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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

बिटकॉइन में निवेश करने का प्रमुख कारण

  • 24 Jul 2017
  • 8 min read

संदर्भ
गौरतलब है कि बदलते समय के साथ-साथ जहाँ एक ओर व्यापार संबंधी रणनीतियों एवं प्रकारों में परिवर्तन आया है वहीं दूसरी ओर आर्थिक जगत की प्रमुख डोर के रूप में काम करने वाली मुद्राओं के रूप में भी परिवर्तन आ रहा है| इसी परिवर्तन का नया नाम है - क्रिप्टो मुद्रा| वर्तमान समय में लोगों की क्रिप्टो मुद्राओं (जैसे-बिटकॉइन आदि) में रूचि काफी तेज़ी से बढ़ रही है| हालाँकि यह ओर बात है कि इस प्रकार कि मुद्राओं को अभी तक किसी भी प्रकार की कानूनी स्वीकृति प्राप्त नहीं हुई है| किसी भी प्रकार की नियमाकीय स्वीकृति, पंजीकरण अथवा प्राधिकृति के बावजूद ये काल्पनिक मुद्राएँ भारत सहित कई देशों में प्रचलित हो चुकी हैं| 

बिटकॉइन क्या है

  • वस्तुतः बिटकॉइन्स, डिजिटल प्रकार कि मुद्राएँ होती हैं जिन्हें डिजिटली रूप से विकेन्द्रित प्रक्रियाओं जैसे-‘माइनिंग’(mining) के द्वारा प्राप्त किया जाता है|
  • बिटकॉइन मुद्रा के अंतर्गत लेन-देन एक साझी सार्वजनिक लेज़र तकनीक (जिसे ब्लॉकचैन कहा जाता है) के द्वारा पूर्ण होता हैं|
  • इस लेज़र तकनीक में प्रत्येक लेन-देन प्रक्रिया दर्ज़ होती है जिससे इसकी वैद्यता को प्रमाणित किया जा सकता है| इस प्रक्रिया में लेन-देन बिटकॉइन की छोटी उप-इकाइयों (जिन्हें सातोशी कहा जाता है) के द्वारा किये जा सकते हैं| 
  • ध्यातव्य है कि 1 बिटकॉइन 10 लाख बिट्स से मिलकर बना होता है|
  • काल्पनिक मुद्रा के रूप में बिटकॉइन 100 बिलियन डॉलर के आधे से भी कम बाज़ार (जिसमें 150 क्रिप्टो मुद्राएँ होती हैं) का संचालन करता है| 
  • वर्तमान में कुल बिटकॉइन व्यापार का 10% व्यापार भारत से होता है| 
  • बिटकॉइन के संबंध में सबसे रोचक बात यह है कि इसकी आपूर्ति मात्रा सीमित (मात्र 21 मिलियन) है| स्पष्ट है कि एक सीमित संसाधन होने के कारण इसकी मांग में वृद्धि होने पर इसकी कीमत में वृद्धि होना स्वाभाविक सी बात है|

वर्तमान स्थिति
गौरतलब है कि वर्तमान में विश्वस्तर पर प्रतिदिन होने वाला बिटकॉइन का व्यापार 25,000 करोड़ रूपए का है| इसमें भी तक़रीबन 1% से कम भाग का उपयोग गैर-कानूनी गतिविधियों के लिये किया जाता है|

उपयोगकर्ताओं का हित
बिटकॉइन और डिजिटल मुद्राओं के संबंध में मई 2017 से बहुत अधिक रुझान देखने को मिल रहा है| संभव है कि 1 अप्रैल 2017 को जापानी कानून में हुए बदलावों के कारण ऐसा हुआ है| ध्यातव्य है कि इस कानून में हुए परिवर्तन के परिणामस्वरूप काल्पनिक मुद्राओं की सुरक्षा और लेखापरीक्षा के संबंध में कईं प्रकार के मानक तय किये गए हैं| स्पष्ट है कि ऐसा उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखकर किया गया है|

