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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

चीन-अमेरिका ट्रेड वार पर विराम

  • 04 Dec 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों


हाल ही में एक बैठक के दौरान चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका किसी डील में अतिरिक्त टैरिफ पर रोक लगाने पर सहमत हुए हैं जो उनके बीच चल रहे व्यापार युद्ध को रोकने में मदद करेगा। यह रोक 90 दिनों के अंतराल के लिये लगाई गई है। इस दौरान दोनों देश नए सिरे से वार्ता के माध्यम से अपने मतभेदों को दूर करने की कोशिश करेंगे।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अर्जेंटीना में वार्ता के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से कहा कि वह 200 अरब डॉलर के चीनी सामान पर 1 जनवरी से टैरिफ में 25% की बढ़ोतरी नहीं करेंगे। गौरतलब है कि इससे पहले चीनी सामानों पर 1 जनवरी को भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की गई थी।
  • इसके बदले चीन, अमेरिका से कृषि, ऊर्जा, औद्योगिक और अन्य उत्पादों की एक अनिर्दिष्ट (unspecified) लेकिन पर्याप्त मात्रा में सामान खरीदने के लिये तैयार है।
  • यकीनन यह समझौता दोनों देशों के बीच चल रहे आर्थिक टकराव को बढ़ने से रोकने में प्रभावी ढंग से मदद करेगा।
  • तथ्यों से यह कई बार सिद्ध हो चुका है कि चीन और अमेरिका दोनों देशों का हित इनके बीच मेल-जोल में निहित है, टकराव में नहीं।

नई व्यापार वार्ता

  • दोनों पक्ष तकनीकी हस्तांतरण, बौद्धिक संपदा, गैर-टैरिफ बाधाओं और कृषि सहित तमाम मुद्दों को हल करने के लिये नई व्यापार वार्ता की शुरुआत करेंगे।
  • दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए कि यदि 90 दिनों के अंदर वार्ता द्वारा कोई समाधान नहीं निकलता है तो 10% के टैरिफ को बढ़ाकर 25% कर दिया जाएगा।
  • चीन की राज्य संचालित मीडिया ने दोनों नेताओं की महत्त्वपूर्ण आम सहमति की सराहना की। किंतु 90 दिनों की समय-सीमा का जिक्र नहीं किया।

Trade War

  • दोनों पक्षों द्वारा आम सहमति के पश्चात् मुश्किल काम है वार्ता में शामिल होकर किसी परिणाम पर पहुँचना है। दोनों पक्षों को अविलंब इस अवसर को भुनाने का पूरा प्रयास करना होगा।
  • अमेरिका द्वारा चीन पर थोपे गए टैरिफ की भरपाई अमेरिकी कंपनियाँ और ग्राहक ज़्यादा कीमत देकर कर रहे हैं। इसके साथ ही कई कंपनियों ने आयातित सामानों की कीमतें भी बढ़ा दी हैं।

Qualcomm-NXP सौदा

  • स्मार्टफोन का चिप बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी Qualcomm Inc को अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के कारण चीनी विनियामक से अनुमोदन स्वीकृत न हो पाने की वज़ह से 44 बिलियन डॉलर के सौदे से पीछे हटना पड़ा। इस कंपनी को अमेरिका-चीन व्यापार विवाद का शिकार होना पड़ा।

चीन पर टैरिफ और भारत

  • भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry-CII) के अनुसार, यदि अमेरिका चीन पर अतिरिक्त 25 फीसदी शुल्क लगाता है तो कुछ भारतीय उत्पाद अधिक प्रतिस्पर्द्धी हो सकते हैं।
  • उद्योग मंडल के एक विश्लेषण के अनुसार, भारत को अमेरिकी बाज़ार में मशीनरी, इलेक्ट्रिकल उपकरण, वाहन, ट्रांसपोर्ट कलपुर्जे, रसायन, प्लास्टिक और रबड़ उत्पादों पर ध्यान देना चाहिये।
  • चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने से भारत के विनिर्माण क्षेत्र को गति मिलेगी, नई नौकरियों का सृजन होगा और भारतीय अर्थव्यवस्था को मज़बूती मिलेगी।
  • निर्यात को बढ़ावा देने हेतु भारत द्वारा शुरू की गई ‘Export promotion capital goods schemes (EPCGS)’ को भी गति मिलेगी।

स्रोत- द हिंदू

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