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भारतीय अर्थव्यवस्था

विशुद्ध टेरेप्थेलिक अम्ल

  • 05 Feb 2020
  • 9 min read

प्रीलिम्स के लिये:

विशुद्ध टेरेप्थेलिक अम्ल, एंटी डंपिंग शुल्क

मेन्स के लिये:

एंटी डंपिंग शुल्क से संबंधित मुद्दे, भारत में व्यापार व्यवस्था एवं एंटी डंपिंग शुल्क

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार ने पॉलिएस्टर निर्माण में प्रयुक्त रसायन शुद्ध टेरेप्थेलिक अम्ल (Purified Terephthalic Acid) पर लगने वाले एंटी डंपिंग शुल्क (Anti Dumping Duty) को हटाने का निर्णय लिया है।

मुख्य बिंदु

  • सरकार ने बजट सत्र के दौरान सार्वजानिक हित में PTA पर लगाए गए एंटी डंपिंग शुल्क को हटाने का निर्णय लिया है।
  • पॉलिएस्टर के घरेलू निर्माताओं ने सरकार के इस कदम को राहत वाला बताया है। ध्यातव्य है कि इससे उन्हें कम दाम पर कच्चा माल प्राप्त हो जाएगा और लागत कम होगी।

शुद्ध टेरेप्थेलिक अम्ल (Purified Terephthalic Acid- PTA) क्या है?

  • यह एक महत्त्वपूर्ण कच्चा माल है जिसका उपयोग पॉलिएस्टर कपड़ों सहित विभिन्न उत्पादों को बनाने के लिये किया जाता है।
  • यह मानव निर्मित कपड़ों या उनके घटकों के निर्माण में शामिल लोगों के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
  • इससे निर्मित उत्पादों में पॉलिएस्टर स्टेपल फाइबर, स्पून यार्न, खेलों के लिये कपड़े, स्विम सूट, पर्दे, सोफा कवर, जैकेट, कार सीट कवर और बेड शीट में पॉलिएस्टर का एक निश्चित अनुपात होता है।

सरकार के फैसले का प्रभाव

सकारात्मक

  • सरकार द्वारा इस रसायन पर एंटी डंपिंग शुल्क हटाने से इस रसायन को सस्ती दर पर विभिन्न बाह्य स्रोतों से आयात किया जा सकता है।
  • प्रतिस्पर्द्धी कीमतों पर इनपुट की आसान उपलब्धता रोज़गार निर्माण में अहम भूमिका निभाएगी तथा कपड़ा उद्योग में अपार संभावनाओं के द्वार खुलेंगे।
  • शुल्क लगने के कारण चीन, ताइवान, मलेशिया, इंडोनेशिया, ईरान, कोरिया और थाईलैंड जैसे देशों से आयात करने पर आयातक को PTA के प्रत्येक 1,000 किलोग्राम के लिये 27 से 160 डॉलर का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ रहा था, जबकि शुल्क हटने से यह प्रति 1,000 किलो 30 डॉलर सस्ता हो जाएगा।

नकारात्मक

  • सरकार द्वारा PTA से डंपिंग शुल्क हटाए जाने से PTA के घरेलू उत्पादकों को बाह्य बाज़ार से चुनौती मिलेगी।

सरकार ने PTA पर शुल्क क्यों लगाया था?

  • PTA पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने के लिये दो घरेलू निर्माताओं MCC PTA India Corp Pvt Ltd. और रिलायंस इंडस्ट्री लिमिटेड (Reliance Industries Ltd.) द्वारा अक्तूबर 2013 में व्यापार उपचार महानिदेशालय वाणिज्य विभाग (Directorate General of Trade Remedies- DGTR) से अनुरोध किया गया था।
  • इन कंपनियों का तर्क था कि कुछ देश अपने घरेलू बाज़ारों में मूल्य से कम कीमत पर भारत को इस उत्पाद का निर्यात कर रहे हैं। भारतीय बाज़ार में PTA की डंपिंग से घरेलू उद्योग पर एक महत्त्वपूर्ण प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
  • जाँच के बाद DGTR ने MCCPI और RIL के दावों के प्रति सहमति जताई और वर्ष 2014 एवं 2015 में दक्षिण कोरिया तथा थाईलैंड से आयातित PTA पर और वर्ष 2015 एवं 2016 में चीन, इंडोनेशिया, ताइवान, ईरान तथा मलेशिया से आयातित PTA पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाया।

सरकार द्वारा उठाया गया कदम विवादास्पद क्यों था?