अन्य जोखिम
गौरतलब है की क्रिप्टो मुद्रा के माध्यम से होने वाले लेन –देन के संबंध में निवेशकों और नियामकों द्वारा विभिन्न प्रकार के जोखिमों के विषय में प्रकाश डाला गया है| उदाहरण के लिये, कुछ समय पहले भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भी काल्पनिक मुद्राओं की वित्तीय क्षमता, कानून, ग्राहकों के हितों के संरक्षण और सुरक्षा सम्बन्धी निम्नलिखित जोखिमों के विषय में चर्चा की गई थी| 

  • प्रथम, इसकी अत्यधिक कीमत चिंता का विषय है| इस मुद्रा की मांग में वृद्धि होने से इसकी कीमत में बढ़ोतरी होती है| उदाहरण के लिये, अक्टूबर 2013 (130$) और जनवरी 2014 (985$) के मध्य बिटकॉइन के मूल्य में 855 डॉलर की वृद्धि दर्ज़ की गई| परन्तु, जनवरी 2015 में इसकी कीमत में 212$ की गिरावट दर्ज़ की गई|
  • दूसरा, इस प्रकार कि मुद्रा को कोई कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है क्योंकि अभी तक इन्हें रिज़र्व बैंक के द्वारा प्राधिकृत नहीं किया गया है| 
  • तीसरा, काल्पनिक मुद्राएँ मात्र डिजिटल रूप में मौजूद होती हैं तथा इन्हें डिजिटल/इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ही सुरक्षित करके रखा जाता है| अतः इन्हें हैकिंग, पासवर्ड के खोने और मैलवेयर हमले जैसे जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है|
  • चौथा, इसका भुगतान सहकर्मियों के जरिये किया जाता है तथा इससे संबंधित विवादों और मुद्दों का समाधान करने के लिये अभी तक कोई उपयुक्त व्यवस्था उपलब्ध नहीं है|

भारतीय परिदृश्य
ध्यातव्य है कि वर्तमान में भारत में बिटकॉइन अर्थव्यवस्था के लिये नियामकों (जैसे-सेबी) पर दबाव बनाने के स्थान पर अधिक उचित यह होगा कि इसके लिये एक स्व-नियामक निकाय (self-regulatory body) का गठन किया जाए| चूँकि यह व्यवसाय अभी अपने शुरुआती दौर में है, जिसके कारण इस उद्योग में दिनोंदिन अनेक परिवर्तन आ रहे है| अत: ऐसी किसी स्थिति में सरकार के लिये किसी एक नियामक अथवा रणनीति का अनुसरण करना अत्यंत कठिन होगा| 

  • इस बात को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने भारतीय म्यूच्यूअल फंड संघ, द इन्टरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया अथवा पेमेंट कौंसिल ऑफ़ इंडिया के अनुरूप एक स्व-नियामक संगठन के गठन को स्वीकृति प्रदान की है|
  • इसके अतिरिक्त सेबी के द्वारा भी एक स्व-नियामकीय संगठन की शुरुआत की गई है| यह संगठन स्वयं एक नियामकीय ढांचे का निर्माण करेगा, जो कुछ वर्षों बाद आधिकारिक नियामक निकाय का रूप धारण कर लेगा| 
  • ध्यातव्य है कि भारत में भी बिटकॉइन को विश्व के अन्य देशों (जैसे-दक्षिण कोरिया) के समान ही मुद्रा के स्थान पर निवेश के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है| 

सत्यापन प्रक्रिया
इस संबंध में सत्यापन की प्रक्रिया को अपनाया जाना अत्यंत आवश्यक है| भारत में इस संबंध में बहुत से पक्षों पर विचार विमर्श किया जा रहा है| जिनके अंतर्गत इस प्रकार की किसी भी मुद्रा का उपयोग करने के लिये प्रत्येक व्यक्ति को एक सत्यापन प्रक्रिया से गुजरना होगा जिसमें पैन कार्ड और बैंक खाता संख्या को दर्ज़ कराना अनिवार्य होगा|

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