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जैव विविधता और पर्यावरण

प्रोडक्शन गैप रिपोर्ट 2023

  • 15 Nov 2023
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्रोडक्शन गैप रिपोर्ट, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), पेरिस समझौता, भारत का NDC

मेन्स के लिये:

प्रोडक्शन गैप रिपोर्ट, पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट, खनिज और ऊर्जा संसाधन

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में स्टॉकहोम एन्वायरनमेंट इंस्टीट्यूट (SEI), क्लाइमेट एनालिटिक्स, E3G, इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (IISD) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा प्रोडक्शन गैप रिपोर्ट 2023 प्रकाशित की गई है।

  • रिपोर्ट पेरिस समझौते के तापमान लक्ष्य के अनुरूप वैश्विक स्तर के मुकाबले कोयला, तेल और गैस के सरकार के नियोजित तथा अनुमानित उत्पादन का आकलन करती है।
  • प्रोडक्शन गैप सरकारों के नियोजित जीवाश्म ईंधन उत्पादन और ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस या 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के अनुरूप वैश्विक उत्पादन स्तर के बीच का अंतर है।

प्रोडक्शन गैप रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?

  •  जीवाश्म ईंधन उत्पादन में अनुमानित वृद्धि: सरकारें वर्ष 2030 में 1.5°C वार्मिंग सीमा के अनुकूल जीवाश्म ईंधन से दोगुना उत्पादन करने की योजना बना रही हैं।
    • यह अनुमान 2 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य से 69% अधिक है, जो अधिक महत्त्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता पर बल देता है।
    • कुल मिलाकर सरकारी योजनाओं और अनुमानों से वर्ष 2030 तक वैश्विक कोयला उत्पादन में वृद्धि होगी तथा कम-से-कम वर्ष 2050 तक वैश्विक तेल तथा गैस उत्पादन में वृद्धि होगी।
    • यह पेरिस समझौते के तहत सरकार की प्रतिबद्धताओं की इस उम्मीद के साथ टकराव है कि नई नीतियों के बिना भी कोयला, तेल और गैस की वैश्विक मांग इस दशक में चरम पर होगी।
  • प्रमुख उत्पादक देशों ने शुद्ध-शून्य उत्सर्जन हासिल करने का वादा किया है और जीवाश्म ईंधन उत्पादन से उत्सर्जन को कम करने के लिये पहल शुरू की है, लेकिन किसी ने भी वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के अनुरूप कोयला, तेल तथा गैस उत्पादन को कम करने हेतु प्रतिबद्धता नहीं व्यक्त की है।

भारत विशिष्ट निष्कर्ष:

  • भारत के अद्यतन NDC:
    • उत्सर्जन में कमी: भारत के NDC का लक्ष्य वर्ष 2030 तक उत्सर्जन तीव्रता में वर्ष 2005 के स्तर की तुलना में 45%  तक की कमी करना है।
    • नवीकरणीय ऊर्जा हिस्सेदारी: इसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक 50% गैर-जीवाश्म विद्युत क्षमता प्राप्त करना है।
    • दीर्घकालिक दृष्टिकोण: अद्यतन NDC वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य की ओर एक कदम है।

  • जीवाश्म ईंधन उत्पादन पर सरकार का रुख:
    • राष्ट्रीय पैमाने के साथ निम्न-कार्बन संक्रमण: COP-27 के दौरान जारी दीर्घकालिक-निम्न उत्सर्जन विकास रणनीति (LT-LEDS) कम-कार्बन बदलाव के लिये प्रतिबद्ध है जो आवश्यक विकास सुनिश्चित करती है।
      • इसमें ऊर्जा सुरक्षा, पहुँच और रोज़गार बनाए रखने पर ज़ोर दिया गया है।
    • घरेलू जीवाश्म ईंधन हेतु समर्थन: आत्मनिर्भरता पर ज़ोर देने तथा राज्य की आय और रोज़गार के अवसर पैदा करने हेतु कोयला उत्पादन के विस्तार की आवश्यकता है।
      • योजनाओं में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये घरेलू तेल और गैस की खोज को बढ़ाना शामिल है क्योंकि वर्ष 2030 तक देश में गैस की मांग 500% से अधिक बढ़ने की संभावना है।
      • सरकार ने घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिये खनन ब्लॉकों की रोलिंग इलेक्ट्रॉनिक नीलामी की व्यवस्था की है और तेल तथा गैस क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को प्रोत्साहित कर रही है।
    • हरित ऊर्जा में निवेश करते समय भारत जीवाश्म ईंधन, मुख्य रूप से कोयले के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रख सकता है।
    • भारत की राष्ट्रीय तेल कंपनी की सहायक कंपनी ONGC विदेश लिमिटेड (OVL) की 15  देशों (ONGC विदेश, 2023) में 33 तेल और गैस परियोजनाओं में हिस्सेदारी है।

इसकी सिफारिशें क्या हैं?

  • योजनाओं में पारदर्शिता: सरकारों को जीवाश्म ईंधन उत्पादन के लिये अपनी योजनाओं, पूर्वानुमानों तथा समर्थन के साथ-साथ राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों के साथ इनके संतुलन के बारे में और अधिक पारदर्शी होना चाहिये।
  • जीवाश्म ईंधन कटौती लक्ष्य अपनाना: सरकारों को अन्य जलवायु शमन लक्ष्यों को पूरा करने और परित्यक्त परिसंपत्तियों के जोखिम को कम करने के लिये जीवाश्म ईंधन उत्पादन एवं उपयोग में निकट/अल्पकालिक तथा दीर्घकालिक कटौती लक्ष्यों को अपनाने की अत्यधिक आवश्यकता है।
  • जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना: देशों को वर्ष 2040 तक कोयला उत्पादन तथा इसके उपयोग की चरणबद्ध समाप्ति करने का लक्ष्य रखना चाहिये एवं तेल और गैस के कुल उत्पादन व उपयोग में वर्ष 2020 के स्तर से वर्ष 2050 तक तीन-चौथाई की कमी करने का प्रयास करना चाहिये।
  • जीवाश्म ईंधन उत्पादन से दूर एक न्यायसंगत परिवर्तन के लिये प्रत्येक राष्ट्र के अद्वितीय दायित्वों और क्षमताओं को पहचानना आवश्यक है। अधिक परिवर्तन क्षमता वाली सरकारों को अधिक महत्त्वाकांक्षी कटौती का लक्ष्य रखना चाहिये एवं सीमित क्षमता वाले देशों में परिवर्तन प्रक्रियाओं को वित्तपोषित करने में मदद करनी चाहिये।
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