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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

दक्षिण एशिया क्षेत्रीय प्रशिक्षण एवं तकनीकी सहायता केंद्र

  • 20 Nov 2017
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund - IMF) के दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय प्रशिक्षण एवं तकनीकी सहायता केन्द्र (South Asia Regional Training and Technical Assistance Center - SARTTAC) की संचालन समिति की अंतरिम बैठक संपन्न हुई है। इस बैठक में फरवरी 2017 में इस केंद्र के उद्घाटन के बाद से अभी तक की इसकी गतिविधियों का आकलन करने के साथ-साथ वित्तीय वर्ष 2018 की कार्य योजनाओं की समीक्षा की गई। 

प्रमुख बिंदु

  • इस बैठक में सभी 6 सदस्य देशों के अधिकारियों सहित विकास साझेदार प्रतिनिधियों (यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और यू.एस.ए.आई.डी) और आई.एम.एफ. स्टॉफ ने भाग लिया।

एस.ए.आर.टी.टी.ए.सी.  क्या है?

  • एस.ए.आर.टी.टी.ए.सी., आई.एम.एफ. के चौदह क्षेत्रीय केंद्रों के वैश्विक नेटवर्क का एक नवीनतम प्रारूप है। 
  • यह एक नई तरह की क्षमता विकास संस्था है, जो कि व्यापक आर्थिक और वित्तीय क्षेत्रों में लक्षित तकनीकी सलाह के साथ स्वनिर्धारित प्रशिक्षण को एकीकृत करने तथा दोनों के मध्य सहयोग स्थापित करने का काम करती है। 
  • एस.ए.आर.टी.टी.ए.सी. को इसके छ: सदस्य देशों बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका द्वारा वित्तपोषित किया जाता है। 
  • इसके अतिरिक्त इसे ऑस्ट्रेलिया, कोरिया गणराज्य, यूरोपीय संघ तथा यूनाइटेड किंगडम की अतिरिक्त सहायता भी प्राप्त होती है। 

इसका लक्ष्य क्या है?

  • इसका लक्ष्य अपने सदस्य देशों को व्यापक आर्थिक एवं वित्तीय नीतियों का निर्माण करने तथा उनके अनुपालन के संदर्भ में उनकी संस्थागत और मानव क्षमता को दृढ़ करना है, ताकि इस क्षेत्र विशेष की आर्थिक संवृद्धि सुनिश्चित करने के साथ-साथ गरीबी को भी कम किया जा सके।
  • यह इस क्षेत्र में व्‍यापक आर्थिक और वित्तीय प्रबंधन, मौद्रिक परिचालनों, वित्‍तीय क्षेत्र विनियमन एंव पर्यवेक्षण तथा व्‍यापक आर्थिक आँकड़े जैसे क्षेत्रों में योजना, समन्‍वय और आई.एम.एफ. की क्षमता विकास गतिविधियों को लागू करने के लिये एक केंद्र-बिन्‍दु साबित होगा।

भारत को इसका क्या लाभ होगा?

  • भारत और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के बीच हुए समझौते से सूक्ष्म, वित्तीय मौद्रिक नीतियों में सरकारी अधिकारियों के क्षमता सृजन में मदद मिलेगी और दक्षिण एशिया के 6 सदस्य देशों के बीच तालमेल बढ़ेगा। 
  • केंद्रीय और राज्य स्तर पर सूक्ष्म, वित्तीय मौद्रिक नीतियों से राजस्व जुटाने में मदद मिलेगी तथा कारगर लोक तथा वित्तीय प्रबंधन में सहायता मिलेगी। इसके परिणामस्वरूप आर्थिक विकास और देश में समावेशी विकास होगा। 
  • आई.एम.एफ. द्वारा क्षमता सृजन करने से विश्व तथा दक्षिण एशिया क्षेत्र के श्रेष्ठ व्यवहार अपनाए जा सकेंगे। इससे आई.टी. तथा नवाचारी तकनीकों के माध्यम से वित्तीय तथा मौद्रिक विषयों का नवाचारी समाधान हो सकेगा।
  • यह केंद्र उपरोक्त देशों के नीति निर्माताओं और अन्य सरकारी एजेंसियों के लिये पाठ्यक्रम और सेमिनार भी उपलब्‍ध कराएगा।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष 

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund - IMF)  एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्था है जो अपने सदस्य देशों की वैश्विक आर्थिक स्थिति पर नज़र रखने का कार्य करती है|  
  • यह अपने सदस्य देशों को आर्थिक एवं तकनीकी सहायता प्रदान करने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय विनिमय दरों को स्थिर रखने तथा आर्थिक विकास को सुगम बनाने में भी सहायता प्रदान करती है| 
  • आई.एम.एफ. का मुख्यालय वाशिंगटन डी.सी. संयुक्त राज्य अमेरिका में है| 
  • आई.एम.एफ. की विशेष मुद्रा एस.डी.आर. (Special Drawing Rights) कहलाती है| ध्यातव्य है कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं वित्त के लिये कुछ देशों की मुद्रा का प्रयोग किया जाता है, इसे ही एस.डी.आर. कहते हैं| 
  • एस.डी.आर. के अंतर्गत यू.एस. डॉलर, पाउंड स्टर्लिंग, जापानी येन, यूरो तथा चीन की रेंमिन्बी शामिल हैं| 
  • आई.एम.एफ. का उद्देश्य आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना, आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देना, गरीबी को कम करना, रोज़गार के नए अवसरों का सृजन करने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाना है|
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