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जैव विविधता और पर्यावरण

द अनजस्ट क्लाइमेट: FAO

  • 07 Mar 2024
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

द अनजस्ट क्लाइमेट: FAO, खाद्य और कृषि संगठन, जलवायु परिवर्तन, अत्यधिक वर्षा, हीट स्ट्रेस

मेन्स के लिये:

द अनजस्ट क्लाइमेट: FAO, कृषि और खाद्य सुरक्षा पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसका शीर्षक है- द अनजस्ट क्लाइमेट, यह दर्शाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आय और अनुकूलन पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव लिंग, धन तथा उम्र के साथ कैसे भिन्न होता है।

  • FAO ने 24 निम्न मध्यम आय वाले देशों (Lower Middle Income Countries- LMIC) में 950 मिलियन से अधिक लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले 100,000 से अधिक ग्रामीण परिवारों के सामाजिक आर्थिक डेटा का विश्लेषण किया।
  • अध्ययन ने आय, श्रम और अनुकूलन रणनीतियों पर जलवायु तनावों के प्रभावों की जाँच करने के लिये धन, लिंग तथा उम्र के आधार पर अंतर करने हेतु इस जानकारी को 70 वर्षों के भू-संदर्भित दैनिक वर्षा एवं तापमान डेटा के साथ एकीकृत किया।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?

  • गरीब ग्रामीण परिवारों पर चरम मौसम का प्रभाव:
    • भारत भर में गैर-गरीब परिवारों (Non-Poor Households) और 23 अन्य LMIC की तुलना में अत्यधिक गर्मी के कारण हर दिन गरीब ग्रामीण परिवारों की कृषि आय में 2.4%, फसल मूल्य में 1.1% तथा गैर-कृषि आय में 1.5% की कमी होती है।
    • दीर्घकालिक तापमान में 1°C की वृद्धि ग्रामीण गरीब परिवारों को जलवायु-निर्भर कृषि पर अधिक निर्भर होने के लिये प्रेरित करेगी, जिससे कृषि से इतर आय में 33% की कमी आएगी।
    • इसी तरह अत्यधिक वर्षा के कारण हर दिन गरीब परिवारों को गैर-गरीब परिवारों की तुलना में अपनी आय का 0.8% का नुकसान होता है, जो मुख्य रूप से गैर-कृषि आय में घाटे के कारण होता है।

  • जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ती आय असमानता:
    • संपन्न परिवारों की तुलना में गरीब परिवारों को हीट वेव के कारण अपनी वार्षिक आय का 5.0%  तथा बाढ़ के कारण 4.4% की हानि होती है।
    • बाढ़ तथा हीट वेव से ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब एवं गैर-गरीब परिवारों के बीच आय का अंतर क्रमशः लगभग 21 बिलियन अमेरिकी डॉलर और साथ ही यह 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष बढ़ जाता है।
  • समाधान संबंधी असुरक्षित रणनीतियाँ:
    • चरम मौसम की घटनाएँ गरीब ग्रामीण परिवारों को समाधान संबंधी असुरक्षित रणनीतियों (Maladaptive Coping Strategies) को अपनाने के लिये प्रेरित करती हैं, जिसमें पशुधन की संकटपूर्ण बिक्री एवं अपने खेतों से व्यय को पुनर्निर्देशित करना शामिल है।
    • बाढ़ एवं सूखे का सामना करने पर गरीब परिवार, गैर-गरीब परिवारों की तुलना में कृषि में अपना निवेश कम कर देते हैं, क्योंकि वे अपने दुर्लभ संसाधनों को कृषि उत्पादन से दूर तत्काल उपभोग की ज़रूरतों की ओर पुनर्निर्देशित करते हैं।
    • इन समाधान संबंधी असुरक्षित रणनीतियाँ से उन्हें गैर-गरीब ग्रामीण परिवारों की तुलना में भविष्य के जलवायु तनावों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाने की संभावना है।
  • राष्ट्रीय जलवायु नीतियों में अपर्याप्त समावेशन:
    • राष्ट्रीय जलवायु नीतियाँ मुख्य रूप से ग्रामीण आबादी एवं उनकी जलवायु भेद्यता को नज़रअंदाज़ करती हैं।
    • 24 विश्लेषण किये गए देशों के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान तथा राष्ट्रीय अनुकूलन योजनाओं (NAP) में 1% से भी कम गरीबों का उल्लेख हैं और साथ ही केवल 6% ग्रामीण समुदायों के किसानों का उल्लेख हैं।
    • वर्ष 2017-18 में ट्रैक किये गए जलवायु वित्त का केवल 7.5% जलवायु परिवर्तन अनुकूलन की दिशा में लगाया गया, जिसमें कृषि, वानिकी और साथ ही अन्य भूमि उपयोगों के लिये 3% से कम आवंटित किया गया।
    • कृषि नीतियाँ, लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तीकरण के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन में व्याप्त कमज़ोरियों को दूर करने में असफल हो सकती हैं।
      • FAO द्वारा वर्ष 2023 में 68 निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों की कृषि नीतियों के विश्लेषण से पता चला कि लगभग 80% नीतियों में महिलाओं के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन पर विचार नहीं किया गया।