  • पॉलिएस्टर उत्पादों के निर्माण के लिये PTA का उपयोग करने वाली कंपनियों ने दावा किया था कि यह कदम सरकार द्वारा कपड़ा क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी उद्योग बनाने के दृष्टिकोण के विपरीत है।
  • PTA पर डंपिंग शुल्क लगाने से पॉलिएस्टर उत्पादों का निर्माण करने वाली कंपनियों को केवल घरेलू स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता था और घरेलू बाजार में इसकी कीमत भी ज्यादा थी जिसके कारण सरकार के इस कदम को लेकर विवाद उत्पन्न हुए थे।
  • घरेलू उत्पादक उद्योगों के लिये आवश्यक मात्रा में कच्चा माल उत्पादन करने में असमर्थ थे, जिसके कारण उद्योगों की उत्पादन क्षमता प्रभावित हुई।
  • सरकार के इस कदम के फलस्वरूप वर्ष 2014-16 के दौरान पॉलिएस्टर से बने कुछ उत्पादों के निर्यात में गिरावट आई और उत्पादों के आयात में वृद्धि हुई क्योंकि इन डाउनस्ट्रीम पॉलिएस्टर-आधारित उत्पादों के सस्ते संस्करणों के आयात के खिलाफ कोई शुल्क आरोपित नहीं था।

इस संदर्भ में अन्य मुद्दे

  • मोनो एथिलीन ग्लाइकॉल (Mono Ethylene Glycol- MEG) जो पॉलिएस्टर के निर्माण में प्रयुक्त कच्चा माल है, के संदर्भ में DGTR एंटी डंपिंग शुल्क लगाने संबंधी जाँच कर रहा है।
  • यह जाँच रिलायंस इंडस्ट्री लिमिटेड एवं इंडिया ग्लाइकोल्स लिमिटेड के दावे के बाद शुरू की गई। ध्यातव्य है कि इनके द्वारा दावा किया गया है कि कुवैत, सऊदी अरब, सिंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात जैसे MEG निर्यातक इस उत्पाद को डंप कर रहे हैं और परिणामस्वरूप घरेलू MEG उद्योग इससे प्रभावित हो रहे हैं।
  • साथ ही अन्य कपड़ा उद्योग संगठन DGTR से मिलकर डंपिंग शुल्क न लगाने की सिफारिश कर रहे हैं, उनका तर्क है कि MEG पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने से कपड़ा उद्योग पर भी उसी तरह प्रतिकूल प्रभाव डालेगा जिस तरह से PTA पर लगाए गए शुल्क के मामले में देखा गया था।

व्यापार उपचार महानिदेशालय वाणिज्य विभाग (DGTR) के बारे में

  • इसका गठन वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत अप्रैल 1998 में किया गया था।
  • DGTR द्वारा किये जाने वाले प्रमुख कार्य निम्नानुसार हैं:
    • एंटी डंपिंग जाँच का आयोजन।
    • विरोधी सब्सिडी की (काउंटरवेलिंग ड्यूटी) जाँच।
    • विरोधी-घेरे की जाँच का आयोजन।
    • विदेशी एजेंसियों द्वारा किये जा रहे विभिन्न काउंटरवेलिंग ड्यूटी जाँच से भारतीय निर्यातकों का बचाव।

एंटी डंपिंग शुल्क के बारे में

  • किसी देश द्वारा दूसरे मुल्क में अपने उत्पादों को लागत से भी कम दाम पर बेचने को डंपिंग कहा जाता है। इससे घरेलू उद्योगों के उत्पाद महँगे हो जाते हैं जिसके कारण वे प्रतिस्पर्द्धा में पीछे रह जाते हैं।
  • सरकार इसे रोकने के लिये निर्यातक देश में उत्पाद की लागत और अपने यहाँ मूल्य के अंतर के बराबर शुल्क लगा देती है। इसे ही डंपिंगरोधी शुल्क यानी एंटी डंपिंग ड्यूटी कहा जाता है।

आगे की राह

  • सरकार को कच्चे माल एवं वस्तु दोनों के उत्पादन एवं उत्पादकों को ध्यान में रख कर अपनी नीतियों का निर्धारण करना चाहिये।
  • सरकार को घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने हेतु बेहतर प्रयास करने की आवश्यकता है। साथ ही उद्योगों को शुरू करने एवं बंद करने से संबंधित नियमों को समय के साथ संशोधित किया जाना चाहिये।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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