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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

क्यों है एक पारदर्शी कर मूल्य स्थानान्तरण की आवश्यकता?

  • 13 Nov 2017
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

बहुराष्ट्रीय उद्यमों (Multinational Enterprises - MNEs) की कर उन्मूलन कार्यों की जाँच करने के संबंध में जी-20 देशों सहित ओ.ई.सी.डी. ( Organisation for Economic Co-operation and Development – OECD) द्वारा एक व्यापक ढाँचा तैयार किया गया है। इस ढाँचे के अंतर्गत 15 कार्य योजनाओं को शामिल किया गया है। इन कार्य योजनाओं का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी देश में चुकाए गए कर व्यापार गतिविधियों के अनुरूप हों।

इस परियोजना की विशेषताएँ क्या-क्या हैं?

  • इस परियोजना के अंतर्गत यह सुझाव दिया गया है कि सभी देशों द्वारा कर मूल्य स्थानांतरण (transfer pricing - TP) के लिये एक मानकीकृत दृष्टिकोण को अपनाया जाना चाहिये। 
  • स्थानांतरण में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से इस परियोजना की 13वीं कार्य योजना में बड़ी एम.एन.ई. के लिये एक त्रि-स्तरीय टी.पी. दस्तावेज़ संरचना की सिफारिश की गई है, जिसके अंतर्गत एक मास्टर फाइल के साथ-साथ एक स्थानीय फाइल और देश-प्रति-देश-रिपोर्ट (country-by-country-report - CbCR) भी शामिल है।
  • एक मास्टर फाइल में समूह के विवरण और उसके व्यवसाय संबंधी सूचनाओं को शामिल किया जाएगा। इसके लिये सभी एम.एन.ई. द्वारा एम.एन.ई. ग्रुप की सभी संस्थाओं के विवरण को संकलित किये जाने की आवश्यकता है।  
  • इसके अतिरिक्त इस फाइल में लाभ चालकों और आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ व्यापार की इनकी प्रकृति, आर. एंड डी. संस्थानों सहित समूह की अमूर्त संपत्तियों के साथ-साथ वित्तपोषण संरचना तथा हस्तांतरण मूल्य निर्धारण (टी.पी.) नीतियों के विवरण को शामिल करना होगा। 
  • एक स्थानीय फाइल के अंतर्गत किसी देश विशेष में अवस्थित इकाई से संबंधित विशिष्ट जानकारी और दूसरी अन्य संस्थाओं के समूह के साथ लेन-देन को शामिल किया जाता है।
  • सी.बी.सी.आर. के अंतर्गत अल्टीमेट पैरेंट एंटिटी को प्रत्येक कर अधिकार क्षेत्र में शामिल समूह की सभी संस्थाओं के साथ-साथ उनके मुख्य व्यावसायिक गतिविधियों का भी विवरण शामिल होता है। 
  • इसके लिये समूह में शामिल प्रत्येक इकाई के बारे में विशेष जानकारी प्रदान किये जाने की आवश्यकता होती है, अर्थात् इकाइयों के नाम, राजस्व, लाभ आदि के साथ-साथ अर्जित कर एवं भुगतान, कर्मचारियों, प्रत्येक कर अधिकार क्षेत्र की इकाइयों की पूंजी तथा प्रतिधारित आय और मूर्त संपत्ति संबंधी सूचनाओं का विवरण देना आवश्यक है।
  • उपरोक्त दस्तावेज़ को उस देश के घरेलू कानूनों के तहत नामित अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत करना ज़रूरी है। इस प्रकार प्रत्येक देश के अधिकारियों द्वारा एकत्र की गई जानकारी को अन्य देशों के अधिकारियों के साथ या तो स्वत: या विशिष्ट सूचना विनिमय समझौते के तहत उक्त देशों के अनुरोध पर साझा किया जा सकता है।

