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बुरे ऋणों के ऑनलाइन व्यापार के लिये प्लेटफॉर्म की आवश्यकता

  • 23 Jan 2018
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

  • रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के डिप्टी गवर्नर के अनुसार खराब ऋणों (Bad Loans) के व्यापार और बिडिंग के लिये एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म स्थापित करने की आवश्यकता है।
  • खराब ऋण (Bad Loans) वह ऋण  होता है जिसकी उगाही (Recovery) नहीं की जा सकती। हाल ही में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा ज़ारी की गई वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कहा गया है कि खराब ऋणों (Bad Loans) की मात्रा मार्च तक 10.8% और सितंबर 2018 तक 11.1% तक बढ़ सकती है।
  • इसके लिये डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने संयुक्त राज्य अमेरिका का उदाहरण दिया, जहाँ लोन सिंडिकेशन एंड ट्रेडिंग एसोसिएशन (Loan Syndication and Trading Association-LSTA) के नाम से ऐसा ही प्लेटफॉर्म अस्तित्व में है।

लोन सिंडिकेशन एंड ट्रेडिंग एसोसिएश (Loan Syndication and Trading Association-LSTA)

  • LSTA फ्लोटिंग दर वाले कॉरपोरेट ऋण बाज़ार के लिये ट्रेड एसोसिएशन है।
  • LSTA एक निष्पक्ष, व्यवस्थित, कुशल और प्रगतिशील कॉरपोरेट ऋण बाज़ार को बढ़ावा देता है और सभी बाज़ार सहभागियों के हितों को आगे बढ़ाने और उनमें संतुलन लाने के लिये नेतृत्व प्रदान करता है।

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की आवश्यकता क्यों?

  • वर्तमान में परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (ARC) द्वारा दबावग्रस्त ऋण के लिये लगाई जाने वाली बोली और अंतत: बैंक द्वारा स्वीकार की जाने वाली बोली का सार्वजनिक रूप से खुलासा नहीं किया जाता है।
  • यदि इसमें पारदर्शिता बरती जाए तो भविष्य में तनावग्रस्त परिसंपत्तियों (Stressed Assets) की बिक्री के लिये सूचित निर्णय (Informed Decision) की सुविधा मिलने से परिसंपत्ति बाज़ार में मंदी को दूर करने में सहायता मिल सकती है।

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की स्थापना के लाभ 

  • ऐसा प्लेटफॉर्म मुख्यत: तीन चीज़ों में सक्षम हो सकता है- ऋण संबंधी घटनाओं की जानकारी का प्रकाशन, ऋण का डिजिटलीकरण और पूरी प्रक्रिया के कानूनी दस्तावेज़ और मानकीकरण प्रदान कराना। इससे बेची जाने वाली परिसंपत्तियों के मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता लाई जा सकेगी।
  • एक ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की स्थापना से गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों की बिक्री के लिये भारत में एक प्रगतिशील बाज़ार विकसित करने में सहायता मिलेगी।
  • यह दबावग्रस्त ऋणों की बिक्री के लिये ऑनलाइन बिडिंग प्लेटफॉर्म की सुविधा भी प्रदान करा सकता है। 
  • अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने बैंकिंग संकट के दौरान ऐसे प्लेटफॉर्म्स का प्रयोग किया था, जो बाद में एक मानक उद्योग की तरह विकसित हुआ।
  • यह बैंकों के लिये लाभकारी होगा क्योंकि इससे ऋण-बिक्री के प्राथमिक बाज़ार में तरलता पैदा होगी और यह परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों के भी हित में क्योंकि इन परिसंपत्तियों के लिये एक द्वितीयक बाज़ार विकसित होगा।
  • यदि यह प्लेटफॉर्म स्थापित हो जाता है तो ऋण की उगाही के लिये केवल दिवालियापन कोड पर निर्भरता कम हो जाएगी।

आगे के लिये समाधान 

  • ऋण-उगाही की प्रक्रिया उन लोगो के लिये असुविधाजनक होती है जो दिवालियापन कोड के भूमिका में आने से पहले ही इस प्रक्रिया में शामिल होना चाहते हैं।
  • यदि ऐसा प्लेटफॉर्म सफलतापूर्वक स्थापित हो जाता है तो जोखिम हस्तांतरण के लिये ऋण की बिक्री दिवालियापन कोड के दाखिल होने से पहले अथवा ऋण के NPA होने से पहले भी संभव हो सकेगी।
  • आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने कहा है कि भारतीय बैंक एसोसिएशन, एसोसिएशन ऑफ एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनीज और क्रेडिट रेटिंग एजेंसियाँ ​​ऐसे प्लेटफॉर्म की स्थापना के लिये एक साथ आ सकती हैं।

गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियाँ (Non-Performing Assets - NPAs)

  • गैर-निष्पादनकरी परिसंपत्तियाँ वित्तीय संस्थानों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक ऐसा वर्गीकरण है जिसका सीधा संबंध ऋण/लोन न चुकाने से होता है। जब ऋण लेने वाला व्यक्ति 90 दिनों तक ब्याज अथवा मूलधन का भुगतान करने में विफल रहता है तो उसको दिया गया ऋण गैर-निष्पादित परिसंपत्ति माना जाता है।
  • तनावग्रस्त परिसंपत्तियों में बड़े पैमाने पर वृद्धि के बाद आरबीआई ने पिछले जून के बाद से 40 सबसे बड़े तनावग्रस्त खातों की पहचान की है और बैंकों से उन्हें विभिन्न ऋण वसूली ट्रिब्यूनलों को भेजने के लिये कहा है।

परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (Asset Reconstruction Company-ARC)

  • ARC एक विशेष वित्तीय संस्थान है जो बैंकों और वित्तीय संस्थानों की बैलेंस शीट को स्वच्छ और संतुलित रखने में उनकी सहायता करने के लिये उनसे NPA या खराब ऋण खरीदती है।
  • दूसरे शब्दों में ARC बैंकों से खराब ऋण खरीदने के कारोबार में कार्यरत वित्तीय संस्थान हैं।
  • भारत में सरफेसी अधिनियम, 2002 (SARFAESI Act) ARC की स्थापना के लिये कानूनी आधार प्रदान करता है।
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