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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 05 जून, 2020

  • 05 Jun 2020
  • 8 min read

बासु चटर्जी

04 जून, 2020 को मशहूर फिल्मकार बासु चटर्जी (Basu Chatterjee) का 93 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। बासु चटर्जी ने हिंदी के साथ-साथ बंगाली सिनेमा में भी काफी कार्य किया था। यथार्थवादी फिल्मकार के रूप में पहचाने जाने वाले बासु चटर्जी की फिल्में 70 के दशक की फिल्मों के मूल स्वरूप से बिलकुल इतर थीं। बासु चटर्जी का जन्म वर्ष 1930 को अजमेर में हुआ था और एक लेखक तथा निर्देशक के तौर पर उन्हें उनकी अनूठी फिल्मों के लिये जाना जाता था। बासु चटर्जी ने वर्ष 1969 में आई फिल्म 'सारा आकाश' (Sara Akash) के साथ बतौर निर्देशक अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत की थी। बासु चटर्जी की कुछ प्रमुख और लोकप्रिय फिल्मों में शामिल हैं- ‘छोटी सी बात’ (1976), ‘रजनीगंधा’ (1974), ‘मंज़िल’ (1979), ‘स्वामी' (1977) और ‘बातों बातों में' (1979)। इसके अतिरिक्त उन्होंने दूरदर्शन के लिये भी कई लोकप्रिय धारावाहिकों का निर्माण किया, जिसमें ‘ब्योमकेश बख्शी’ (Byomkesh Bakshi) काफी प्रचलित है। बासु चटर्जी भारतीय सिनेमा में 70 के दशक के एक अग्रणी नाम के रूप में जाने जाते थे, भारतीय सिनेमा और खासकर हिंदी सिनेमा में उनके बहुमूल्य योगदान को देखते हुए उन्हें कई बड़े पुरस्कारों से नवाज़ा गया था, वर्ष 1992 में उन्हें उनकी फिल्म ‘दुर्गा’ के लिये ‘राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया। 

सुमेरु पैक्स (SUMERU PACS)

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation- DRDO) ने सुमेरु पैक्स (SUMERU PACS) नाम से एक उपकरण विकसित किया है जो स्वास्थ्य कर्मियों के समक्ष व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (Personal Protective Equipment-PPE) के प्रयोग के दौरान आने वाली समस्याओं को समाप्त कर PPE के प्रयोग को और अधिक आरामदायक बनाएगा। उल्लेखनीय है कि कई शोधों में वैज्ञानिकों ने पाया कि PPE किट को 30 मिनट से अधिक समय तक प्रयोग करने से स्वास्थ्यकर्मी काफी अधिक असहज महसूस करते हैं और काफी लंबे समय तक PPE किट के प्रयोग से स्वास्थ्य कर्मियों को अत्यधिक पसीने (Sweating) जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिससे कार्य की स्थितियाँ और अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाती हैं। इसी समस्या के समाधान के रूप में DRDO ने ‘सुमेरु पैक्स’ (SUMERU PACS) नाम से वायु संचालन प्रणाली (Air Circulation System) विकसित की है, जिसे व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) के अंदर लगभग 500 ग्राम वजन के छोटे बैग के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। DRDO द्वारा विकसित यह प्रणाली उन डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मचारियों के लिये अत्यधिक लाभदायक है जो अस्पतालों में छह से अधिक घंटों तक व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) किट का प्रयोग करने को मज़बूर है। विदित हो कि DRDO रक्षा प्रणालियों के डिज़ाइन एवं विकास के साथ-साथ तीनों क्षेत्रों की रक्षा सेवाओं की आवश्यकताओं के अनुसार विश्व स्तर की हथियार प्रणाली एवं उपकरणों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है। इसकी स्थापना वर्ष 1958 में की गई थी और यह रक्षा मंत्रालय के रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के तहत कार्य करता है। 

भारतीय उद्योग परिसंघ 

कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) के मौजूदा मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) उदय कोटक को वर्ष 2020-21 के लिये भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation Of Indian Industry-CII) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। साथ ही संजीव बजाज को CII का उपाध्यक्ष चुना गया है। उल्लेखनीय है कि उदय कोटक बीते दो दशकों से CII के साथ जुड़े हुए हैं और उद्योग संगठन को अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) सलाह और परामर्शी प्रक्रियाओं के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था, उद्योग, सरकार और नागरिक समाज के विकास हेतु अनुकूल वातावरण बनाने की दिशा में कार्य करता है। CII एक गैर-सरकारी और गैर-लाभकारी संगठन है, जिसका नेतृत्व और प्रबंधन स्वयं भारतीय उद्योग से संबंधी लोगों द्वारा किया जाता है, इस संगठन में निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के लगभग 9100 सदस्य हैं। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) की स्थापना वर्ष 1895 में हुई थी और तकरीबन 125 वर्षों से यह भारत की विकास यात्रा को आकार देने तथा राष्ट्रीय विकास में भारतीय उद्योग की भागीदारी को बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रहा है। 

तियानमेन स्क्वायर नरसंहार

04 जून, 2020 को तियानमेन स्क्वायर नरसंहार (Tiananmen Square Massacre) के 31 वर्ष पूरे हो गए हैं। तियानमेन स्क्वायर विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत अप्रैल 1989 में कम्युनिस्ट पार्टी के तत्कालीन शीर्ष नेता और समाज सुधारक हू याओबांग (Hu Yaobang) की मृत्यु के बाद हुई थी, जब हज़ारों छात्र और मज़दूर लोकतंत्र की मांग को लेकर सड़कों पर उतरने लगे, समय के साथ आंदोलनकारियों की संख्या बढ़ने लगी और तानाशाही समाप्त करने तथा लोकतंत्र बहाल करने की मांग भी तेज़ होने लगी। धीरे-धीरे विरोध प्रदर्शन इतने तेज़ हो गए कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार को अपने कई कार्यक्रम रद्द करने पड़े, ये विरोध प्रदर्शन चीन की सरकार के समक्ष एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरने लगे और अंततः चीन की सरकार ने सैन्य शक्ति के दम पर प्रदर्शन को कुचलने का निर्णय लिया। इसी उद्देश्य के साथ 4 जून को चीन की सेना ने तियानमेन स्क्वायर में प्रवेश किया और वहाँ मौजूद ‘गॉडेस ऑफ डेमोक्रेसी' की प्रतिमा को टैंक से उड़ा दिया गया, जब वहाँ मौजूद छात्रों और मज़दूरों ने इसका विरोध करना चाहा तो सैनिकों द्वारा उन पर गोलियाँ चलाई गईं। एक अनुमान के अनुसार, चीन की सरकार के आदेश पर की गई इस सैन्य कार्यवाही में तकरीबन 10000 लोगों की मृत्यु हुई थी। उल्लेखनीय है कि तियानमेन स्क्वायर में हुए विरोध प्रदर्शन को चीन के आधुनिक राजनीतिक इतिहास का सबसे बड़ा राजनीतिक प्रदर्शन कहा जाता है।

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