भारतीय परिदृश्य में बात करें तो

  • ओ.ई.सी.डी. सिफारिशों को लागू करने के लिये सरकार की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2016 के बजट में त्रि-स्तरीय दस्तावेज़ीकरण प्रणाली की पेशकश की गई थी। यही कारण था कि 31 अक्टूबर, 2017 को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा सी.बी.सी.आर. एवं मास्टर फाइल के अनुपालन संबंधी दिशा-निर्देशों को लागू तथा प्रशासित करने के लिये अधिसूचित किया गया था।
  • गौरतलब है कि इस प्रयास के परिणामस्वरूप संस्थाओं द्वारा प्रबंधित एवं प्रस्तुत की जाने वाली आवश्यक जानकारी की मात्रा में काफी वृद्धि हुई है। 
  • मास्टर फाइल और सी.बी.सी.आर. के लिये आमतौर पर भारतीय कंपनियों द्वारा बनाए जाने वाले टी.पी. दस्तावेज़ों के वर्तमान रूप की तुलना में अधिक गुणात्मक विश्लेषण की आवश्यकता होती है। 
  • संस्थाओं द्वारा प्रदत्त सूचनाएँ न केवल मुनाफा गतिविधियों के स्तर और जोखिम के स्तर के अनुरूप हों बल्कि पारदर्शिता के उद्देश्य को भी भली-भाँति पूर्ण करती हों।
  • वस्तुतः: इस पहल का लाभ यह हुआ कि भारत में अब एम.एन.ई. समूहों के पास टी.पी. के अनुपालन के संबंध में एक स्पष्ट रूपरेखा उपलब्ध है। 

एम.एन.ई. की चिंताएँ

  • एम.एन.ई. द्वारा इस संबंध में सिफारिशों के असंगत कार्यान्वयन के बारे में चिंता व्यक्त की गई है, जिसके परिणामस्वरूप विवेचन चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं। वस्तुत: इस विषय में दुनिया भर के समूहों में अधिक से अधिक समन्वय स्थापित किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया जाना चाहिये, ताकि डेटा में होने वाली असंगतियों को कम किया जा सके। 
  • इसके अतिरिक्त चिन्ता एक और भी कारण है, वह यह कि विभिन्न देशों के कर अधिकारियों द्वारा एकतरफा दृष्टिकोण के मामले में एम.एन.ई. में प्राय: दोहरे कराधान, अनिर्दिष्ट कर मांगों और अंतहीन कर मुकदमेबाज़ी के संबंध में भय बना रहता है।
  • वस्तुत: ओ.ई.सी.डी./जी -20 और सरकारों द्वारा परियोजना के वांछित उद्देश्यों को हासिल करने के लिये योजना के कार्यान्वयन और व्याख्या ढाँचे के प्रति अधिक सहयोग प्रदान करने की आवश्यकता है।

आर्थिक सहयोग तथा विकास संगठन

  • आर्थिक सहयोग और विकास संगठन ( Organisation for Economic Co-operation and Development – OECD) 35 सदस्य देशों का एक अंतरसरकारी आर्थिक संगठन है। 
  • इसे आर्थिक प्रगति एवं वैश्विक व्यापार को प्रोत्साहित करने हेतु वर्ष 1960 में स्थापित किया गया था।
  • इसका मुख्यालय फ्राँस के पेरिस शहर में स्थित है।
  • यह एक आधिकारिक संयुक्त राष्ट्र प्रेक्षक संगठन है।
  • इसका मुख्य उद्देश्य सदस्यों देशों को आर्थिक प्रगति प्रात करने में आवश्यक सहायता प्रदान करने के साथ-साथ सदस्य देशों में रोज़गार एवं लोगों के जीवन स्तर में बेहतरी करना, समस्त विश्व को एक मज़बूत आर्थिक विकास प्रदान करना तथा विकासशील देशों (विशेषकर निर्धन देशों) की स्थिति में सुधार लाना शामिल है।
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