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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

पूर्वी भू-मध्य सागर में रूस का नौसैनिक अभ्यास

  • 04 Sep 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये: 

भू-मध्य सागर क्षेत्र की भौगोलिक अवस्थिति

मेन्स के लिये:

मध्य-पूर्व राजनीतिक अस्थिरता और तुर्की, वैश्विक राजनीति और प्राकृतिक ऊर्जा संसाधन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में तुर्की ने पूर्वी भू-मध्य सागर में रूस द्वारा एक  नौसैनिक अभ्यास के आयोजन की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु:

  • गौरतलब है कि वर्तमान में पूर्वी भू-मध्य सागर क्षेत्र में ऊर्जा संसाधनों की खोज करने के अधिकार को लेकर तुर्की और इसके तटीय पड़ोसियों ग्रीस तथा साइप्रस के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है।
  • तुर्की की तरफ से जारी नौवहन नोटिस के अनुसार, इस रूसी नौसैनिक अभ्यास का आयोजन 8-22 सितंबर, 2020 और  17-28 सितंबर के बीच भू-मध्य सागर के क्षेत्रों में किया जाएगा।
  • तुर्की की यह घोषणा अमेरिका के उस बयान के बाद आई है जिसमें उसने साइप्रस पर लगे 33 वर्ष पुराने हथियार प्रतिबंध को आंशिक रूप से हटाने की घोषणा की थी।
  • तुर्की की इस घोषणा पर रूस ने अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।   

कारण:

  • विशेषज्ञों के अनुसार,  रूस पूर्वी भू-मध्य सागर में एक मज़बूत नौसैनिक उपस्थिति रखता है और समय-समय पर नौसैनिक गतिविधियों का आयोजन करता रहता है।
  • रूस द्वारा पूर्वी भू-मध्य सागर में नौसैनिक अभ्यास के इस कदम को अमेरिका द्वारा साइप्रस पर हथियार प्रतिबंध हटाने के निर्णय के जवाब क्षेत्र में अपने प्रभुत्त्व और हस्तक्षेप की शक्ति के प्रदर्शन के रूप में देखा जा सकता है। 

हथियार प्रतिबंध पर आंशिक छूट: 

  • अमेरिका के अनुसार,  साइप्रस को गैर-घातक उपकरणों की खरीद की अनुमति प्रदान करने के लिये इस प्रतिबंध को एक वर्ष (नवीनीकरण के विकल्प के साथ) के लिये हटाया जा रहा है।  
  • ध्यातव्य है कि अमेरिका द्वारा साइप्रस पर वर्ष 1987 में लगाए गए इस प्रतिबंध का उद्देश्य हथियारों की होड़ को रोकना था,  जो संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा साइप्रस के पुनः एकीकरण के प्रयासों के लिये बाधा उत्पन्न कर सकता था।
  • यह प्रतिबंध ग्रीक बाहुल्य आबादी वाले दक्षिणी साइप्रस पर लागू था।

तुर्की का पक्ष :

  • तुर्की ने अमेरिका द्वारा साइप्रस पर हथियार प्रतिबंध हटाए जाने के संदर्भ में असंतोष व्यक्त किया है।
  • तुर्की के अनुसार, अमेरिका का यह कदम तुर्की-अमेरिका ‘गठबंधन की भावना’ (spirit of alliance) के खिलाफ है। 
  • तुर्की ने यह भी चेतावनी दी है कि अमेरिका के इस निर्णय से साइप्रस के पुनः एकीकरण के प्रयासों को क्षति पहुँचेगी। 

पृष्ठभूमि:

