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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

शहरी ठोस अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन

  • 30 Aug 2017
  • 3 min read

चर्चा में क्यों ?

नीति आयोग ने ठोस अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन करने के लिये एक प्राधिकरण स्थापित करने का सुझाव दिया है। यह प्राधिकरण नगरपालिकाओं के ठोस अपशिष्ट को साफ करने के लिये सार्वजनिक-निजी साझेदारी (पीपीपी) में अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन करने का कार्य देखेगा। गौरतलब है कि शहरी ठोस अपशिष्ट सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये गंभीर खतरा बनता जा रहा है।  

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की आवश्यकता 

  • भारत में बढ़ते शहरीकरण के कारण शहरों में रोज़ाना भारी मात्रा में ठोस कचरा पैदा हो रहा है। परंतु शहरों के पास इनके समुचित निपटारे की व्यवस्था नहीं है।
  • जो भी थोड़ी-बहुत व्यवस्था है वह धीमी है जिसके कारण देश के लगभग सभी शहरों में अपशिष्ट के पहाड़ बनते जा रहे हैं। ये पहाड़ सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये गंभीर खतरें  पैदा कर रहे हैं। इसलिये ठोस अपशिष्ट के प्रबंधन की आवश्यकता है।  

प्राधिकरण की आवश्यकता

  • नीति आयोग ने इस समस्या के समाधान के लिये एक प्राधिकरण के गठन का सुझाव दिया है। इस प्राधिकरण का नाम ‘वेस्ट टू एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया’ हो सकता है। 
  • इसे आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत रखा जा सकता है।
  • यह प्राधिकरण सार्वजनिक-निजी साझेदारी से ठोस अपशिष्ट  से ऊर्जा उत्पादन के लिये विश्व स्तरीय संयंत्र की स्थापना करेगा तथा 2019 तक देश के 100 स्मार्ट शहरों में इस तरह के ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना की दिशा में तेज़ी से कार्य करेगा। 

सबसे अच्छा विकल्प

  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, 7935 शहरी क्षेत्रों में रहने वाले 377 मिलियन लोग रोज़ाना 1,70,000 टन ठोस अपशिष्ट पैदा करते हैं। 
  • शहरी स्थानीय निकाय को ठोस अपशिष्ट के प्रबंधन के लिये 500 से 1500 रुपए प्रति टन खर्च करनी पड़ती है। 
  • इसमें से लगभग 60-70% खर्च अपशिष्ट  के संग्रह पर और 20-30% परिवहन पर खर्च होता है, लेकिन इसके ट्रीटमेंट और निपटारे के लिये कुछ नहीं किया जाता। 
  • अतः नीति आयोग के अनुसार, इस समस्या से निपटने के लिये इस अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पन्न करना ही सबसे अच्छा विकल्प है।
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