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में नेगेटिव यील्ड बॉण्ड (Negative Yield Bonds) की मांग काफी तेज़ी से बढ़ गई है।

प्रमुख बिंदु

  • क्या है नेगेटिव यील्ड बॉण्ड?
    • सरल शब्दों में हम कह सकते हैं कि नेगेटिव यील्ड बॉण्ड ऐसे ऋण विलेख होते हैं, जिनकी बॉण्ड यील्ड नकारात्मक होती है यानी इस प्रकार के बॉण्ड खरीदने पर निवेशक को बॉण्ड की परिपक्वता अवधि पर बॉण्ड के कुल मूल्य से कम राशि प्राप्त होती है।
      • बॉण्ड यील्ड का अभिप्राय बॉण्ड पर मिलने वाली रिटर्न की धनराशि से होता है।  बॉण्ड की कीमत और बॉण्ड यील्ड के बीच नकारात्मक संबंध होता है। जब बॉण्ड की कीमत बढ़ती है तो बॉण्ड यील्ड घटता है तथा इसके विपरीत जब बॉण्ड की कीमत घटती है तो बॉण्ड यील्ड बढ़ता है। 
    • नेगेटिव यील्ड बॉण्ड को एक विचित्र वित्तीय विलेख माना जाता है, क्योंकि इसमें बॉण्ड जारी करने वाली कंपनी अथवा संस्थान को ऋण लेने के लिये भुगतान किया जाता है। 

क्या होता है बॉण्ड?

  • बॉण्ड एक प्रकार का ऋण विलेख होता है, जिसके द्वारा कंपनियों और अलग-अलग देशों की सरकारों द्वारा धन जुटाने के उद्देश्य से जारी किये जाते हैं। बॉण्ड के माध्यम से जुटाए गए धन को ऋण के रूप में देखा जाता है।
  • आमतौर पर निवेशक अंकित मूल्य पर किसी बॉण्ड को खरीदते हैं, जो कि निवेश की गई मूल राशि होती है। बॉण्ड खरीदने के बदलने में निवेशकों को बॉण्ड यील्ड प्राप्त होती है।
  • प्रत्येक बॉण्ड की एक परिपक्वता अवधि होती है, और इसी अवधि पर निवेशक को अपनी मूल राशि वापस मिल जाती है।

क्यों खरीदते हैं नेगेटिव यील्ड बॉण्ड?

  • विविध पोर्टफोलियो बनाने के लिये: म्यूच्यूअल फंड का प्रबंधन करने वाले कई निवेशक और कंपनियाँ, अपने निवेश पोर्टफोलियो को विविध बनाकर अपने जोखिम को कम करने के उद्देश्य से नेगेटिव यील्ड बॉण्ड में निवेश करते हैं।
  • कोलैटरल के रूप में प्रयोग करने हेतु: बॉण्ड का उपयोग प्रायः वित्तपोषण के लिये कोलैटरल (Collateral) के रूप में भी किया जाता है और इसी वजह से निवेशकों को इन ऋण विलेखों की आवश्यकता पड़ती है, भले ही उनकी बॉण्ड यील्ड नकारात्मक ही क्यों न हो।
  • विनिमय दर से लाभ प्राप्त करने के लिये: अक्सर विदेशी निवेशक इस उम्मीद के साथ भी नेगेटिव यील्ड बॉण्ड में निवेश करते हैं कि उन्हें मुद्रा विनिमय दर (Exchange Rate) में परिवर्तन के कारण भविष्य में लाभ प्राप्त होगा। 
  • घरेलू अपस्फीति जोखिम से बचने के लिये: कई बार निवेशक घरेलू अर्थव्यवस्था में अपस्फीति जोखिम अथवा कीमतों के कम हो जाने के कारण होने वाले जोखिम से बचने के लिये भी नेगेटिव यील्ड बॉण्ड में निवेश करते हैं।
    • उदाहरण के लिये, हमारे पास कोई एक वर्षीय नेगेटिव यील्ड बॉण्ड है, जिसकी बॉण्ड यील्ड (-) 5 प्रतिशत है, किंतु अनुमान के मुताबिक इसी अवधि में मुद्रास्फीति (-) 10 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
    • इसका अर्थ है कि बॉण्ड के निवेशक के पास वर्ष के अंत में अधिक क्रय शक्ति होगी, क्योंकि वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में आई गिरावट बॉण्ड की कीमतों में होने वाली गिरावट से अधिक है।
  • निवेश की सुरक्षा के लिये: निवेशक तब भी नेगेटिव यील्ड बॉण्ड के प्रति आकर्षित हो सकते हैं जब उनमें किये जाने वाले निवेश का नुकसान किसी अन्य वित्तीय प्रपत्र में किये जाने निवेश के नुकसान से कम हो। मौजूदा आर्थिक अनिश्चितता के दौर में कई निवेशक नेगेटिव यील्ड बॉण्ड खरीद रहे हैं, क्योंकि उन्हें ऐसी स्थिति में सुरक्षित निवेश माना जाता है।

मौजूदा स्थिति

  • मौजूदा समय में जब संपूर्ण विश्व कोरोना वायरस महामारी का सामना कर रहा है और यूरोप समेत कई अन्य विकसित बाज़ारों में बॉण्ड और अन्य वित्तीय प्रपत्रों की ब्याज़ दरें काफी नीचे चली गईं हैं तो अधिकांश निवेशक अपने हितों की रक्षा करने के लिये अपेक्षाकृत बेहतर विकल्पों की खोज कर रहे हैं और नेगेटिव यील्ड बॉण्ड इसी विकल्प के तौर पर कार्य कर रहा है।
  • हाल ही में चीन ने पहली बार नेगेटिव यील्ड बॉण्ड जारी किये हैं और संपूर्ण यूरोप में निवेशकों के बीच इनकी काफी उच्च मांग देखी गई है।
  • कारण: 
    • चीन के बॉण्ड की अधिक मांग का सबसे मुख्य कारण है कि यूरोपीय बाज़ारों द्वारा दिया जा रहा बॉण्ड यील्ड चीन के बॉण्ड यील्ड से काफी कम है।
    • चीन द्वारा जारी किये गए 5-वर्षीय बॉण्ड की यील्ड (-) 0.15 प्रतिशत है, जबकि यूरोपीय बाज़ारों में जारी बॉण्ड की यील्ड (-) 0.5 प्रतिशत से (-) 0.75 प्रतिशत के बीच है।
    • ध्यातव्य है कि जहाँ एक ओर महामारी के प्रभावस्वरूप विश्व की अधिकांश अर्थव्यवस्था में नकारात्मक वृद्धि दर दर्ज की गई है, वहीं चीन उन कुछ चुनिंदा देशों में शामिल है जिन्होंने मौजूदा वित्तीय वर्ष में महामारी के बावजूद आर्थिक वृद्धि दर्ज की है। चीन की ये आर्थिक वृद्धि भी निवेशकों के आकर्षण का कारण हो सकती है।
    • यूरोप, अमेरिका और विश्व के अन्य हिस्सों में संक्रमण की दर अभी भी काफी तेज़ी से बढ़ रही है, जबकि चीन ने महामारी के प्रसार को नियंत्रित कर लिया है और वहाँ कुछ हद तक स्थिरता दिखाई दे रही है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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