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कृषि

बीटी कपास के बीज पर मॉनसेंटो का पेटेंट

  • 09 Jan 2019
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?


सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को खारिज कर दिया है जिसमें न्यायालय ने दिग्गज कंपनी मॉनसेंटो टेक्नोलॉजी (Monsanto Technology) के बीटी कपास बीज पर बॉलगार्ड प्रौद्योगिकी के पेटेंट के अधिकार को अवैध करार दिया था।

प्रमुख बिंदु

  • वर्ष 2018 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने मॉनसेंटो टेक्नोलॉजी के बीटी कपास बीज पर बॉलगार्ड प्रौद्योगिकी के पेटेंट के अधिकार को अवैध करार दिया था। दिल्ली उच्च न्यायालय के अनुसार, बीटी विशेषता के लिये ज़िम्मेदार जीन अनुक्रम जो कपास के पौधों को प्रभावित करने वाले कीटों को मिटाता है, बीज का एक हिस्सा है इसलिये भारतीय पेटेंट अधिनियम, 1970 (Patents Act, 1970) की धारा 3 (j) के तहत इसे पेटेंट नहीं कराया जा सकता है।
  • 8 जनवरी, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मॉनसेंटो टेक्नोलॉजी को अपने आनुवंशिक रूप से संशोधित कपास के बीज पर पेटेंट का दावा करने की अनुमति दी, जिससे नई बीज प्रौद्योगिकी विकसित करने वाली फर्मों को बढ़ावा मिलेगा।

क्या था मामला?

  • मॉनसेंटो टेक्नोलॉजी कृषि क्षेत्र की दिग्गज अमेरिकी कंपनी है जिसने वर्ष 2015 में अपनी भारतीय सहायक कंपनी मॉनसेंटो महिको बायोटेक्नोलॉजी लिमिटेड (Monsanto Mahyco Biotechnology Ltd.) के माध्यम से नूज़िवीडू सीड्स और उसकी सहायक कंपनियों के खिलाफ एक याचिका दायर की थी।
  • इस याचिका के अनुसार, नूज़िवीडू सीड्स (Nuziveedu Seeds) और उसकी सहायक कंपनियाँ बीटी कॉटन बीजों के लाइसेंस समझौते की समाप्ति के बावजूद भी मॉनसेंटो टेक्नोलॉजी की पेटेंट तकनीक का उपयोग कर बीजों की बिक्री कर रही थीं

बीटी कपास

  • बीटी कपास (Bt-Cotton) को मिट्टी में पाए जाने वाले जीवाणु बैसीलस थूरीनजिएंसिस से जीन निकालकर निर्मित किया गया है।
  • इस जीन को ‘Cry 1AC’ नाम दिया गया है।
  • यह कीटों के प्रति प्रतिरोधकता पैदा करता है जिससे कीटनाशकों के उपयोग की आवश्यकता नहीं रहती  है।
  • बीटी की कुछ नस्लें ऐसे प्रोटीन का निर्माण करती हैं जो कुछ विशिष्ट कीटों को समाप्त करने में सहायक है।

इस संबंध में विस्तृत जानकारी के लिये : विशेष: जीएम (GM) बीजों का अमेरिकी पेटेंट भारत में लागू नहीं पढ़ें।


स्रोत : द हिंदू (बिज़नेस लाइन)

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