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शासन व्यवस्था

OTT प्लेटफार्मों का विनियमन

  • 13 Oct 2023
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI), न्यायाधिकरण, दूरसंचार विवाद निपटान अपीलीय न्यायाधिकरण (TDSAT), ओवर-द-टॉप (OTT)

मेन्स के लिये:

ओ.टी.टी. प्लेटफार्मों को उनकी विकसित और गतिशील प्रकृति, न्यायाधिकरण, विवाद निवारण तंत्र के कारण विनियमित करने में सरकार के सामने आने वाली चुनौतियाँ।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

दूरसंचार विवाद निपटान अपीलीय न्यायाधिकरण (TDSAT) ने फैसला सुनाया है कि हॉटस्टार जैसे ओवर द टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) के अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं तथा ये इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी (MeitY) मंत्रालय द्वारा अधिसूचित सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 द्वारा शासित हैं।

  • TDSAT के अनुसार OTT प्लेटफॉर्म ट्राई अधिनियम, 1997 के दायरे से बाहर हैं क्योंकि उन्हें केंद्र सरकार से किसी अनुमति या लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है
  • यह आदेश ऑल इंडिया डिजिटल केबल फेडरेशन (AIDCF) द्वारा स्टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (STAR) के खिलाफ एक याचिका की प्रतिक्रिया के रूप में था।+ AIDCF ने स्टार द्वारा हॉटस्टार पर विश्व कप मैचों की मुफ्त स्ट्रीमिंग को चुनौती देते हुए दावा किया कि यह अनुचित और TRAI नियमों के खिलाफ है।

ओटीटी प्लेटफॉर्म रेग्युलेशन पर विवाद:

  • MoC और MeitY के बीच संघर्ष:
    • दूरसंचार नियामक ट्राई और दूरसंचार विभाग (DoT), संचार मंत्रालय (MoC) का MeitY के साथ विवाद हो गया कि ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफार्मों को किसे विनियमित करना चाहिये, क्योंकि देश में इंटरनेट आधारित संचार सेवाओं के लिये नियामक ढाँचे की प्रकृति को लेकर बहस चल रही है।
    • DoT ने ओ.टी.टी प्लेटफार्मों को दूरसंचार सेवाओं के रूप में वर्गीकृत करने और उन्हें दूरसंचार ऑपरेटरों की तरह विनियमित करने की मांग की।
      • ट्राई ने ओ.टी.टी. प्लेटफॉर्म को कैसे विनियमित किया जाए, इस पर अलग से एक परामर्श पत्र जारी किया है।
  • दूरसंचार विभाग के साथ सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की असहमति:
    • सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का मानना है कि व्यापार नियमों के आवंटन के तहत, इंटरनेट आधारित संचार सेवाएँ  DoT के अधिकार क्षेत्र का हिस्सा नहीं हैं।
    • हालाँकि इस मामले में चर्चा व्हाट्सएप जैसी ओटीटी संचार सेवाओं के आसपास केंद्रित है।
  • TRAI द्वारा OTT सेवाओं को विनियमित करने का प्रयास:
    • TRAI ने सबसे पहले व्हाट्सएप, ज़ूम और गूगल मीट जैसी ओ.टी.टी. संचार सेवाओं के लिये एक विशिष्ट नियामक ढाँचे के निर्माण के विरुद्ध सिफारिश की थी।
    • वर्तमान में TRAI द्वारा इन सेवाओं को विनियमित करने पर पुनर्विचार करने के रुख के कारण विभिन्न संबद्ध मंत्रलायों और विभागों के बीच विवाद उत्पन्न हो गया है।

ओटीटी (OTT) प्लेटफाॅर्म:

