मुख्य परीक्षा
स्टेट ऑफ द वर्ल्ड नर्सिंग, 2025 रिपोर्ट
- 13 May 2025
- 8 min read
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस (IND, 12 मई) पर स्टेट ऑफ द वर्ल्ड नर्सिंग (SoWN), 2025 रिपोर्ट जारी की है।
SoWN, 2025 रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- वैश्विक नर्सिंग कार्यबल: वैश्विक नर्सिंग कार्यबल वर्ष 2018 के 27.9 मिलियन से बढ़कर वर्ष 2023 में 29.8 मिलियन हो गया लेकिन 78% नर्सें वैश्विक आबादी के केवल 49% का प्रतिनिधित्व करने वाले देशों में केंद्रित हैं।
- वैश्विक नर्स-जनसंख्या अनुपात 37.1 प्रति 10,000 है, जिसमें यूरोप में अफ्रीका तथा पूर्वी भूमध्य सागर की तुलना में पाँच गुना अधिक नर्सें हैं एवं उच्च आय वाले देशों में निम्न आय वाले देशों की तुलना में 10 गुना अधिक नर्सें हैं।
- अनुमान है कि वर्ष 2030 तक वैश्विक नर्स कार्यबल 36 मिलियन तक पहुँच जाएगा, जिससे वर्ष 2023 में नर्सों की कमी 5.8 मिलियन से घटकर 4.1 मिलियन हो जाएगी तथा 70% कमी अफ्रीका और पूर्वी भूमध्य सागर में केंद्रित होगी।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रवास: वैश्विक स्तर पर 7 में से 1 नर्स विदेश में जन्मी है। उच्च आय वाले देशों (HIC) में यह 23% तक पहुँच जाती है, जबकि उच्च मध्य-आय वाले देशों में यह 8%, निम्न मध्य-आय वाले देशों में 1% और निम्न आय वाले देशों (LIC) में 3% है।
- मानसिक स्वास्थ्य और नर्सों का विनियमन: 92% देशों में नर्सों के लिये नियामक निकाय हैं। 94% देशों में न्यूनतम वेतन कानून हैं, लेकिन केवल 42% देशों में मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान की जाती है।
भारत में नर्सों की स्थिति क्या है?
- नर्स-जनसंख्या अनुपात: भारत में प्रति 1,000 व्यक्तियों पर केवल 1.9 नर्सें हैं, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित प्रति 1,000 पर 3 नर्सों के अनुपात से काफी कम है।
- नर्सिंग कार्यबल: भारत में भारतीय नर्सिंग परिषद (INC) के साथ 3.3 मिलियन से अधिक नर्सें पंजीकृत हैं। यह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय है, जिसकी स्थापना भारतीय नर्सिंग परिषद अधिनियम, 1947 के तहत की गई है।
- नर्सिंग शिक्षा का विस्तार: भारत वर्ष 2025 के मध्य तक 157 नए नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिये प्रतिबद्ध है, जिससे पूरे देश में नर्सिंग में विज्ञान स्नातक (B.Sc. नर्सिंग) की 15,700 सीटें बढ़ेंगी।
भारत के नर्सिंग क्षेत्र के सामने प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- अत्यधिक बोझ से दबी नर्स: भारत में प्रति 1,000 व्यक्तियों पर केवल 1.9 नर्स हैं, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के 3 के मानक से कम है, हालाँकि भारतीय नर्सिंग परिषद के साथ 3.3 मिलियन नर्स पंजीकृत हैं, यह भारत की 1.3 बिलियन से अधिक आबादी के लिये अपर्याप्त है।
- वर्ष 2010 के अनुमान के अनुसार, भारत में 2.4 मिलियन नर्सों की कमी है। यह कमी नर्सों पर दबाव डालती है, देखभाल की गुणवत्ता को कम करती है और थकान को बढ़ाती है।
- शहरी-ग्रामीण असंतुलन: अधिकांश नर्सें शहरी केंद्रों में केंद्रित हैं, जिससे ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों में सेवा की कमी बनी हुई है।
- अपर्याप्त प्रशिक्षण और कौशल उन्नयन: यद्यपि भारत प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विस्तार कर रहा है, फिर भी सतत् व्यावसायिक विकास का अभाव है।
- कई नर्सों के पास उन्नत या विशिष्ट शिक्षा तक पहुँच नहीं है, जिससे उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल प्रदान करने की उनकी क्षमता प्रभावित होती है।
- अपर्याप्त पारिश्रमिक और मान्यता: अपने अंतर्राष्ट्रीय समकक्षों की तुलना में भारतीय नर्सों को कम वेतन मिलता है। स्वास्थ्य सेवा में मुख्य भूमिका होने के बावजूद, उनके योगदान को अक्सर कम आँका जाता है या अनदेखा किया जाता है।
- सामाजिक कलंक और उत्पीड़न: नर्सों, विशेष रूप से महिलाओं को, रोगियों, सहकर्मियों और चिकित्सा पदानुक्रम के भीतर लैंगिक पूर्वाग्रह , अनादर और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।
- उपकरणों की कमी और डॉक्टरों की अनुपलब्धता जैसे मुद्दों के लिये अक्सर उन्हें दोषी ठहराया जाता है, जबकि इन कारकों पर उनका कोई नियंत्रण नहीं होता। उत्पीड़न के ज़्यादातर मामले रिपोर्ट नहीं किये जाते, जिससे मानसिक तनाव उत्पन्न होता है।
- उच्च प्रवासन (ब्रेन ड्रेन): लगभग 640,000 भारतीय नर्सें विदेशों में कार्यरत हैं। प्रशिक्षित नर्सों की एक बड़ी संख्या बेहतर वेतन, कार्य परिस्थितियों और वृद्धि के अवसरों की तलाश में अन्य देशों में प्रवास कर जाती हैं, जिससे भारत की स्वास्थ्य देखभाल कार्यबल कमज़ोर होती है।
अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस
- परिचय: 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय नर्स परिषद (ICN) द्वारा नर्सों की करुणा और सेवा को सम्मान देने के लिये मनाया जाता है। यह आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल की जयंती को भी चिह्नित करता है।
- फ्लोरेंस नाइटिंगेल एक ब्रिटिश नर्स, सांख्यिकीविद् और सामाजिक सुधारक थीं, जो क्रीमियन युद्ध (1854–56) के दौरान ब्रिटिश और सहयोगी सैनिकों की सेवा के लिये प्रसिद्ध हुईं। इसी दौरान उन्हें "लेडी विद द लैंप" की उपाधि प्राप्त हुई।
- अंतर्राष्ट्रीय नर्स परिषद (ICN) विश्व की पहली और सबसे बड़ी वैश्विक स्वास्थ्य पेशेवरों की संस्था है, जो 130 से अधिक राष्ट्रीय संघों और 2.8 करोड़ से अधिक नर्सों का प्रतिनिधित्व करती है।
- यह गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा, प्रभावी स्वास्थ्य नीतियाँ, नर्सिंग के विकास और एक प्रतिष्ठित वैश्विक नर्सिंग कार्यबल को बढ़ावा देती है।
- वर्ष 2025 की थीम: “हमारी नर्सें। हमारा भविष्य। नर्सों की देखभाल से अर्थव्यवस्थाएँ सशक्त होती हैं” — यह नर्सों के स्वास्थ्य और कल्याण के समर्थन के महत्त्व को रेखांकित करती है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: भारत में नर्सें, जो स्वास्थ्य प्रणाली का आधार हैं, प्रणालीगत उपेक्षा का सामना करती रही हैं — विवेचना कीजिये। |