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भौगोलिक संकेतों को बढ़ावा देने के लिये सोशल मीडिया अभियान

  • 08 Sep 2017
  • 4 min read

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) के औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (Department of Industrial Policy and Promotion - DIPP) के तत्वावधान में सी.आई.पी.ए.एम. (Cell for IPR Promotions & Management - CIPAM) द्वारा भारतीय भौगोलिक संकेत (Indian Geographical Indications (GIs)) को बढ़ावा देने के लिये एक सोशल मीडिया अभियान लॉन्च किया गया है।

भौगोलिक संकेत क्या है?

  • एक भौगोलिक संकेत (Geographical Indication) का इस्तेमाल एक ऐसे उत्पादों के लिये किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है।
  • इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषताएँ एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण होती है।
  • इस तरह का संबोधन उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है। उदाहरण के तौर पर- दार्जिलिंग की चाय, महाबलेश्वर की स्ट्राबेरी, जयपुर की ब्लू पोटरी, बनारसी साडी और तिरुपति के लड्डू ऐसे ही कुछ प्रसिद्ध भौगोलिक संकेत हैं।

भौगोलिक संकेत का महत्त्व 

  • भौगोलिक संकेत किसी भी देश की प्रसिद्धि एवं संस्कृति के प्रचार-प्रसार के कारक होते है।
  • किसी भी देश की प्रतिष्ठा में इनका एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान होता हैं।
  • वस्तुतः ये भारत की समृद्ध संस्कृति और सामूहिक बौद्धिक विरासत का एक अभिन्न अंग हैं।
  • उल्लेखनीय है कि भारत सरकार का बहुप्रचारित 'मेक इन इंडिया' अभियान जी.आई. के अनुरूप ही है।
  • जहाँ एक ओर ‘मेक इन इंडिया’ अभियान भारत की ताकत एवं विकास के संदर्भ में आशावादिता को व्यक्त करता है, वहीं जी.आई. टैग देश की समृद्ध संस्कृति एवं बौद्धिक विकास का प्रतीक है।
  • विशिष्ट प्रकार के उत्पादों को जी.आई. टैग प्रदान किये जाने से दूरदराज के क्षेत्रों की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी लाभ मिला है।
  • अक्सर देखा गया है कि बहुत से कारीगरों, किसानों, बुनकरों और कारीगरों के पास अद्वितीय कौशल एवं परंपरागत प्रथाओं और विधियों का ज्ञान होता है, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पारित होता है।
  • परंतु समय के साथ-साथ जैसे-जैसे तकनिकी का विकास बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे इनके प्रयोग एवं संचालन में कमी आती जा रही है, इसलिये देश की इस बहुमूल्य संस्कृति को संरक्षित तथा प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। 

सी.आई.पी.ए.एम. के बारे में 

  • राष्ट्रीय आई.पी.आर. नीति (National IPR Policy) के कार्यान्वयन के लिये डी.आई.पी.पी. के तत्वावधान में सी.आई.पी.ए.एम. (Cell for IPR Promotion and Management - CIPAM) को एक पेशेवर निकाय के रूप में गठित किया गया है।
  • इसे मई 2016 में "क्रिएटिव इंडिया; अभिनव भारत" (Creative India; Innovative India) के संबोधन के साथ अनुमोदित किया गया।

कार्य

  • आई.पी.आर के विषय में जन जागरूकता पैदा करना।
  • सुगमता से आई.पी.आर. दाखिल करने के तरीकों का प्रचार करना।
  • आई.पी. परिसंपत्तियों के व्यावसायीकरण के लिये प्रोत्साहन प्रदान करना।
  • सरकारी मंत्रालयों/विभागों एवं अन्य हितधारकों के साथ मिलकर राष्ट्रीय आई.पी.आर. नीति के कार्यान्वयन के समन्वय के लिये काम करना।
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