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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

गुजरात चुनावों में वीवीपीएटी का प्रयोग?

  • 07 Jul 2017
  • 4 min read

संदर्भ
सर्वोच्च न्यायालय ने निर्वाचन आयोग द्वारा 2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों  में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के साथ मतदाता सत्यापनीय कागज़ ऑडिट ट्रेल ( Voter Verifiable Paper Audit Trail-VVPAT ) इकाइयों का उपयोग न करने की इच्छा पर  प्रश्न उठाया और निर्वाचन आयोग को चेतावनी दी कि न्यायालय  को ऐसा करवाने के लिये बाध्य न किया जाए।  

क्या है वीवीपीएटी ( VVPAT )

  • यह उपकरण वोट डाले जाने की पुष्टि करता है और इससे मतदान की पुष्टि की जा सकती है। इस मशीन को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड द्वारा  2013 में डिज़ाइन किया गया था। 
  • वीवीपीएट के साथ प्रिंटर की तरह का एक उपकरण इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से जुड़ा होता है।
  • इसके तहत इसमें मतदाता द्वारा उम्मीदवार के नाम का बटन दबाते ही, उस उम्मीदवार के नाम और राजनीतिक दल के चिन्ह की पर्ची अगले दस सेकेंड में मशीन से बाहर निकल जाती है। इसके बाद यह एक सुरक्षित बक्से में गिर जाती है। 
  • पर्ची एक बार दिखने के बाद ईवीएम से जुड़े कंटेनर में चली जाती है। ईवीएम में लगे शीशे के एक स्क्रीन पर यह पर्ची सात सेकंड तक दिखती है।
  • यह व्यवस्था इसलिये है कि किसी तरह का विवाद होने पर ईवीएम में पड़े वोट के साथ पर्ची का मिलान किया जा सके। 
  • वीवीपीएट का सबसे पहले प्रयोग  2013 में नागालैंड के निर्वाचन में किया गया था। 

प्रमुख घटनाक्रम 

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश जे.एस. खेहर और डी.वाई. चंद्रचूड़ ने गुजरात उच्च न्यायालय के एक आदेश के विरुद्ध सुनवाई पर निर्वाचन आयोग से पूछा कि आपके पास 87,000 मशीनें हैं आप उनका उपयोग क्यों नहीं कर सकते? इस पर आयोग के उत्तर से असंतुष्ट होकर न्यायमूर्ति खेहर ने आयोग को चार हफ्तों में जवाब देने के लिये कहा।
  • याचिकाकर्त्ता के वकील ने न्यायालय को बताया कि केंद्र ने 150,000 मशीनों को खरीदने के लिये निर्वाचन आयोग को 3,000 करोड़ रुपए दिये  हैं ... लेकिन अब वे कह रहे हैं कि लोगों को प्रशिक्षित करने में समय लगेगा। ऐसे बहाने लोकतंत्र में नहीं किये  जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात निर्वाचन में, निर्वाचन के लिये 71,000 मशीनों की आवश्यकता होती है।
  • उन्होंने सुब्रह्मण्यम स्वामी बनाम भारत निर्वाचन आयोग वाद 2013 के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को भी संदर्भित किया, जिसमें न्यायालय ने कहा था कि पेपर निशान पारदर्शी और निष्पक्ष चुनावों की अनिवार्य आवश्यकता है। 
  • ईवीएम में मतदाताओं का विश्वास केवल पेपर ट्रेल की शुरूआत के साथ हासिल किया जा सकता है। ईवीएम के साथ वीवीपीएटी सिस्टम मतदान प्रणाली की सटीकता सुनिश्चित करते हैं। 
  • ईवीएम में पंजीकृत वोटों को मत पेटीयों में इकट्ठा किये गये  मतपत्रों के साथ मिलाया जा सकता है इस प्रकार, आयोग यह सुनिश्चित कर सकता है कि कोई ब्यौरा आवश्यक है या नहीं। ऐसी मुद्रित प्राप्तियाँ यह सुनिश्चित करती हैं कि मतदान अधिक पारदर्शी ढंग से किया गया है और यह निर्वाचन प्रक्रिया में आत्मविश्वास को बढ़ता है।
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