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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

तमिलनाडु के शिवगंगा ज़िले से संगम युग का स्थल प्राप्त

  • 29 Jul 2017
  • 4 min read

संदर्भ
तमिलनाडु के शिवगंगा ज़िले में स्थित किझदी से प्राप्त पुरातात्विक नमूनों के कार्बन डेटिंग (काल निर्धारण) से पता चला है कि इस स्थल का संबंध तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से था। यह स्थल प्राचीन संगम युग का एक आवासीय स्थल था।

प्रमुख बिंदु 

  • पुरातत्व विशेषज्ञों का कई वर्षों से यह अनुमान था कि तमिलनाडु के शिवगंगा ज़िले में स्थित पुरातात्विक स्थल संगम युग का स्थल है। अब कार्बन डेटिंग से भी इसकी पुष्टि हो गई है। 
  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कार्बन डेटिंग के लिये किझदी से प्राप्त कार्बन तत्त्व के दो नमूनों को अमेरिका के फ्लोरिडा में स्थित बीटा विश्लेषणात्मक इंक में भेजा गया था। वहाँ इसके रेडियो कार्बन डेटिंग से पता चलता है कि भेजे गए नमूने 2,160 + 30 वर्ष  और 2,200 + 30 वर्ष पुराने हैं।
  • किझदी, जिसकी खुदाई 2013 में शुरू की गई थी, से प्राचीन तमिल जीवन का पुरातात्विक साक्ष्य प्राप्त होता है। प्राचीन तमिल जीवन के बारे में जानकारी का स्रोत अब तक संगम साहित्य ही हैं।

प्रमुख खोज

  • तमिलनाडु में खुदाई से प्राप्त अन्य पुरातात्विक स्थलों के विपरीत, किझदी एक प्रमुख आवास स्थल है। तमिलनाडु में पिछली बार पुरातात्विक आवास स्थलों की खुदाई अरिकामेडू में हुई थी। 


संगम युग  की एक कवयित्री

  • किझदी में बर्तन के टूटे हुए कुल 72 टुकड़े पाए गए थे, जिनमें तमिल ब्रह्मी लिपि में कई नाम लिखे हुए हैं।                                           

संगम काल 

  • संगम काल दक्षिण भारत के प्राचीन इतिहास का एक महत्त्वपूर्ण कालखंड है। संगम युग  की एक कवयित्री    
  • यह कालखंड ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी से लेकर चौथी शताब्दी तक माना जाता है।  
  • यह नाम संगम साहित्य के नाम पर पड़ा है।
  • ईसा पूर्व दूसरी सदी से लेकर ईसा के पश्चात दूसरी सदी तक दक्षिण भारत में तमिल में लिखे गए साहित्यों को संगम साहित्य कहते हैं। 
  • दक्षिण भारत का प्राचीन इतिहास जानने के लिये संगम साहित्य की उपयोगिता अनन्य है। इन साहित्यों में उस समय के तीन महत्त्वपूर्ण राजवंशों- चेर, चोल और पाण्ड्य का उल्लेख मिलता है।
  • ‘संगम’ तमिल कवियों का संघ था, जो पाण्ड्य शासकों के संरक्षण में रहते थे। इनमें कई महिला कवयित्रियाँ भी थी। 

रेडियो कार्बन डेटिंग क्या है ?

  • रेडियो कार्बन डेटिंग जंतुओं एवं पौधों के प्राप्त अवशेषों की आयु निर्धारण करने की विधि है। इस कार्य के लिये कार्बन-14 का प्रयोग किया जाता है। यह तत्त्व सभी सजीवों में पाया जाता है। 


रेडियो कार्बन डेटिंग

  • कार्बन-14, कार्बन का एक रेडियोधर्मी आइसोटोप है, जिसकी अर्द्ध-आयु लगभग 5,730 वर्ष मानी जाती है।  
  • आयु निर्धारण करने की इस तकनीक का आविष्कार 1949 में शिकागो विश्वविद्यालय (अमेरिका) के विलियर्ड लिबी ने किया था।
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