  • परिचय:
    • ओ.टी.टी. प्लेटफॉर्म ऑडियो तथा वीडियो होस्टिंग और स्ट्रीमिंग सेवाएँ हैं, ये शुरू-शुरू में कंटेंट होस्टिंग प्लेटफॉर्म थे, लेकिन बाद में ये लघु फिल्मों, फीचर फिल्मों, वृत्तचित्रों व वेब-सीरीज़ के निर्माण एवं रिलीज तक विस्तारित हो गया।
    • ये प्लेटफॉर्म विभिन्न प्रकार के कंटेंट प्रदान करते हैं और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग करके उपयोगकर्त्ताओं को उनके द्वारा देखे जाने वाले कंटेंट की प्रकृति एवं प्रकार के आधार पर अन्य कंटेंट का सुझाव देता है।
  • सेवाएँ:
    • अधिकांश ओ.टी.टी. प्लेटफॉर्म पर कुछ कंटेंट निःशुल्क होते हैं और कुछ ऐसे कंटेंट जो आम तौर पर अन्यत्र उपलब्ध नहीं होते हैं, जिन्हें प्रीमियम कंटेंट कहा जाता है, के लिये मासिक सदस्यता शुल्क का भुगतान करना पड़ता है।
    • प्रीमियम कंटेंट का निर्माण और विपणन आमतौर पर ओ.टी.टी. प्लेटफॉर्म द्वारा स्वयं स्थापित प्रोडक्शन हाउसों के सहयोग से किया जाता है।
    • उदाहरण:
      • नेटफ्लिक्स, डिज़्नी+, हुलु, अमेज़ॅन प्राइम वीडियो, पीकॉक, क्यूरियोसिटीस्ट्रीम, प्लूटो टीवी एवं अन्य।
  • ओ.टी.टी. प्लेटफॉर्म को विनियमित करने वाले कानून:
    • वर्ष 2022 में केंद्र सरकार ने ओ.टी.टी. प्लेटफॉर्म को विनियमित करने के लिये सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 अधिसूचित किया।

सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021: 

  • सोशल मीडिया द्वारा अधिक सतर्कता बरता जाना:
    • मुख्य तौर पर आईटी नियम (2021) सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म को अपने प्लेटफाॅर्म पर कंटेंट/सामग्री के संबंध में अधिक सतर्कता बरतने का आदेश देता है।
    • ये नियम ओ.टी.टी. प्लेटफाॅर्म के लिये आचार संहिता और त्रि-स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र के साथ एक सॉफ्ट-टच स्व-नियामक तंत्र स्थापित करते हैं।
    • साथ ही प्रत्येक प्रसारक को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के साथ पंजीकृत एक स्व-नियामक निकाय का सदस्य बनना होगा तथा संबद्ध शिकायतों का समाधान करना होगा।
  • शिकायत निवारण तंत्र:
    • प्लेटफाॅर्म के निवारण तंत्र के शिकायत अधिकारी का कार्य उपयोगकर्त्ताओं की शिकायतें दर्ज करना और उनका समाधान करना है।
      • उससे 24 घंटे के अंदर शिकायत की प्राप्ति की सूचना देने और 15 दिनों के अंदर उचित तरीके से उसका निपटान करने की अपेक्षा की जाती है।
      • प्लेटफॉर्म पर किसी अन्य माध्यम से इसकी पहुँच और प्रसार को भी अक्षम किया जाना चाहिये।
  • गोपनीयता नीतियाँ: 
    • सोशल मीडिया प्लेटफार्मों की गोपनीयता नीतियों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि उपयोगकर्त्ताओं को कॉपीराइट सामग्री और ऐसी किसी भी चीज़ को प्रसारित न करने के विषय में शिक्षित किया जाता है जिसे अपमानजनक, नस्लीय या जातीय रूप से आपत्तिजनक, पैडोफिलिक के रूप में माना जा सकता है, जो भारत की एकता, अखंडता, रक्षा, सुरक्षा या संप्रभुता को हानि पहुँचा सकती हैं या विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध या किसी भी समकालीन कानून का उल्लंघन करती हैं।

दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण (Telecom Disputes Settlement and Appellate Tribunal- TDSAT):

