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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 11 जून, 2020

  • 11 Jun 2020
  • 8 min read

जावेद इकबाल वानी

हाल ही में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कश्मीर के प्रतिष्ठित वकील जावेद इकबाल वानी को केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के संयुक्त उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया है। उल्लेखनीय है कि बीते सात वर्षों में यह पहली बार हुआ है जब कश्मीर के किसी वकील को जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया है। इससे पूर्व कश्मीर के वकील, न्यायाधीश अली मुहम्मद मागरे को वर्ष 2013 में जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। ध्यातव्य है कि भारत के न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रणाली को कॉलेजियम व्यवस्था (Collegium System) कहा जाता है। इस व्यवस्था का निर्माण सर्वोच्च न्यायालय के विभिन्न निर्णयों के बाद हुआ है। कॉलेजियम व्यवस्था के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य‍ न्यायाधीश के नेतृत्त्व में बनी वरिष्ठ न्यायाधीशों की समिति न्यायाधीश के नाम तथा नियुक्ति का निर्णय करती है। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति तथा हस्तांतरण का निर्णय भी कॉलेजियम व्यवस्था के तहत ही किया जाता है। साथ ही उच्च न्यायालय के कौन से न्यायाधीश पदोन्नत होकर सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे यह निर्णय भी कॉलेजियम व्यवस्था के तहत ही लिया जाता है। ज्ञात हो कि कॉलेजियम व्य‍वस्था का उल्लेख न तो मूल संविधान में है और न ही उसके किसी संशोधित प्रावधान में, जिसके कारण इस प्रणाली की वैधता पर प्रश्नचिन्ह लगते रहे हैं। इस व्यवस्था में अस्पष्टता, पारदर्शिता की कमी के साथ ही परिवारवाद की संभावना भी व्यक्त की जाती रही है।

आयुष्मान भारत के दायरे में प्रवासी श्रमिक

केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस (COVID-19) संकट के मद्देनज़र आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (Ayushman Bharat Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana) को प्रवासी श्रमिकों तक विस्तारित करने का निर्णय लिया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (The National Health Authority- NHA) के अनुसार, नई घोषणा के तहत पात्र लाभार्थियों की पहचान करने के लिये राज्य सरकारों के साथ समन्वयित रूप से कार्य किया जा रहा है। इस कदम का उद्देश्य मौजूदा महामारी के दौरान वंचितों के लिये स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व सरकार ने आयुष्मान भारत के लाभार्थियों को मुफ्त COVID-19 परीक्षण की सुविधा प्रदान करने की घोषणा की थी। ध्यातव्य है कि वर्ष 2018 में शुभारंभ के बाद से ही आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना भारत सरकार की प्रमुख स्वास्थ्य बीमा योजना बनी हुई है। इस योजना के तहत प्रत्येक परिवार को प्रति वर्ष दिये जा रहे 5 लाख रुपए के स्वास्थ्य कवर के माध्यम से गरीब और वंचित भारतीयों को अस्पताल में किफायती स्वास्थ्य उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है। इसका उद्देश्य देश में 10.74 करोड़ से अधिक गरीबों और संवेदनशील परिवारों के लिये वित्तीय जोखिम से सुरक्षा सुनिश्चित करना है। प्रवासी श्रमिकों के लिये आयुष्मान भारत योजना के चयन का एक कारण यह भी है कि इस योजना के कुल लाभार्थियों में तकरीबन 80 प्रतिशत लोग ग्रामीण हैं।

रेमन मैग्सेसे पुरस्कार

भारत समेत विश्व के तमाम देशों में कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी का संकट गहराता जा रहा है, ऐसे में वैश्विक समाज के समक्ष परिस्थितियाँ और भी गंभीर होती जा रही हैं। ध्यातव्य है कि महामारी के मद्देनज़र एशिया के नोबेल पुरस्कार के रूप में पहचाने जाने वाले रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (Ramon Magsaysay Awards) को रद्द कर दिया गया है। गौरतलब है कि यह तीसरी बार हुआ है, जब रेमन मैग्सेसे पुरस्कार को रद्द किया गया है, इससे पूर्व वर्ष 1970 में आर्थिक संकट के दौर में और वर्ष 1990 में फिलीपींस में आए भयानक भूकंप के कारण यह पुरस्कार रद्द किया गया था। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में भारतीय पत्रकार रवीश कुमार को रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इससे पूर्व अरविंद केजरीवाल, अरुणा रॉय और संजीव चतुर्वेदी सहित कई अन्य लोगों को भी यह पुरस्कार मिल चुका है। एशिया का नोबेल माना जाने वाला यह पुरस्कार एशिया में साहसिक और परिवर्तनकारी नेतृत्त्व के लिये दिया जाता है। यह पुरस्कार फिलीपींस के तीसरे राष्ट्रपति रेमन मैग्सेसे की स्मृति में दिया जाता है। रॉकफेलर ब्रदर्स फंड के ट्रस्टियों द्वारा यह पुरस्कार वर्ष 1957 में स्थापित किया गया था। यह पुरस्कार मुख्यतः 5 श्रेणियों में दिया जाता है। 

संयुक्त अरब अमीरात का पहला मंगल मिशन

संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates-UAE) ने घोषणा की है कि वह 14 जुलाई को अपने ‘होप मार्स मिशन’ (Hope Mars Mission) को लॉन्च करेगा। ध्यातव्य है कि इस लॉन्च के साथ ही संयुक्त अरब अमीरात (UAE) मंगल ग्रह पर इस प्रकार का मिशन लॉन्च करने वाला पहला अरब देश बन जाएगा। विशेषज्ञों का मत है कि यह मिशन सिर्फ संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के लिये ही महत्त्वपूर्ण नहीं है बल्कि यह संपूर्ण अरब क्षेत्र के लिये भी काफी महत्त्वपूर्ण है। यह मिशन आगामी 14 जुलाई को अपनी यात्रा शुरू करेगा और संभवतः फरवरी 2021 में मंगल ग्रह तक पहुँच जाएगा। इस कार्यक्रम का वित्तपोषण ‘संयुक्त अरब अमीरात अंतरिक्ष एजेंसी’ (UAE Space Agency) द्वारा किया जा रहा है। गौरतलब है कि संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की इस अंतरिक्ष परियोजना की शुरुआत आधिकारिक तौर पर वर्ष 2014 में हुई थी। UAE के अंतरिक्ष यान (Spacecraft) को जापान से लॉन्च किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के अनुसार, इस मिशन से मंगल ग्रह को लेकर जो भी जानकारी प्राप्त की जाएगी, वह सार्वजनिक मंच पर उपलब्ध होगी और उसका प्रयोग विभिन्न संस्थाओं द्वारा भविष्य के अध्ययन के लिये किया जा सकेगा।

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