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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारतीय रिज़र्व बैंक की “प्रणालीगत महत्त्वपूर्ण” बैंकों की सूची

  • 07 Sep 2017
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय स्टेट बैंक और आई.सी.आई.सी.आई. बैंक को प्रणालीगत महत्त्वपूर्ण बैंकों (systemically important banks) की सूची में शामिल करने के पश्चात् भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा एच.डी.एफ.सी. बैंक को भी इस सूची में शामिल किया गया है।

  • इसका अर्थ यह है कि एच.डी.एफ.सी. बैंक को देश की वित्तीय व्यवस्था में एक महत्त्वपूर्ण आधार के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
  • ध्यात्वय है कि वर्ष 2015 से, आर.बी.आई. द्वारा ऐसे बैंकों की पहचान की जा रही हैं, जिनकी विफलता से पूरी वित्तीय प्रणाली प्रभावित हो सकती है।
  • इस प्रकार सूचीबद्ध करने के पश्चात् इन बैंकों को अधिक कठोर विनियम और पूंजी आवश्यकताओं के दायरे में रखा जाएगा।

व्यवस्थित रूप से महत्त्वपूर्ण बैंक (Systematically Important Banks)

  • कुछ बैंकों को उनके आकार, पार - न्यायिक गतिविधियों (cross-jurisdictional activities), जटिलता, प्रतिस्थापन क्षमता की कमी और अंतर्संयोजनात्मकता (interconnectedness) के कारण प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण बैंक (D- SIBs) की संज्ञा दी जाती है।
  • इन बैंकों की बेतरतीब विफलता के कारण बैंकिंग व्यवस्था के द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली आवश्यक सेवाएँ भी बाधित हो जाती है, जिससे इनकी संपूर्ण आर्थिक गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • इन बैंकों को इसलिये प्रणालीगत महत्त्वपूर्ण बैंक (Systemically Important Banks - SIBs) कहा जाता है क्योंकि वास्तविक अर्थव्यवस्था में आवश्यक बैंकिंग सेवाओं की अबाधित उपलब्धता के लिये इनका निरंतर कार्य करते रहना अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता हैं।

प्रमुख बिंदु

  • प्रणालीगत महत्त्वपूर्ण बैंक उन बैंकों को कहा जाता है जो ‘विफल होने में पर्याप्त समय’ (Too Big To Fail -TBTF) लेते हैं|
  • वस्तुतः टी.बी.टी.एफ. की यह अवधारणा आर्थिक विपत्ति के समय इन बैंकों के लिये आवश्यक सरकारी समर्थन का सृजन करती है|
  • इस अवधारणा के परिणामस्वरूप इन बैंकों को फंडिंग बाज़ारों में कुछ निश्चित लाभ भी प्राप्त होते है|
  • घरेलू - प्रणालीगत महत्त्वपूर्ण बैंकों की पहचान करने के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निम्नलिखित संकेतकों का उपयोग किया जाता हैं: आकार, अंतर-संबंध, प्रतिस्थापन और जटिलता।
  • आर.बी.आई. द्वारा एक कट ऑफ स्कोर का निर्धारण किया जाता है जिसके तहत् किसी भी बैंक को डी-एस.आई.बी. के रूप में सूचीबद्ध किया जाता है।
  • डी –एस.आई.बी. को उनके द्वारा वित्तीय व्यवस्था पर पड़ने वाले जोखिमों के आधार पर विभेदित पर्यवेक्षी आवश्यकताओं (differentiated supervisory requirements) और उच्च पर्यवेक्षण क्षमता (higher intensity of supervision) की आवश्यकता होती है|
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