  • स्थापना:
    • TRAI अधिनियम, 1997 में संशोधन: TRAI अधिनियम को वर्ष 2000 में संशोधित किया गया, जिसने TRAI के न्यायिक और विवादपूर्ण कार्यों को संभालने के लिये एक दूरसंचार विवाद निपटान एवं अपीलीय न्यायाधिकरण (TDSAT) की स्थापना की।
  • उद्देश्य: TDSAT की स्थापना निम्नलिखित के बीच किसी भी विवाद का निपटारा करने हेतु की गई थी:
    • एक लाइसेंसकर्त्ता और एक लाइसेंसधारी
    • दो या दो से अधिक सेवा प्रदाता
    • एक सेवा प्रदाता और उपभोक्ताओं का एक समूह
    • इसकी स्थापना TRAI के किसी भी निर्देश, निर्णय या आदेश के विरुद्ध अपील सुनने और निपटाने के लिये भी की गई थी।
  • संरचना: 
    • TDSAT में एक अध्यक्ष और दो अन्य सदस्य होते हैं, जिनकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।
    • सदस्यों का चयन भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है।
  • संरचना: 
    • न्यायाधिकरण में केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष और दो सदस्य होते हैं।
  • पात्रता:
    • अध्यक्ष: कोई व्यक्ति अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के लिये तब तक योग्य नहीं होगा जब तक कि वह सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश या उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश न हो।
    • अन्य सदस्य: वह भारत सरकार में सचिव या केंद्र/राज्य सरकार में किसी समकक्ष पद पर रहा हो।
    • कार्यालय की अवधि: TDSAT के अध्यक्ष और अन्य सदस्य अधिकतम चार वर्ष या सत्तर वर्ष (अध्यक्ष के लिये), जो भी पहले हो, की अवधि के लिये पद पर बने रहेंगे।
    • अध्यक्ष के अलावा अन्य सदस्यों के मामले में अधिकतम आयु पैंसठ वर्ष है।
  • TDSAT की शक्तियाँ और अधिकार क्षेत्र: 
    • सिविल कोर्ट/नागरिक न्यायालयों के पास किसी भी मामले पर विचार करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है जिसके पास TDSAT को निर्धारित करने का अधिकार हो।
    • TDSAT द्वारा पारित आदेश सिविल कोर्ट के डिक्री(किसी सक्षम न्यायालय के निर्णय की औपचारिक अभिव्यक्ति) के रूप में निष्पादन योग्य है, ट्रिब्यूनल के पास सिविल कोर्ट की सभी शक्तियाँ होती हैं।
    • यह सिविल प्रक्रिया संहिता द्वारा निर्धारित प्रक्रिया से बंधा नहीं है बल्कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित है।
    • TRAI अधिनियम, 1997 (संशोधित), सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2008 और भारतीय विमान पत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 2008 के तहत ट्रिब्यूनल द्वारा दूरसंचार, प्रसारण,  IT और विमान पत्तन के टैरिफ मामलों पर अधिकार क्षेत्र का प्रयोग किया जाता है।
    • वर्ष 2004 में प्रसारण और केबल सेवाओं को शामिल करने के लिये TRAI अधिनियम का दायरा बढ़ाया गया था। इसके अलावा वर्ष 2017 में वित्त अधिनियम के बाद TDSAT के अधिकार क्षेत्र को उन मामलों को शामिल करने के लिये बढ़ा दिया गया था जो पहले साइबर अपीलीय न्यायाधिकरण के अधिकार क्षेत्र में थे।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में दूरसंचार, बीमा, विद्युत् आदि जैसे क्षेत्रकों में स्वतंत्र नियामकों का पुनरीक्षण निम्नलिखित में से कौन करते/करती हैं? (2019)

  1. संसद द्वारा गठित तदर्थ समितियाँ
  2. संसदीय विभाग संबंधी स्थायी समितियाँ
  3. वित्त आयोग
  4. वित्तीय क्षेत्र विधायी सुधार आयोग
  5. नीति (NITI) आयोग

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) 1 और 2
(b) 1, 3 और 4
(c) 3, 4 और 5
(d) 2 और 5

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. सूचना प्रौद्योगिकी समझौतों (ITA) का उद्देश्य हस्ताक्षरकर्त्ताओं द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों पर सभी करों और प्रशुल्कों को कम करके शून्य पर लाना है। ऐसे समझौतों का भारत के हितों पर क्या प्रभाव होगा? (2014)

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