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कैट क्यू वायरस

  • 30 Sep 2020
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये

कैट क्यू वायरस, कोरोना वायरस

चर्चा में क्यों?

जहाँ एक ओर भारत कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी का सामना कर रहा है, वहीं दूसरी ओर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research-ICMR) के वैज्ञानिकों ने चीन के एक नए वायरस- कैट क्यू वायरस (Cat Que Virus-CQV) को लेकर चेतावनी जारी की है।

प्रमुख बिंदु

  • ‘इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ में इस वर्ष जुलाई माह में प्रकाशित एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने दो मानवों में कैट क्यू वायरस (CQV) के विरुद्ध एंटीबॉडी की उपस्थिति का भी उल्लेख किया था।

क्या है कैट क्यू वायरस?

  • आर्थोपोड-जनित वायरस (Arthropod-Borne Virus) की श्रेणी में आने वाले कैट क्यू वायरस (CQV) को अब तक मुख्य तौर पर चीन और वियतमान में पाया गया है।
  • अध्ययन के दौरान चीन में पालतू सूअरों (Domestic Pigs) को इस वायरस के संक्रमण का मुख्य स्रोत माना गया है, जबकि इसका संचरण मुख्य तौर पर मच्छरों से हो रहा है।
    • अध्ययन के अनुसार, चीन में स्थानीय रूप से पाले गए सूअरों में वायरस के विरुद्ध एंटीबॉडी पाई गई है, जिसका अर्थ है कि इस वायरस ने चीन में स्थानीय स्तर पर ‘प्राकृतिक चक्र’ स्थापित कर लिया है और इस वायरस में मच्छरों के माध्यम से सूअर तथा अन्य जानवरों की आबादी में फैलने की क्षमता है।
  • शोधकर्त्ताओं के अनुसार, कैट क्यू वायरस (CQV) की उपस्थिति सर्वप्रथम वर्ष 2004 में सामने आई थी और आर्थोपोड-जनित वायरस की श्रेणी वाले इस वायरस में मनुष्यों और पशु प्रजातियों को संक्रमित करने की क्षमता है।

कितना खतरनाक है यह वायरस?

  • अभी यह बात स्पष्ट नहीं हुई है कि मानव प्रजाति के लिये यह वायरस कितना खतरनाक हो सकता है। हालाँकि कैट क्यू वायरस (CQV) की तरह प्रसारित होने वाले इसी तरह के अन्य वायरस जैसे- कैश वैली वायरस के कारण मैनिंज़ाइटिस, ला क्रोसे वायरस के कारण मस्तिष्क में सूजन और ग्वारो वायरस के कारण तीव्र ज्वार जैसी समस्याएँ पैदा हो सकती हैं।

भारत में कैट क्यू वायरस

  • भारत में कैट क्यू वायरस (CQV) को लेकर वर्ष 2017-2018 में किये गए अध्ययन के लिये वर्ष 2014 से वर्ष 2017 के दौरान तीव्र बुखार से संबंधित बीमारियों से प्रभावित 1020 लोगों के नमूने एकत्र किये गए थे। 
    • इन नमूनों में से अधिकांश नमूने कर्नाटक (806) से एकत्र किये गए थे, जिसके बाद महाराष्ट्र (116), केरल (51), मध्य प्रदेश (20) और गुजरात (27) का स्थान है।
  • यद्यपि परीक्षण के दौरान उनमें से कोई भी नमूना कैट क्यू वायरस (CQV) से संक्रमित नहीं पाया गया, किंतु इन्हीं में से जब 883 नमूनों का वायरस की एंटीबाडी की उपस्थिति के लिये परीक्षण किया गया तो उनमें से दो नमूनों में वायरस की एंटीबाडी की उपस्थिति पाई गई थी, जिसका अर्थ था कि ये लोग कभी वायरस से संक्रमित हुए थे। ज्ञात हो कि ये दोनों नमूने कर्नाटक से लिये गए थे। 
    • हालाँकि शोधकर्त्ता मानते हैं कि भारत में यह वायरस अभी तक निष्क्रिय है।

आगे की राह

  • कई जानकार मानते हैं कि वैश्विक तापमान में वृद्धि और जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप हमारी पृथ्वी की स्थिति में परिवर्तन आ रहा है और इसके कारण वायरस से संबंधित घटनाओं में बढ़ोतरी की प्रवृति देखी जा रही है।
  • आवश्यक है कि कैट क्यू वायरस (CQV) और ऐसे ही अन्य वायरसों के संबंध में वैज्ञानिकों द्वारा अधिक-से-अधिक अनुसंधान किया जाए, ताकि भविष्य में इस प्रकार के वायरस से निपटना अपेक्षाकृत आसान हो जाए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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