  • पिछले कुछ वर्षों में तुर्की इस क्षेत्र खनिज तेल और प्राकृतिक गैस की खोज को लेकर काफी आक्रामक हुआ है, जो क्षेत्र के अन्य देशों के साथ तुर्की के तनाव का सबसे बड़ा कारण बन गया है। 
  • हाल ही में इस विवादित क्षेत्र में तुर्की-ग्रीस गतिरोध में हुई वृद्धि के बीच दोनों देशों के युद्दपोतों की सक्रियता भी बढ़ गई है। 
  • पिछले दिनों तनाव को बढ़ता हुआ देख फ्राँस ने भी इस क्षेत्र में ग्रीस के समर्थन में अपने युद्ध पोत तैनात कर दिये थे।

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रूस-तुर्की संबंध:

  • हाल के वर्षों में तुर्की और रूस के बीच सैन्य, राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों में काफी प्रगति हुई है।
  • सीरिया में सैन्य उपस्थिति के मामले में दोनों देशों के बीच समन्वय देखने को मिला है।
  • तुर्की ने रूस से ‘एस-400 मिसाइल प्रणाली’ (S-400 Missile System) की खरीद की है साथ ही वह एक रूस निर्मित परमाणु उर्जा संयंत्र की स्थापना की योजना पर कार्य कर रहा है।  
  • गौरतलब है कि तुर्की  ‘उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन’ या नाटो (NATO) समूह का सक्रिय सदस्य है। 

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भारत पर प्रभाव:

  • भू-मध्य सागर क्षेत्र में अस्थिरता का प्रभाव यहाँ रह रहे अप्रवासी भारतीयों के दैनिक जीवन और उनकी आजीविका पर पड़ सकता है, जो वर्तमान में COVID-19 महामारी के बीच एक बड़ी समस्या हो सकती है। 
  • वित्तीय वर्ष 2019-20 में भारत द्वारा कुल आयातित खनिज तेल में लगभग 4.5% भू-मध्य सागर क्षेत्र से था, ऐसे में भारत की ऊर्जा ज़रूरतों पर वर्तमान गतिरोध का अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा।  
  • परंतु भारत  के लिये  तेल आयात के दौरान किसी एक देश पर निर्भरता को कम करने और तेल आयात स्रोतों के विकेंद्रीकरण की दृष्टि से क्षेत्र की स्थिरता बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।
  • पिछले कुछ वर्षों में तुर्की कश्मीर में अनुच्छेद 370 के हटाए जाने और भारत के कई अन्य आतंरिक मामलों में अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ खड़ा हुआ है। 
  • वर्तमान क्षेत्र के तनाव में रूस की भागीदारी से भारत के लिये किसी पक्ष का समर्थन का निर्णय और अधिक जटिल हो जाएगा। 

 तुर्की-साइप्रस विवाद और साइप्रस विभाजन :

  • वर्ष 1974 में साइप्रस में ग्रीस समर्थक समूह के तख्तापलट के बाद तुर्की ने ग्रीस पर हमला कर दिया और तबसे यह द्वीपीय देश दो हिस्सों में विभाजित है। 
  • दक्षिण के ग्रीक बाहुल्य भाग की सरकार को ही अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है जबकि उत्तर के तुर्क बाहुल्य क्षेत्र को सिर्फ तुर्की से एक स्वतंत्र देश की मान्यता प्राप्त है। 
  • वर्तमान में उत्तरी साइप्रस में तुर्की के 35,000 से अधिक सैनिक तैनात हैं।  

निष्कर्ष:

भू-मध्य सागर के इस विवादित क्षेत्र की जटिल भौगोलिक अवस्थिति, सीमाओं के निर्धारण में स्पष्टता के अभाव और ऊर्जा संसाधनों पर अधिकार की होड़ के बीच यह क्षेत्र वर्तमान में वैश्विक राजनीति में विवाद का एक नया केंद्र बन गया है। इस विवाद में अन्य देशों के शामिल होने के साथ-साथ यह समस्या और अधिक जटिल होती जा रही है। ऐसे में इस क्षेत्र के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर शांति और स्थिरता को बनाए रखने के लिये इस विवाद के समाधान हेतु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुपक्षीय प्रयासों को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।    

स्रोत: द हिंदू

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