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भारतीय अर्थव्यवस्था

रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम

  • 10 Oct 2020
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये

भारतीय रिज़र्व बैंक, रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम, नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर

मेन्स के लिये

इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली का महत्त्व, RBI के हालिया निर्णय का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की हालिया घोषणा के अनुसार, अधिक मूल्य के लेन-देन हेतु प्रयोग होने वाले रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम (RTGS) को अब दिसंबर माह से चौबीसों घंटे उपलब्ध कराया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • वर्तमान स्थिति: वर्तमान में ग्राहकों के लिये रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम (RTGS) की सुविधा प्रत्येक माह के दूसरे और चौथे शनिवार को छोड़कर सप्ताह के सभी कार्यदिवसों पर सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक उपलब्ध है।
  • ध्यातव्य है कि बीते वर्ष दिसंबर 2019 में नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) को ग्राहकों को चौबीसों घंटे और 365 दिन उपलब्ध कराने का निर्णय लिया था। 
    • जुलाई 2019 से RBI ने देश में डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से NEFT और RTGS के माध्यम से होने वाले लेन-देन पर शुल्क लगाना बंद कर दिया था।
  • महत्त्व
    • रिज़र्व बैंक का यह निर्णय भारत में मूल्य भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में नवाचारों की सुविधा प्रदान करेगा और व्यापार सुगमता को बढ़ावा देगा।
    • इससे भारतीय बाज़ारों के वैश्विक एकीकरण में मदद मिलेगी और भारत को वैश्विक वित्तीय केंद्र के रूप में विकसित करने में भी सहायता प्राप्त होगी।
    • इस निर्णय के साथ भारत वैश्विक स्तर पर उन कुछ चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा, जिनके पास व्यापक मूल्य भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र है।

रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम (RTGS)

  • रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम (RTGS) ग्राहकों के खाते में वास्तविक समय पर धनराशि हस्तांतरण की सुविधा को सक्षम बनाता है और इसका प्रयोग मुख्य तौर पर बड़े लेन-देनों के लिये किया जाता है। 
    • यहाँ ‘रियल टाइम’ अथवा वास्तविक समय का अभिप्राय निर्देश प्राप्त करने के साथ ही उनके प्रसंस्करण (Processing) से है, जबकि ‘ग्रॉस सेटलमेंट’ या सकल निपटान का तात्पर्य है कि धन हस्तांतरण निर्देशों का निपटान व्यक्तिगत रूप से किया जाता है।
  • रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम (RTGS) मूल रूप से अधिक राशि के लेन-देन के लिये प्रयोग किया जाता है। इस प्रणाली के माध्यम से हस्तांतरित न्यूनतम राशि दो लाख रुपए है, जबकि इसके माध्यम से हस्तांतरित अधिकतम राशि की कोई सीमा निर्धारित नहीं है।

नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT)

  • नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) एक देशव्यापी भुगतान प्रणाली है, जो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से धन के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करती है।
  • वर्ष 2005 में शुरू की गई NEFT प्रणाली की हाल के वर्षों में लोकप्रियता बढ़ने के साथ-साथ इसके ग्राहकों की संख्या में भी तेज़ी देखी गई है।
  • इस प्रणाली के तहत कोई व्यक्ति, फर्म और कंपनी दूसरी बैंक शाखा में खाता रखने वाले किसी भी अन्य व्यक्ति, फर्म या कंपनी के बैंक खाते में तथा देश में स्थित किसी अन्य बैंक शाखा में इलेक्ट्रॉनिक रूप से धन हस्तांतरित कर सकता है।

RTGS बनाम NEFT

  • नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) में मुद्रा के लेन-देन को बैचेज़ (Batches) अर्थात् समूह में पूरा किया जाता है, यानी इस प्रणाली के तहत एक निश्चित समयसीमा तक प्राप्त सभी लेन-देनों का निपटान एक साथ किया जाता है।
    • निश्चित समयसीमा के बाद वाले लेन-देनों के निर्देशों को अगले समूह अथवा बैच में शामिल कर लिया जाता है, इस प्रकार इस प्रणाली में देरी की संभावना होती है।
  • इसके विपरीत RTGS में निर्देश प्राप्त करने के साथ ही उसका प्रसंस्करण कर दिया जाता है।
  • जहाँ RTGS का प्रयोग बड़े मूल्य के लेन-देनों के लिये किया जाता है, वहीं NEFT का प्रयोग आमतौर पर कम राशि के हस्तांतरण हेतु किया जाता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

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