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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 20 मई, 2020

  • 20 May 2020
  • 8 min read

WHO का कार्यकारी बोर्ड

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization-WHO) के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में चुना गया है। वह 22 मई को पदभार ग्रहण करेंगे। डॉ. हर्षवर्धन WHO के कार्यकारी बोर्ड के मौजूदा अध्यक्ष जापान के डॉ. हिरोकी नकातानी (Dr. Hiroki Nakatani) का स्थान लेंगे। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते COVID-19 से मुकाबले में डॉ. हर्षवर्धन भारत के प्रयासों का नेतृत्त्व कर रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति ज़िम्मेदार संयुक्त राष्ट्र (United Nations-UN) की विशिष्ट संस्था है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के कार्यकारी बोर्ड का मुख्य कार्य विश्व स्वास्थ्य सभा (World Health Assembly) की नीतियों को प्रभावी बनाने हेतु सलाह देना और सभा के कार्य को सुविधाजनक बनाना है। इस कार्यकारी बोर्ड में स्वास्थ्य क्षेत्र में तकनीकी रूप से योग्य 34 व्यक्तियों को शामिल किया जाता है। इन सभी सदस्यों को विश्व स्वास्थ्य सभा द्वारा इस कार्य के लिये चुने गए सदस्य राष्ट्रों द्वारा नामित किया जाता है। उल्लेखनीय है कि कार्यकारी बोर्ड की बैठक का आयोजन एक वर्ष में कम-से-कम दो बार किया जाता है, जिसमें पहली बैठक प्रत्येक वर्ष जनवरी माह में होती है और दूसरी बैठक विश्व स्वास्थ्य सभा की बैठक के तुरंत बाद मई माह में आयोजित की जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्थापना वर्ष 1948 में अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संबंधी कार्यों पर निर्देशक एवं समन्वय प्राधिकरण के रूप में की गई थी।

खतरनाक है कीटाणुनाशक का छिड़काव: WHO

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने विभिन्न देशों को चेतावनी जारी की है कि सतह पर कीटाणुनाशक का छिड़काव करने से कोरोना वायरस (COVID-19) को समाप्त करना संभव नहीं है और यह स्वास्थ्य के लिये भी हानिकारक साबित हो सकता है। WHO ने अपने एक दस्तावेज़ में स्पष्ट तौर पर कहा है कि सड़कों पर कीटनाशक का छिड़काव अप्रभावी हो सकता है। WHO के अनुसार, COVID-19 अथवा किसी अन्य वायरस के कीटाणुओं को मारने के लिये बाहरी स्थानों जैसे- सड़कों और बाज़ारों में कीटनाशक के छिड़काव की सिफारिश नहीं की गई है, क्योंकि गंदगी या मलबे से यह छिड़काव अथवा कीटनाशक निष्क्रिय हो जाता है। WHO ने अपने दस्तावेज़ में स्पष्ट तौर पर कहा कि किसी भी परिस्थिति में किसी व्यक्ति को संक्रमणमुक्त करने के लिये कीटाणुनाशक के प्रयोग की सिफारिश नहीं की गई है। यदि ऐसा किया जाता है तो यह उस व्यक्ति के लिये शारीरिक अथवा मानसिक रूप से हानिकारक हो सकता है। दस्तावेज़ के अनुसार, यदि व्यक्ति पर क्लोरीन अथवा किसी अन्य ज़हरीले रसायनों का छिड़काव किया जाता है तो उसे आंखों और त्वचा में जलन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। WHO के मुताबिक यदि सतह पर कीटाणुनाशक का प्रयोग किया जाना है तो यह कीटाणुनाशक में भिगोए हुए किसी कपड़े या पोंछे के साथ किया जाना चाहिये। 

विश्व मधुमक्खी दिवस

प्रत्येक वर्ष 20 मई को विश्व भर में विश्व मधुमक्खी दिवस (World Bee Day) के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का उद्देश्य मधुमक्खी और अन्य परागणकों जैसे तितलियों, चमगादड़ और हमिंग बर्ड आदि के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यह दिवस 18वीं शताब्दी में आधुनिक मधुमक्खी पालन की तकनीक के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने वाले एंटोन जनसा (Antone Jansa) के जन्मदिन (20 मई, 1734) के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष 20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस के रूप में मनाने के प्रस्ताव को 7 जुलाई, 2017 को इटली में आयोजित खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization-FAO) के 40वें सत्र में स्वीकृत किया गया था। वर्ष 2020 के लिये ‘Bee Engaged’ विषय को इस दिवस की थीम चुना गया है। विश्व मधुमक्खी दिवस, 2020 की थीम मधुमक्खियों और अन्य परागणकों के संरक्षण पर ज़ोर देता है। 20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस के अवसर पर मधुमक्खी के तमाम उत्पादों के लाभ, उत्पादन बढ़ाने में मधुमक्खियों की भूमिका और किसानों को खेती के साथ-साथ नए व्यवसाय के अवसर मुहैया कराने की संभावनाओं पर चर्चा की जाती है। 

नीलम संजीव रेड्डी

19 मई, 2020 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में पूर्व राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी है। भारत के छठे राष्ट्रपति और आंध्रप्रदेश के प्रमुख राजनेताओं में से एक नीलम संजीव रेड्डी का जन्म 19 मई, 1913 को आंध्रप्रदेश के अनंतपुर (Anantapur) ज़िले में हुआ था। नीलम संजीव रेड्डी की प्राथमिक शिक्षा अड़यार (मद्रास) से और उसके आगे की शिक्षा अनंतपुर ज़िले के आर्ट्स कॉलेज (Arts College) से हुई थी। कॉलेज के दौरान उन्होंने महात्मा गांधी के आह्वान पर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिये अपनी शिक्षा को बीच में ही छोड़ दिया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्होंने सविनय अवज्ञा और भारत छोड़ो जैसे विभिन्न आंदोलनों में बढ चढकर हिस्सा लिया। नीलम संजीव रेड्डी अपने राजनीतिक कैरियर में काॅन्ग्रेस में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर रहे और आंध्र प्रांतीय काॅन्ग्रेस समिति के सदस्य चुने गए। 26 मार्च, 1977 को नीलम संजीव रेड्डी को सर्वसम्मति से लोकसभा का स्पीकर चुना गया, किंतु 13 जुलाई, 1977 को पद से इस्तीफा दे दिया क्योंकि इन्हें राष्ट्रपति पद हेतु नामांकित किया जा रहा था। 21 जुलाई, 1977 को नीलम संजीव रेड्डी को निर्विरोध राष्ट्रपति के रूप में चुन लिया गया। राष्ट्रपति के रूप में अपने दायित्त्वों के निर्वाह के पश्चात् नीलम संजीव रेड्डी 25 जुलाई, 1982 को कार्यकाल से मुक्त हो गए। पद छोड़ने के लगभग 14 वर्षों बाद 1 जून, 1996 को नीलम संजीव रेड्डी की मृत्यु हो गई।

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