भारतीय अर्थव्यवस्था
UNCTAD ग्लोबल इन्वेस्टमेंट ट्रेंड्स मॉनिटर रिपोर्ट
- 18 Apr 2025
- 17 min read
प्रिलिम्स के लिये:प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD), 2024 के लिये ग्लोबल इन्वेस्टमेंट ट्रेंड्स मॉनिटर, उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग, सतत्् विकास लक्ष्य (SDG)। मेन्स के लिये:वैश्विक FDI रुझान, भारत का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), विकास में FDI की भूमिका। |
स्रोत: UNCTAD
चर्चा में क्यों?
व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) ने वर्ष 2024 के लिये अपना ग्लोबल इन्वेस्टमेंट ट्रेंड्स मॉनिटर जारी किया है, जिसमें वैश्विक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में 8% की गिरावट दर्ज की गई है।
- इससे बुनियादी ढाँचे और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों के लिये वित्त पोषण पर खतरा उत्पन्न हो गया है, जो सतत्् विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिये आवश्यक हैं।
व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD)
- परिचय:
- यह वर्ष 1964 में स्थापित संयुक्त राष्ट्र की अग्रणी संस्था है, जो विकासशील देशों के व्यापार और विकास पर केंद्रित है।
- यह सतत्् विकास को बढ़ावा देने के लिये व्यापार, निवेश, वित्त और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण से संबंधित मुद्दों पर विशेषज्ञता और नीति सलाह प्रदान करता है।
- मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड।
- संरचना: यह संयुक्त राष्ट्र सचिवालय का एक हिस्सा है, महासभा और आर्थिक एवं सामाजिक परिषद को रिपोर्ट करता है; इसकी अपनी सदस्यता, नेतृत्व और बजट है।
- प्रमुख रिपोर्टें:
- व्यापार और विकास रिपोर्ट
- विश्व निवेश रिपोर्ट
- डिजिटल अर्थव्यवस्था रिपोर्ट
- प्रौद्योगिकी और नवाचार रिपोर्ट
वर्ष 2024 के लिये ग्लोबल इन्वेस्टमेंट ट्रेंड्स मॉनिटर रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- वैश्विक FDI रुझान :
- वैश्विक FDI: वैश्विक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह 11% बढ़कर वर्ष 2024 में लगभग 1.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया। हालाँकि, यूरोपीय कंडिट अर्थव्यवस्थाओं के माध्यम से प्रवाह को छोड़कर, FDI में लगभग 8% की कमी आई।
- कंडिट अर्थव्यवस्थाएँ (Conduit Economies) वे देश हैं जो कर से बचने के लिये वित्तीय प्रवाह को अन्य देशों में स्थानांतरित करने की अनुमति देते हैं। उदाहरण: आयरलैंड, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, स्विट्ज़रलैंड और UK।
- विकसित अर्थव्यवस्थाएँ: विकसित अर्थव्यवस्थाओं में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में 43% की वृद्धि हुई, जो मुख्य रूप से बहुराष्ट्रीय लेन-देन के माध्यम से हुई।
- हालाँकि, इन लेनदेन को छोड़कर, विकसित अर्थव्यवस्थाओं में FDI में 15% की गिरावट आई।
- विकासशील अर्थव्यवस्थाएँ: विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में FDI प्रवाह में वर्ष 2023 में 6% की गिरावट के बाद वर्ष 2024 में 2% की गिरावट आई।
- वैश्विक FDI: वैश्विक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह 11% बढ़कर वर्ष 2024 में लगभग 1.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया। हालाँकि, यूरोपीय कंडिट अर्थव्यवस्थाओं के माध्यम से प्रवाह को छोड़कर, FDI में लगभग 8% की कमी आई।
- क्षेत्रीय निवेश रुझान:
- विकसित अर्थव्यवस्थाएँ:
- यूरोप में FDI में 45% की गिरावट आई (कंडिट अर्थव्यवस्थाओं को छोड़कर) लेकिन उत्तरी अमेरिका में 13% की वृद्धि देखी गई।
- विकसित अर्थव्यवस्थाओं में ग्रीनफील्ड परियोजना घोषणाओं में 10% की गिरावट आई, लेकिन ग्रीनफील्ड परियोजनाओं के मूल्य में 15% की वृद्धि हुई, जिसका मुख्य कारण सेमीकंडक्टर मेगाप्रोजेक्ट्स थे।
- विकासशील अर्थव्यवस्थाएँ:
- ग्रीनफील्ड निवेश घोषणाओं की संख्या में 6% की कमी आई।
- अफ्रीका और एशिया में ग्रीनफील्ड परियोजनाओं की संख्या में सबसे अधिक गिरावट देखी गई, अफ्रीका में लगभग 200 परियोजनाएँ कम हुईं तथा एशिया में 150 परियोजनाएँ कम हुईं।
- लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में भी इसमें कमी आई।
- अफ्रीका में FDI 84% बढ़कर 94 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जिसका मुख्य कारण मिस्र में एक बड़ी परियोजना है।
- मध्य अमेरिका में FDI में वृद्धि हुई है।