जलवायु तनावों को मापना:

  • बाढ़
    • अत्यधिक वर्षा वाले दिनों की संख्या: अत्यधिक वर्षा तब होती है जब वर्षा दैनिक वर्षा के 95 प्रतिशत से अधिक हो जाती है।
  • हीट वेव
    • अत्यधिक तापमान वाले दिनों की संख्या:चरम तापमान तब होता है जब अधिकतम तापमान दैनिक अधिकतम तापमान के 99 प्रतिशत से अधिक हो जाता है।
  • सूखा
    • अत्यधिक शुष्क अवधि से अधिक दिनों की संख्या: अत्यधिक शुष्क अवधि एक ऐसी घटना है जिसकी अवधि लगातार शुष्क दिनों के 95वें प्रतिशत से अधिक होती है।
  • जलवायु परिवर्तन
    • दो समयावधियों के बीच औसत तापमान में दीर्घकालिक परिवर्तन: वर्ष 1951-1980 और सर्वेक्षण से 30 वर्ष पहले।

रिपोर्ट की अनुशंसाएँ क्या हैं?

  • यह प्रस्तावित है कि इन मुद्दों से निपटने के लिये केंद्रित पहल की आवश्यकता है जो विभिन्न ग्रामीण समुदायों को जलवायु-अनुकूली व्यवहार अपनाने में सक्षम बनाती है।
  • रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की बहुआयामी जलवायु सुभेद्यता और उत्पादक संसाधनों तक उनकी सीमित पहुँच सहित उनकी विशेष बाधाओं का समाधान करने वाली नीतियों तथा कार्यक्रमों में निवेश करना अत्यावश्यक है।
  • रिपोर्ट में सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों, जैसे नकदी-आधारित सामाजिक सहायता कार्यक्रम, को सलाहकार सेवाओं से जोड़ने की अनुशंसा की गई जो अनुकूलन को बढ़ावा दे सकती है और किसानों के नुकसान की भरपाई कर सकती है।
  • भेदभावपूर्ण लैंगिक मानदंडों को प्रत्यक्ष रूप से लक्षित करने वाली परिवर्तनकारी पद्धतियाँ उस व्याप्त भेदभाव का भी समाधान करा सकती है जो अमूमन महिलाओं को उनके जीवन को प्रभावित करने वाले आर्थिक निर्णयों पर पूर्ण अधिकार होने से बाधित करती है।

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने हेतु FAO की क्या पहल हैं? 

  • जलवायु परिवर्तन पर FAO की रणनीति और कार्य योजना तथा FAO रणनीतिक ढाँचा 2022-2031 में समावेशी जलवायु कार्रवाइयाँ अंतर्निहित हैं, जहाँ जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने के लिये चार बेहतरी के लक्ष्य (Four Betters) निर्धारित किये गए हैं जिनमें बेहतर उत्पादन, बेहतर पोषण, बेहतर पर्यावरण और सभी के लिये बेहतर जीवन शामिल है।
  • FAO 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा का उल्लंघन किये बिना सतत् विकास लक्ष्य 2 को प्राप्त करने के लिये वैश्विक रोडमैप प्रस्तुत करता है जिसके अनुसार लैंगिक असमानता, जलवायु कार्रवाई और पोषण परस्पर संबंधित मुद्दे हैं तथा कार्रवाई में इन आयामों को शामिल किया जाना चाहिये एवं महिलाओं, युवाओं व मूल निवासियों की समावेशिता को बढ़ावा देना चाहिये।

खाद्य एवं कृषि संगठन क्या है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

Q.1 FAO पारंपरिक कृषि प्रणालियों को 'सार्वभौम रूप से महत्त्वपूर्ण कृषि विरासत प्रणाली [Globally Important Agricultural Heritage System (GIAHS)]' की हैसियत प्रदान करता है। इस पहल का संपूर्ण लक्ष्य क्या है? (2016)

  1. अभिनिर्धारित GIAHS के स्थानीय समुदायों को आधुनिक प्रौद्योगिकी, आधुनिक कृषि प्रणाली का प्रशिक्षण एवं वित्तीय सहायता प्रदान करना जिससे उनकी कृषि उत्पादकता अत्यधिक बढ़ जाए।
  2. पारितंत्र-अनुकूली परंपरागत कृषि पद्धतियाँ और उनसे संबंधित परिदृश्यों (लैंडस्केप), कृषि जैवविविधता तथा स्थानीय समुदायों के ज्ञानतंत्र का अभिनिर्धारण एवं संरक्षण करना।
  3. इस प्रकार अभिनिर्धारित GIAHS के सभी भिन्न-भिन्न कृषि उत्पादों को भौगोलिक सूचक (जिओग्राफिकल इंडिकेशन) की हैसियत प्रदान करना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


मेन्स:

Q.1 भूमि एवं जल संसाधनों का प्रभावी प्रबंधन मानव विपत्तियों को प्रबल रूप से कम कर देगा। स्पष्ट कीजिये। (2016)

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