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भारतीय राजनीति

आदर्श आचार संहिता में छूट/रियायत

  • 02 May 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने राज्य में सूखे से राहत हेतु उपाय करने के लिये चुनाव आयोग (Election Commission) को पत्र लिखकर आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) में छूट की मांग की है।

  • ध्यातव्य है कि देश में लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र 10 मार्च से आदर्श आचार संहिता लागू है।

महाराष्ट्र में सूखे की स्थिति

  • महाराष्ट्र में 151 तालुकाओं को सूखा प्रभावित घोषित किया गया है, इसलिये राज्य में कुछ बुनियादी ढाँचागत जैसे कि बोरवेल की ड्रिलिंग, पेयजल योजनाओं के तहत मरम्मत कार्य आदि पर काम करने की आवश्यकता है।

पृष्ठभूमि

  • वर्ष 2004 के आम चुनावों के दौरान चुनाव आयोग ने ‘सूखा प्रभावित’ क्षेत्र में राहत कार्य हेतु निम्नलिखित तौर-तरीकों को मंजूरी दी:

♦ राज्य सरकारों द्वारा जारी सूखा राहत क्षेत्र उसे माना जाएगा जिसे आपदा राहत कोष के निर्धारित मापदंडों के तहत केंद्र सरकार ने ‘सूखा प्रभावित’ क्षेत्र घोषित किया है।

♦ चुनावों की घोषणा के बाद ‘सूखा प्रभावित’ क्षेत्रों की उपलब्ध सूची में कोई नया क्षेत्र नहीं जोड़ा जाएगा।

♦ किसी भी अतिरिक्त गाँव को आपदा राहत कोष / राष्ट्रीय राहत कोष के तहत लाने के लिये चुनाव आयोग की पूर्व सहमति अनिवार्य है।

वर्तमान संदर्भ में

  • घोषित सूखा प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल राहत प्रदान करने के लिये चुनाव आयोग ने निम्नलिखित उपायों को मंज़ूरी दी है :

♦ पानी के टैंकरों द्वारा पेयजल की व्यवस्था।

♦ मौजूद बोरवेल या कुएँ के सूख जाने के कारण इन क्षेत्रों में पुनः खुदाई करने की अनुमति।

♦ बेसहारा, निराश्रित, ऐसे लोग जो काम पर नहीं जा सकते तथा जो आपदा राहत कोष योजना में पहले से शामिल हैं, को निर्धारित दरों पर चावल/गेहूँ वितरण किये जाने का प्रावधान।

♦ पशुओं के लिये चारे का प्रावधान।

♦ मज़दूरी करने वाले ऐसे लोग जो भोजन आदि की व्यवस्था के लिये रोज़गार में लगे हैं उनके रोज़गार समाप्त हो जाने पर नए रोजगार प्रदान करने का प्रावधान।

आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct)

  • देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिये चुनाव आयोग द्वारा बनाए गए नियमों को ही आदर्श आचार संहिता कहा जाता है।
  • जिस दिन चुनाव आयोग चुनाव की तिथि निर्धारित करता है उस दिन से लेकर चुनाव के नतीजे आने तक यह ‘आदर्श आचार संहिता’ लागू रहती है।
  • इसके लागू होते ही शासन और प्रशासन में कई अहम बदलाव हो जाते हैं।
  • राज्यों और केंद्र सरकार के कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक सरकार के नहीं बल्कि चुनाव आयोग के कर्मचारी की तरह काम करते हैं।
  • आचार संहिता लागू होने के बाद सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी ऐसे आयोजन में नहीं किया जा सकता जिससे किसी विशेष दल को फ़ायदा पहुँचता हों। आचार संहिता लागू होने के बाद सभी तरह की सरकारी घोषणाएँ, लोकार्पण, शिलान्यास या भूमि-पूजन के कार्यक्रम नहीं किये जा सकते हैं।

रियायत/छूट

  • चुनाव आयोग स्वयं आदर्श आचार संहिता के दौरान आंशिक छूट प्रदान कर सकता है।
  • इससे पहले 5 मार्च, 2009 को चुनाव आयोग ने अपने दिशा-निर्देशों में कुछ कार्यों को करने की अनुमति दी थी जिन्हें सरकारी एजेंसियों द्वारा जारी रखा जा सकता है जैसे-

♦ ऐसी कार्य-परियोजनाएँ जो सभी प्रकार की आवश्यक मंज़ूरी प्राप्त करने के बाद वास्तव में धरातल पर प्रारंभ हो गई हों।

♦ ऐसी लाभकारी-परियोजनाएँ जिन्हें विशिष्ट लाभार्थियों के लिये शुरू किया गया हो और वे आदर्श संहिता लागू होने से पहले आरंभ की गई हों।

♦ आपातकालीन राहत कार्य और उपाय जिसका उद्देश्य कठिनाइयों को कम या समाप्त करना है, ऐसी स्थिति में भी चुनाव आयोग रियायत प्रदान कर सकता है।

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