- विकासशील एशिया में FDI प्रवाह में 7% की कमी आई, जिसमें चीन में 29% की गिरावट आई, जबकि आसियान में 2% और भारत में 13% की वृद्धि देखी गई।
- भारत में ग्रीनफील्ड परियोजनाओं में वृद्धि देखी गई। भारत में अंतर्राष्ट्रीय परियोजना वित्तपोषण में संख्या की दृष्टि से 23% तथा मूल्य की दृष्टि से 33% की गिरावट आई।
- ग्रीनफील्ड निवेश घोषणाओं की संख्या में 6% की कमी आई।
- विकसित अर्थव्यवस्थाएँ:
- SDG-संबंधित निवेश:
- बुनियादी ढाँचे, कृषि खाद्य प्रणालियों और जल एवं स्वच्छता सहित सतत्् विकास लक्ष्यों से संबंधित क्षेत्रों में निवेश वर्ष 2024 में 11% कम हो गया।
- यह गिरावट किफायती एवं स्वच्छ ऊर्जा (SDG 7), उद्योग एवं बुनियादी ढाँचा (SDG 9), तथा जल एवं स्वच्छता (SDG 6) जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों को प्रभावित कर सकती है।
- नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना वित्तपोषण धीमा हो गया, अंतर्राष्ट्रीय सौदों में 16% की कमी आई, तथा घरेलू वित्तपोषण में 60% तक कम हो गया।
UNCTAD रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2025 में वैश्विक FDI की क्या संभावनाएँ हैं?
- वैश्विक FDI परिदृश्य:
- वैश्विक FDI में मध्यम वृद्धि की उम्मीद है, तथा अमेरिका और यूरोपीय संघ में मज़बूत वृद्धि का अनुमान है।
- घरेलू परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित होने के कारण विदेशों में अमेरिकी निवेश में कमी आई है, जबकि विदेशों में चीनी निवेश में वृद्धि हुई है।
- आसियान, पूर्वी यूरोप, पश्चिम एशिया, उत्तरी अफ्रीका और मध्य अमेरिका वैश्विक आपूर्ति शृंखला में बदलाव से लाभान्वित हो सकते हैं।
- भारत के लिये, वर्ष 2025 में मध्यम FDI वृद्धि का अनुमान है, जो बेहतर वित्तपोषण स्थितियों, विलय और अधिग्रहण (M&A) में वृद्धि और चल रहे सुधारों से प्रेरित है।
- वैश्विक FDI में मध्यम वृद्धि की उम्मीद है, तथा अमेरिका और यूरोपीय संघ में मज़बूत वृद्धि का अनुमान है।
- प्रमुख प्रभावित करने वाले कारक:
- FDI वृद्धि सकल घरेलू उत्पाद, व्यापार, मुद्रास्फीति, बाज़ार में अस्थिरता, भू-राजनीतिक गतिशीलता, प्रौद्योगिकी उन्नति और नीतिगत परिवर्तनों पर निर्भर करेगी।
- निजी इक्विटी और संप्रभु निवेशकों की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी।
- आर्थिक विकास:
- पूंजी निर्माण और व्यापार के लिये बेहतर अनुमानों के साथ स्थिर सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि की उम्मीद है, जिससे वैश्विक निवेश को लाभ होगा।
- अपेक्षाकृत निम्न ब्याज दरों से ऋण ग्रहण की लागत कम हो सकती है, जिससे, विशेष रूप से बुनियादी ढाँचे में, सीमा पार निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
- प्रौद्योगिकी एवं क्षेत्र रुझान:
- AI, क्लाउड कंप्यूटिंग, साइबर सुरक्षा और नवीकरणीय ऊर्जा (ग्रीन हाइड्रोजन, इलेक्ट्रिक वाहन) जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ने की उम्मीद है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) क्या है?
परिचय:
- FDI के प्रकार:
- ग्रीनफील्ड निवेश: बहुत अधिक नियंत्रण और निजीकरण के साथ नई कंपनी की शुरूआत करना।
- ब्राउनफील्ड निवेश: मौजूदा सुविधाओं का उपयोग करके विलय, अधिग्रहण या संयुक्त उद्यम के माध्यम से विस्तार करना।
- संगठन द्वारा पहले से मौजूद संरचनाओं के उपयोग के कारण, ग्रीनफील्ड परियोजनाओं की तरह नियंत्रण उतना अधिक नहीं हो सकता है, यद्यपि पर्याप्त परिचालन प्रभाव की अभी भी अनुमति है।
- भारत में FDI:
- विनियमन: भारत में FDI विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA), 1999 द्वारा विनियमित होता है, और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) द्वारा प्रशासित होता है।
- भारत में FDI निषेध: परमाणु ऊर्जा उत्पादन, जुआ और सट्टेबाजी, लॉटरी, चिट फंड, रियल एस्टेट और तंबाकू व्यवसाय जैसे उद्योगों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पूर्णतया वर्जित है।
- FDI से संबंधित नवीनतम आँकड़े: अप्रैल 2000 से सितंबर 2024 की अवधि में भारत में FDI अंतर्वाह 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक रहा, जो कुल 1,033.40 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
- वर्ष 2014 से वर्ष 2024 तक भारत ने 667.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का संचयी FDI आकर्षित किया, जो वर्ष 2004 से वर्ष 2014 की अवधि में प्राप्त FDI से 119% अधिक है।
भारत में FDI से संबंधित अवसर और चुनौतियाँ क्या हैं?
