जयपुर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 7 अक्तूबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


जैव विविधता और पर्यावरण

स्टेट ऑफ फाइनेंस फॉर नेचर रिपोर्ट

  • 03 Jun 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र, रियो सम्मेलन

मेन्स के लिये:

स्टेट ऑफ फाइनेंस फॉर नेचर रिपोर्ट से संबंधित प्रमुख तथ्य 

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र की ‘स्टेट ऑफ फाइनेंस फॉर नेचर रिपोर्ट’ प्रकृति-आधारित समाधानों (NBS) में निवेश प्रवाह का विश्लेषण करती है और जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और भूमि क्षरण लक्ष्यों (तीन रियो सम्मेलनों में निर्धारित) को पूरा करने के लिये भविष्य के आवश्यक निवेश की पहचान करती है।

प्रमुख बिंदु:

प्रकृति आधारित समाधान (NbS):

  • इस प्रकार NbS सतत् विकास लक्ष्यों को रेखांकित करता है, क्योंकि वे महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं, जैव विविधता और ताजे पानी तक पहुँच, बेहतर आजीविका, स्वस्थ आहार तथा स्थायी खाद्य प्रणालियों से खाद्य सुरक्षा (जैविक कृषि) का समर्थन करते हैं।
  • साथ ही NbS जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के समग्र वैश्विक प्रयास का एक अनिवार्य घटक है।
  • NbS सामाजिक-पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिये स्थायी प्रबंधन और प्रकृति के उपयोग को संदर्भित करता है, जो आपदा जोखिम में कमी, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान से लेकर खाद्य और जल सुरक्षा के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य को कवर करता है।
  • NbS लोगों और प्रकृति के बीच सामंजस्य बनाता है, पारिस्थितिक विकास को सक्षम बनाता है और जलवायु परिवर्तन के प्रति समग्र जन-केंद्रित प्रतिक्रिया का प्रतिनिधित्व करता है।

Finance-for-Nature-Report

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:

  • वर्तमान निवेश:
    • वर्तमान में लगभग 133 बिलियन अमेरिकी डॉलर वार्षिक प्रकृति-आधारित समाधानों के माध्यम से व्यय होते हैं (2020 को आधार वर्ष के रूप में उपयोग करते हुए)। इसमें वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 0.10% शामिल है।
    • स्थायी वानिकी जैसी गतिविधियों के साथ मिश्रित जैव विविधता और परिदृश्य की रक्षा के लिये धन का उपयोग होता है।
    • NbS वित्त जलवायु वित्त की तुलना में बहुत कम है और सार्वजनिक वित्त पर अधिक निर्भर करता है।
  • लोक बनाम निजी वित्त:
    • इन निवेशों में सार्वजनिक कोष 86% और निजी वित्त 14% है।
    • सार्वजनिक वित्तीय सेवा प्रदाताओं में सरकार, विकास वित्त संस्थान (DFIs), पर्यावरण/जलवायु निधि शामिल हैं।
  • शीर्ष व्ययकर्त्ता:
    • इसके लिये सार्वजनिक क्षेत्र के खर्च में संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन का वर्चस्व है, इसके बाद जापान, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया का स्थान है।
    • ब्राज़ील, भारत और सऊदी अरब जैसे देश भी बड़ी मात्रा में पैसा खर्च कर रहे हैं, लेकिन वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तुलनीय डेटा की रिपोर्ट नहीं करते हैं।

सिफारिशें:

  • अधिक निवेश:
    • भविष्य की जलवायु, जैव विविधता और भूमि क्षरण लक्ष्यों को पूरा करने के लिये सार्वजनिक और निजी अभिकर्त्ताओं को अपने वार्षिक निवेश को कम से कम चार गुना बढ़ाने की आवश्यकता होगी।
    • वर्ष 2050 तक वार्षिक निवेश को 536 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाना चाहिये।
  • निवेश के लिये नकदी प्रवाह बढ़ाना:
    • कर सुधार, कृषि नीतियों और व्यापार से संबंधित शुल्कों का पुन: उपयोग करना और कार्बन बाज़ारों की क्षमता का दोहन करना।
  • निवेश:
    • अंतर्राष्ट्रीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिये प्राकृतिक वनस्पतियों की बहाली और वनरोपण आवश्यक है।
      • वार्षिक निवेश आवश्यकताओं का सबसे महत्त्वपूर्ण घटक नए वनों की स्थापना लागत है, क्योंकि यह कुल लागत का 80% हिस्सा है।
  • प्रकृति आधारित समाधान को सरकारी नीतियों का हिस्सा बनाना:
    • वर्तमान राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान संशोधनों, राष्ट्रीय अनुकूलन योजनाओं और घरेलू क्षेत्रीय कानूनों में प्रकृति-आधारित समाधानों को शामिल करने का समर्थन करना।
    • प्रकृति में पूंजी प्रवाह को उस स्तर तक बढ़ाने के लिये सार्वजनिक नीति के साथ निजी वित्त को संरेखित करना जो तीनों रियो सम्मेलनों के लक्ष्यों को पूरा कर सके।
  • वित्त निगरानी तंत्र:
    • NbS के लिये वित्तीय स्थिति की लेबलिंग, ट्रैकिंग, रिपोर्टिंग और सत्यापन के लिये एक व्यापक प्रणाली और ढाँचे की आवश्यकता है।
    • यह भविष्य के निर्णय लेने के लिये एक इनपुट के रूप में डेटा तुलनीयता और गुणवत्ता में सुधार करेगा।
    • इसके अलावा,जोखिम को कम करके और हानिकारक वित्तीय प्रवाह को कम करने और प्रोत्साहित करने तथा सकारात्मक वित्तीय प्रवाह को बढ़ाने की आवश्यकता है।

स्रोत-डाउन टू अर्थ

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2