- भारत में FDI के अवसर:
- बाज़ार का विशाल आकार और संवृद्धि: भारत की 1.4 अरब की जनसंख्या वहनयोग्य और उच्च मूल्य वाली वस्तुओं की उच्च मांग को बढ़ावा देती है।
- भारत सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और IMF के अनुसार वर्ष 2025-2026 में इसकी GDP में 6.5% की दर से वृद्धि होने के अनुमान है।
- अनुकूल जनसांख्यिकी: युवा कार्यबल (65% से अधिक कार्यबल 35 वर्ष से कम आयु) अपेक्षाकृत कुशल और सस्ता श्रम पूल प्रदान करता है।
- सरकारी पहल: "मेक इन इंडिया", "आत्मनिर्भर भारत" और इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस जैसे सुधारों से आवश्यकताओं को सुव्यवस्थित किया गया और FDI आकर्षित करने के उद्देश्य से भारत को एक अनुकूल गंतव्य बनाया गया।
- रणनीतिक अवस्थिति: भारत की अवस्थिति दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया के उभरते बाज़ारों के लिये प्रवेश द्वार के रूप में है।
- बाज़ार का विशाल आकार और संवृद्धि: भारत की 1.4 अरब की जनसंख्या वहनयोग्य और उच्च मूल्य वाली वस्तुओं की उच्च मांग को बढ़ावा देती है।
- FDI आकर्षित करने के समक्ष चुनौतियाँ:
- विनियामक बाधाएँ: जटिल कर प्रणालियों, असंगत नीतियों (पूर्वव्यापी कराधान), और नौकरशाही व्यवस्था संबंधी विलंब से व्यवसाय संचालन में बाधा उत्पन्न होती है।
- बुनियादी ढाँचे की चुनौतियाँ: अनुपयुक्त बुनियादी ढाँचे से, विशेष रूप से ग्रामीण और उपनगरीय क्षेत्रों में, व्यापार करने सुगमता सीमित हो जाती है।
- श्रम कानून: कठोर श्रम कानून और श्रम बाज़ार के सीमित अनुकूलन से व्यवसायों के लिये चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।
- निवेशकों से अपेक्षाएँ:
- प्रौद्योगिकी अंतरण: भारत विनिर्माण, स्वास्थ्य सेवा और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में विदेशी विशेषज्ञता और प्रौद्योगिकी की मांग करता है।
- रोज़गार सृजन: निवेशकों से भारत के बढ़ते कार्यबल के लिये रोज़गार के अवसर सृजित करने की अपेक्षा की जाती है।
- सतत्् निवेश: भारत अपने जलवायु लक्ष्यों (जैसे, राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना) को पूरा करने हेतु हरित और सतत्् निवेश को प्रोत्साहित करता है।
निष्कर्ष
भारत का व्यापक बाज़ार, आर्थिक विकास और अनुकूल जनसांख्यिकी FDI के लिये महत्त्वपूर्ण अवसर प्रदान करते हैं। हालाँकि “मेक इन इंडिया” जैसी सरकारी पहलों से एक अनुकूल परिवेश तैयार होता है किंतु विनियामक बाधाओं और बुनियादी ढाँचे का अभाव जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। निवेशक वर्ग संभवतः प्रौद्योगिकी अंतरण, रोज़गार सृजन और सतत्् विकास में योगदान देंगे, जिससे आर्थिक और साथ ही सामाजिक विकास लक्ष्यों को पूरा करने में सहायता मिलेगी।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत की प्रतिस्पर्द्धात्मकता और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का वर्द्धन करने में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की भूमिका की विवेचना कीजिये। वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता में होने वाले सुधार का FDI अंतर्वाह पर क्या प्रभाव पड़ता है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सी उसकी प्रमुख विशेषता मानी जाती है? (2020) (a) यह मूलत: किसी सूचीबद्ध कंपनी में पूंजीगत साधनों द्वारा किया जाने वाला निवेश है। उत्तर: (b) प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त में से किसे/किन्हें विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में सम्मिलित किया जा सकता है/किये जा सकते हैं? (a) 1, 2 और 3 उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में एफ.डी.आई की आवश्यकता की पुष्टि कीजिये। हस्ताक्षरित समझौता-ज्ञापनों तथा वास्तविक एफ. डी.आई के बीच अंतर क्यों है? भारत में वास्तविक एफ.डी.आई को बढ़ाने के लिये सुधारात्मक कदम सुझाइये। (2016) |